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ब्लॉग: चक्रवात से निपटने का रंग लाया सामूहिक प्रयास

By प्रमोद भार्गव | Updated: December 11, 2023 07:51 IST

मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन के समन्वित प्रयासों के चलते मिचौंग चक्रवात ने बड़े क्षेत्र और बड़ी मात्रा में संपत्ति का तो विनाश किया, लेकिन ज्यादा जनहानि का कारण नहीं बन पाया।

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मिचौंग चक्रवात ने आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के कई जिलों में भारी तबाही मचाई. हजारों पेड़ और बिजली के खंभे धराशायी हो गए। भारी बारिश के चलते नदियों, नहरों और तालाबों ने बाढ़ का रूप ले लिया, जिससे हजारों किमी सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और हजारों एकड़ खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं।

चेन्नई और आसपास के क्षेत्रों में हजारों घरों में पानी भर जाने से लोग फंस गए जिन्हें बचाने के लिए नौकाओं और ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया गया। इन राज्यों के स्थानीय प्रशासन ने मौसम विभाग की चेतावनी के चलते तत्काल सैकड़ों पुनर्वास केंद्र स्थापित करके 60,000 से ज्यादा लोगों के ठहरने का प्रबंध किया। 140 ट्रेनें और 40 हवाई उड़ानें तत्काल रद्द कर दी गईं। चेन्नई सहित 9 जिलों में 61,666 राहत शिविर बनाए गए हैं।

मौसम विभाग की सटीक भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन के समन्वित प्रयासों के चलते मिचौंग चक्रवात ने बड़े क्षेत्र और बड़ी मात्रा में संपत्ति का तो विनाश किया, लेकिन ज्यादा जनहानि का कारण नहीं बन पाया। पशुओं की भी बहुत कम मौतें हुईं।

इस परिप्रेक्ष्य में हमारी तमाम एजेंसियों ने आपदा का कुशलतापूर्वक सामना करके एक भरोसेमंद मिसाल पेश की है, जो सराहनीय व अनुकरणीय है। ताकतवर तूफान से बचने के लिए आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और तेलंगाना को चार दिन पहले से ही सतर्क किया जा रहा था।

समाचार पत्रों से लेकर टीवी और सोशल मीडिया इसकी भयावहता लगातार जताते रहे. इस कारण राज्य और केंद्र सरकारों को समन्वय बनाए रखने और राहत दल संभावित संकटग्रस्त इलाकों में पहुंचाने में सुविधा रही। बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चक्रवात आने से पहले ही पहुंचा दिया गया था।

एनडीआरएफ ने राज्य सरकारों से विचार-विमर्श करके अपने बचाव दल सही समय पर तैनात कर दिए थे। कुदरत के इस कोप से मुकाबला करने की जो तैयारी इस बार देखी गई, इससे पहले बिपरजॉय तूफान के समय भी देखने में आई थी। भारतीय मौसम विभाग के अनुमान कई बार सही साबित नहीं होते, लेकिन कुछ समय से चक्रवाती तूफानों के सिलसिले में की गई भविष्यवाणियां सटीक बैठ रही हैं। जबकि मानसून को लेकर उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहते हैं।

इस बार हमारे मौसम विज्ञानी सुपर कम्प्यूटर और डॉप्लर रडार जैसी श्रेष्ठ तकनीक के माध्यमों से चक्रवात के अनुमानित और वास्तविक रास्ते का मानचित्र एवं उसके भिन्न क्षेत्रों में प्रभाव के चित्र बनाने में भी सफल रहे।

तूफान की तीव्रता, तेज हवाओं एवं आंधी की गति और बारिश के अनुमान भी कमोबेश सही साबित हुए। इन अनुमानों को और कारगर बनाने की जरूरत है, जिससे बाढ़, सूखे, भूकंप, बवंडरों की पूर्व सूचनाएं मिल सकें और उनका सामना किया जा सके।

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