Blog: अनमोल होता है पिता का साया, इसे सहेज कर रखें
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: April 30, 2018 04:07 PM2018-04-30T16:07:31+5:302018-04-30T16:15:53+5:30
मतलब सी इस दुनिया में, वो ही हमारी शान है, मेरे वजूद की ‘पिता’ ही पहली पहचान हैं।
मतलब सी इस दुनिया में, वो ही हमारी शान है, मेरे वजूद की ‘पिता’ ही पहली पहचान हैं। एक मां जहां दुनिया में सबसे ऊंचा स्थान रखती हैं तो, पिता उस स्थान को देने के लिए हमें इस काबिल बनाते हैं। माना मां का आंचल हमें बड़ा करता है, लेकिन पिता की एक उंगली ही होती है जो बाहर की दुनिया से रुबरु करवाती है।
एक लाइन में अगर कहूं तो पिता हमारा अस्तितव हैं। पिता जो हमारी जिंदगी में वो महान शख्स होते हैं जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सपनों की धरती बंजर ही छोड़ देते हैं।
एक पिता भले ही एक मां की तरह अपनी कोख से बच्चे को जन्म नहीं देता है, लेकिन एक बच्चे के जीवन में अपने पिता का बहुत बड़ा और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिस घर में पिता नहीं है। उन घरों की हालत दुनिया वाले बदतर से भी बदतर कर देते हैं। वहां सब होकर भी सब खाली होता है। एक बच्चों की देखरेख करने के लिए अगर पिता नहीं है तो उन मासूम बच्चों के सारे लाड़-प्यार, दुलार, पिता की छांव सबकुछ खो सा जाता है।
सच कहूं तो पिता एक कठोर व्यक्ति होता है उस नीम के पेड़ की तरह कड़वा होता है परन्तु छाया ठंडी देता है। मेरे पिता जी मेरा सब कुछ थे वो मुझे जहां डांटते थे तो वहीं प्यार भी करते थे। कभी लगता था जब पापा प्यार करते हैं तो ऐसे डांटते क्यों हैं क्यों मेरी हर गलत बात पर भी हामी नहीं भरते हैं। लेकिन हां वो एक ऐसे इंसान हैं मेरी जिंदगी के अब तक के जो खुद मुझे कितना भी डांटा करते तो ठीक लेकिन कोई और मां या भाई बहन मुझे डांटे ये उनको कभी बर्दाश्त नहीं था। हमेशा मम्मी से मेरे लिए लड़ जाना जैसे उनको पसंदीदा काम था।
याद है एक बार मैं काफी बीमार हो गई थी ऐसे तो पूरा परिवार डॉक्टर था और पापा खुद भी लेकिन फिर भी जब मैं ठीक नहीं हुई तो घर से दूर किसी को किसी दूसरे को दिखाने के लिए बहुत सारी परेशानियों को झेलकर ले गए थे। याद है मुझे अच्छे से मेरे लिए कितनी सारी परेशानियां उठाई थीं उन्होंने। पता नहीं वो छोटी छोटी बातें मेरे मन को इतनी खुशी क्यों देती थी जो आज पापा के जाने के बाद नहीं दे पाती हैं।
मैंने पापा से कभी बहुत सारी जिद नहीं लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि आज अगर साथ होते हर बात के लिए जिद करती। आज मेरे पिता तो कोसो दूर चल गए हैं लेकिन फिर भी कभी कभी विश्नास नहीं होता है कि ऐसा कुछ हो चुका है, जो मुझे बचपन से आगे बढाना सिखाते थे आज कहीं चले गए हैं और फिर कभी वापस नहीं आएंगे। आज भी उनको मुझे पुकारना मेरे कानों में गूंजता है जैसे कोई हर पल मुझे आवाज देकर जगा रहा हो।
जब तक वो अस्पताल में थे तब तक एक आशा थी कि वो ठीक हो जाएंगे, लेकिन भगवान तो शायद हमारी खुशिया बरदास्त कहां हुई। एक मलाल है जो शायद मरते दम तक रहेगा कि मैंने अपने पापा को उनके जाने के 2 दिन पहले देखा था जानि 9 मई को उन्होंने साथ छोड़ा और 7 मई तो मैं अस्पताल गई थी काश आखिरी बार खुली आंखों से मैं उनकी आंखों में डालकर एक बार कह पाती पापा कभी जाना नहीं...लेकिन अब ये नहीं हो सकता....तो जिनके पास उनके पिता है वो बहुत खुशनसीब हैं वरना मुझ जैसे बदनसीबों से पूछें पिता के खोने का दर्द क्या होता है।