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गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉग: जीवन में बेहद जरूरी है संयम और शुचिता

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: March 17, 2020 07:24 IST

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना, हल्दी, तुलसी और काली मिर्च सेवन, प्राणायाम, योगासन, समुचित व्यायाम, विटामिन सी का सेवन और संक्र मण से अधिकाधिक बचाव रखना ही इस महामारी को हराने का एकमात्न उपाय है.

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कोरोना वायरस कोविड 19 के कहर से सारी दुनिया सकते में है. चीन से इसकी शुरुआत हुई और इसका संक्रमण देखते-देखते करीब सवा सौ  देशों में फैल गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब इसे महामारी करार दिया है, क्योंकि इसका प्रसार बड़ी तेजी से होता है और समुचित चिकित्सकीय सहायता न मिलने पर यह स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है.

भारत में भी यह अपने पांव पसार चुका है और इससे निपटने के प्रयास युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं. स्कूल-कॉलेज बंद हो रहे हैं, सिनेमा हाल आदि पर रोक लग रही है, खेल तथा अन्य सार्वजनिक आयोजन स्थगित किए जा रहे हैं और लोगों को अपने घरों में ही रुकने के लिए कहा जा रहा है. विदेश यात्ना के दौरान संक्रमण की संभावना के कारण उस पर भी रोक लग रही है. विदेश से आने वाले लोगों की सघन जांच हो रही है और उनको अलग रखा जा रहा है. यह सब बचाव के लिए आवश्यक है.

दुर्भाग्य से इस रोग की कोई दवा या टीका अभी तक उपलब्ध नहीं है. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए स्वास्थ्यवर्धक आहार लेना, हल्दी, तुलसी और काली मिर्च सेवन, प्राणायाम, योगासन, समुचित व्यायाम, विटामिन सी का सेवन और संक्र मण से अधिकाधिक बचाव रखना ही इस महामारी को हराने का एकमात्न उपाय है.

इसे ध्यान में रख कर यह सुझाव दिया गया है कि भीड़ वाले आयोजन न हों और न भीड़ में शामिल हुआ जाए. चूंकि यात्नाओं में संक्र मण की संभावना अधिक होती है अत: उससे भी बचने की जरूरत है. इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर जाने पर अन्य व्यक्तियों से संपर्क हो सकता है इसलिए उससे बचना चाहिए. हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ करते रहना और सैनिटाइजर का उपयोग जरूरी है.

योग में और भारतीय जीवन में  शुचिता (शौच) या पवित्नता का बड़ा महत्व है. ऐसे ही संयम पर भी बड़ा  जोर दिया गया है. यह योग के  नियम  में आता है. प्रधानमंत्नी के स्वच्छता अभियान की भी यही मंशा है. आज मृत्यु के भय और जीवन से प्रीति के कारण लोग मजबूरी में ही सही, संयम दिखा रहे हैं और बाजार का आकर्षण कम हो रहा है तथा साफ-सफाई पर भी ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है. जीवनशैली ही स्वास्थ्य का आधार है. आहार और विहार दोनों समुचित (युक्ताहार विहार) होने चाहिए. इस चेतना से ही समाधान मिल सकेगा. 

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