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ब्लॉगः 2024 के चुनाव से पहले गैर-भाजपा विपक्षी एकता की खुली पोल! मोदी को मात देने की क्या है योजनाएं..

By शशिधर खान | Updated: March 18, 2023 14:43 IST

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में 16 विपक्षी दलों ने संसद में भाजपा के विरोध में 14 मार्च को एकजुटता दिखाई, जिसमें तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई। लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला और अदानी मामले की जेपीसी से जांच कराने की मांग पर जोर दिया। लेकिन टीएमसी ने इस एकजुट मार्च से खुद को अलग रखा।

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2024 का आम चुनाव जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, बिखरे-बंटे विपक्षी दल भाजपा से मुकाबले के लिए आपसी मतभेद दूर करने और चुनावी नजदीकी कायम करने की कवायद में जुट गए हैं।  केंद्र में और कई राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा को लगातार तीसरा लोकसभा चुनाव न जीतने देने के लिए एकता की नाव जिस घाट पर लगती है, एक नया छेद सामने आ जाता है। वैसे तो खुद को राष्ट्रीय दल मानेवाले कई क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के साथ मिलकर एक नाव में बैठने से परहेज है, मगर जिन्हें मंच साझा करने से ऐतराज नहीं है, वो पार्टियां भी साझा विपक्षी गठजोड़ में कांग्रेस का नेतृत्व या महत्वपूर्ण भूमिका स्वीकारने को तैयार नहीं हैं। 

उनमें पहले नंबर पर है, प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (दीदी) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस जो कांग्रेस से ही अलग होकर मजबूत पार्टी के रूप में उभरी है। दूसरे नंबर पर है, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यू), जिन्होंने भाजपा गठजोड़ से अलग होकर दूसरी बार कांग्रेस और बिहार में ताकतवर पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ सत्ता में बने रहने के लिए गठजोड़ किया हुआ है। फर्क सिर्फ इतना है कि तृणमूल ने पश्चिम बंगाल में सिर्फ अपने बलबूते तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी है लेकिन नीतीश कुमार भाजपा और राजद के मुकाबले बहुत कम सीटें होने के बावजूद मुख्यमंत्री बने हुए हैं। इनके वर्तमान गठजोड़ में कांग्रेस और वामदल शामिल जरूर हैं, मगर कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ मिलकर गैर-भाजपा राष्ट्रीय गठजोड़ बनाने के प्रयास में नीतीश कुमार के ताजा अतीत से सतर्क है।

विपक्षी एकता का ताजा लेखा-जोखा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लेते हैं। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू होने के बाद संसद के गलियारे और आसपास से खबरें आ रही हैं। अदानी प्रकरण की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग को लेकर दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लंदन में भारतीय लोकतंत्र पर की गई टिप्पणी को लेकर भाजपा सदस्यों ने हंगामा किया। संसद का कामकाज ठीक से नहीं चल पा रहा है। उसी दौरान गैर-भाजपा विपक्षी एकता में दरार नजर आई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में 16 विपक्षी दलों ने संसद में भाजपा के विरोध में 14 मार्च को एकजुटता दिखाई, जिसमें तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई। लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला और अदानी मामले की जेपीसी से जांच कराने की मांग पर जोर दिया। लेकिन टीएमसी ने इस एकजुट मार्च से खुद को अलग रखा। दिल्ली और पंजाब में सत्ता में मौजूद आम आदमी पार्टी  की ओर से संजय सिंह की मौजूदगी दिखी, मगर वो महज औपचारिकता जैसी महसूस की गई।

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