जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई सरकार की प्राथमिकता हो सेवा निर्यात

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: May 22, 2024 12:44 IST2024-05-22T12:43:35+5:302024-05-22T12:44:45+5:30

सेवा निर्यात बढ़ाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहित नए डिजिटल कौशल से दक्ष देश की नई पीढ़ी के लिए रोजगार के नए मौके भी तेजी से निर्मित करके नई पीढ़ी को नई मुस्कुराहट दे.

Service export should be the priority of the new government | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: नई सरकार की प्राथमिकता हो सेवा निर्यात

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsसेवा निर्यात की यह रफ्तार पिछले तीन साल में सबसे कम रही है.भारत ने डिजिटल माध्यम से मुहैया कराई गई सेवाओं के निर्यात में वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. समान अवधि में सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.5 फीसदी से बढ़कर 4.3 फीसदी जा पहुंची.

इन दिनों प्रकाशित हो रही विदेश व्यापार संबंधी नई रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि 4 जून के बाद गठित होने वाली भारत की नई सरकार की यह प्राथमिकता होनी चाहिए कि वह भारत की सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) में दिखाई दे रही ऊंची संभावनाओं को साकार करके बढ़ते विदेश व्यापार घाटे को कम करने की डगर पर आगे बढ़े. 

साथ ही सेवा निर्यात बढ़ाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहित नए डिजिटल कौशल से दक्ष देश की नई पीढ़ी के लिए रोजगार के नए मौके भी तेजी से निर्मित करके नई पीढ़ी को नई मुस्कुराहट दे.

गौरतलब है कि कल तक पूरी दुनिया में भारत का सेवा निर्यात तेज रफ्तार से बढ़ रहे चमकीले सेक्टर के रूप में रेखांकित होता रहा है, लेकिन अब भारत के इसी प्रभावी सेवा निर्यात ने पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सुस्त रफ्तार दिखाई है. सेवा निर्यात की यह रफ्तार पिछले तीन साल में सबसे कम रही है.

हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत से माल एवं सेवाओं का कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 776.40 अरब डॉलर रहा था. 

ऐसे में गत वित्त वर्ष में सेवा निर्यात 3.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 339.62 अरब डॉलर का रहा, जबकि वस्तु निर्यात 3.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 437.06 अरब डॉलर रहा है. निश्चित रूप से बीते कुछ वर्षों में भारत के निर्यात का एक चमकदार पहलू सेवा निर्यात रहा है. भारत ने डिजिटल माध्यम से मुहैया कराई गई सेवाओं के निर्यात में वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. 

डिजिटल माध्यम से सेवा निर्यात के तहत कम्प्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल कर शिक्षा, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, गेमिंग, मनोरंजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि के लिए दक्ष ऑपरेटर, कुशल प्रोग्रामर और कोडिंग विशेषज्ञ द्वारा दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित एक शोध आलेख के अनुसार पिछले तीस वर्षों में यानी 1993 से 2022 के बीच भारत का सेवा निर्यात 14 फीसदी से अधिक की समेकित सालाना वृद्धि दर से बढ़ा. यह 6.8 फीसदी की वैश्विक सेवा निर्यात वृद्धि की तुलना में बेहतर है. 

परिणामस्वरूप समान अवधि में सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.5 फीसदी से बढ़कर 4.3 फीसदी जा पहुंची. इसी आधार पर भारत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा सेवा निर्यातक देश बन गया है, जबकि वर्ष 2001 में सेवा निर्यात के मामले में भारत 24वें स्थान पर था. 

इसमें कोई दो मत नहीं है कि बीते कुछ दशकों से भारतीय अर्थव्यवस्था का अहम पहलू सेवा निर्यात रहा है. इसने न केवल व्यापार घाटे को थामे रखने में मदद की है बल्कि इसने देश में रोजगार निर्माण में सहारा दिया है. 

भारत ने वैश्विक सेवा व्यापार में प्रतिस्पर्धी क्षमता भी प्रदर्शित की है, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्रों में भारत की लगातार पहचान बढ़ी है. लेकिन अब सेवाओं के निर्यात में कमजोर वृद्धि की मुख्य वजह विकसित अर्थव्यवस्थाओं से मांग नरम रहना है. 

वित्त वर्ष 2024-25 में भी सेवा निर्यात की हालत कमजोर ही रहने की आशंका है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर अमेरिका एवं यूरोप में उच्च ब्याज दरों के कारण मांग में नरमी रहेगी तथा युद्धजनित परिस्थितियों से वैश्विक व्यापार में कमी आएगी. 

अब सेवा निर्यात के क्षेत्र में भी लगातार प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में भारत से डिजिटल सेवा निर्यात में तेजी से वृद्धि के लिए सेवाओं की गुणवत्ता, दक्षता, उत्कृष्टता तथा सुरक्षा को लेकर और अधिक प्रयास करने होंगे. भारत को अपने निर्यात में विविधता लाने और अन्य उभरते क्षेत्रों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. 

अब हमें सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करके आउटसोर्सिंग की संभावनाओं वाले अन्य देशों में भी कदम बढ़ाने होंगे. खासतौर से आउटसोर्सिंग की नई संभावनाएं उत्तरी यूरोप, पूर्वी एवं मध्य यूरोप के देशों, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया और पूर्वी एशियाई देशों, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे देशों में और बढ़ गई हैं. 

भारत की आईटी सेवा कंपनियों को गैर-अंग्रेजी भाषी देशों में कारोबार में आगे बढ़ने के लिए कार्मिकों को जापानी और कोरियाई और अन्य भाषाओं में प्रशिक्षण देने पर व्यय किया जाना होगा ताकि इन देशों के बाजारों तक भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की पहुंच बनाई जा सके. अब हम उम्मीद करें कि 4 जून के बाद गठित होने वाली देश की नई सरकार देश की नई पीढ़ी को आईटी की नए दौर की शिक्षा देने के लिए समुचित निवेश की व्यवस्था को उच्च प्राथमिकता देते हुए दिखाई देगी. 

हमें नए दौर की तकनीकी जरूरतों और इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण से नई पीढ़ी को सुसज्जित करना होगा. हमें शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा. हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, पायथन वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ब्लॉक चेन और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाना होगा. 

निश्चित रूप से ऐसे बहुआयामी प्रयासों से देश में सेवा निर्यात की सुस्त होती हुई रफ्तार को बढ़ाया जा सकेगा और सेवा निर्यात की अधिक आय से विदेश व्यापार के घाटे में कमी लाई जा सकेगी.

Web Title: Service export should be the priority of the new government

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