Covid vaccination: अब तक सिर्फ 15 करोड़ लोगों को लगे दोनों टीके, दिसंबर तक पूरी आबादी को टीके लगना असंभव, जानिए वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 2, 2021 10:03 AM2021-09-02T10:03:01+5:302021-09-02T10:05:55+5:30
140 करोड़ लोगों को टीके लगाने के लिए सरकार को रफ्तार बढ़ानी होगी और जनता को भी सहयोग करना होगा
भारत में मंगलवार को 1.28 करोड़ से ज्यादा टीके लगे. पांच दिन में यह दूसरा अवसर था जब वैक्सीनेशन का आंकड़ा एक दिन में एक करोड़ को पार कर गया. कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए इस वक्त टीकाकरण ही सबसे असरदार हथियार है, मगर 140 करोड़ की आबादीवाले हमारे देश में इस साल के अंत तक सभी पात्र लोगों को टीके के दोनों डोज लगाने का लक्ष्य हासिल करना दूर की कौड़ी प्रतीत होता है.
कोविड-19 से निपटने में दुनिया में उपलब्ध टीके हालांकि शत-प्रतिशत सफल नहीं हैं, मगर सबसे राहत की बात यह है कि दोनों टीके लेने के बाद भी अगर कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ तो अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम ही आती है और जान गंवाने का खतरा लगभग पूरी तरह टल जाता है.
भारत में कोविड-19 की पहली लहर जितनी घातक थी, उससे ज्यादा भयावह दूसरी लहर साबित हुई. देश का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया और कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा आबादी को टीका लगाने की जरूरत महसूस हुई. इसमें सबसे बड़ी बाधा थी शुरुआती दौर में टीकों की उपलब्धता. इसके बावजूद सरकार ने ज्यादा से ज्यादा टीके हासिल करने के प्रयास किए.
धीरे-धीरे स्थिति सुधरती गई. अब कम मात्र में टीके उपलब्ध होने की राज्यों की शिकायतें भी करीब-करीब दूर हो गई हैं. टीकाकरण को सुचारु बनाने के लिए केंद्र ने राज्यों को टीका खरीदने के अधिकार दिए थे मगर यह नीति काम नहीं आई. इसके बाद केंद्र ने समूची व्यवस्था अपने पास ले ली. इसके बाद हालात सुधरे. टीकों की उपलब्धता बढ़ गई, लेकिन टीका लगाने की रफ्तार नहीं बढ़ी.
केंद्र की ओर से औपचारिक तौर पर रोज एक करोड़ लोगों को टीका लगाने के लक्ष्य की घोषणा तो हुई मगर लक्ष्य के अनुरूप टीके उपलब्ध नहीं थे. अब टीकों की उपलब्धता में सुधार दिखाई दे रहा है. इसी के चलते एक करोड़ दैनिक टीकाकरण सप्ताह में दो बार हो गया. मगर यह उपलब्धि अपवाद स्वरूप नहीं होनी चाहिए.
अभी भी प्रतिदिन औसतन कभी 30, कभी 40 या कभी 50 लाख डोज ही दिए जा रहे हैं. सप्ताह में एक-दो दिन यह आंकड़ा 60 लाख के पार पहुंच जाता है. इन आंकड़ों से साफ है कि टीकाकरण के आंकड़ों में निरंतरता नहीं है.
मगर एक बात समझ लेनी होगी कि सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती. लोग जब टीकाकरण के लिए खुद पहल नहीं करेंगे, तब तक प्रतिदिन एक करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता.
कोविड-19 टीके को लेकर अब भी अफवाहों तथा अटकलों का बाजार गर्म है. टीकाकरण की रफ्तार पर इसका असर पड़ा है. अफवाहों तथा दुष्प्रचार के खिलाफ व्यापक जनजागृति की जरूरत है. इस काम में दोनों डोज लगवाने वाले लोग सरकार की मदद कर सकते हैं.
वे खुद का उदाहरण प्रस्तुत कर संशयग्रस्त लोगों को बता सकते हैं कि कोविड-19 के किसी भी टीके का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और महामारी से बचने के लिए टीकाकारण ही एकमात्र विकल्प है. देश में अब तक 65 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके का एक ही डोज लगा है.
दोनों डोज लेने वालों की संख्या मंगलवार तक 14.95 करोड़ थी. जाहिर सी बात है कि इस रफ्तार से दिसंबर के अंत तक पूरी आबादी को टीके का दोनों डोज लगना असंभव है. सभी लोगों को सिर्फ एक डोज लगने के बाद यह नहीं माना जा सकता कि टीकाकरण का लक्ष्य हासिल हो गया.
सरकार को अपनी रणनीति को ज्यादा व्यापक एवं मजबूत बनाना होगा. इसके लिए वह निजी क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक तथा स्वयंसेवी संगठनों की मदद भी लेने से परहेज न करे.