International Monetary Fund report: हाल ही में एक नवंबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ‘एशिया प्रशांत के लिए क्षेत्रीय आर्थिक अनुमान 2024’ में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है तथा निवेश और निजी खपत इसकी वृद्धि को गति दे रहे हैं. रिपोर्ट में भारत की विकास दर को पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है. गौरतलब है कि दिवाली के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती संबंधी शुभ संकेत उभरकर सामने आ रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक है. देश कृषि, उद्योग-कारोबार, बैंकिंग क्षेत्र और गैरबैंकिंग वित्तीय क्षेत्र प्रणाली के स्तर पर काफी मजबूत बना हुआ है. विकास और मुद्रास्फीति का संतुलन बेहतर है. उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि भू-राजनीतिक संकट, भू-आर्थिक बिखराव और किसी तरह की चरम मौसमी घटनाएं, जो बाहरी मांग को प्रभावित कर सकती हैं और ये भारत की वृद्धि के लिए एक तरह का बड़ा जोखिम होंगी, लेकिन भारत अपने मजबूत आर्थिक घटकों से उनका मुकाबला करने में सक्षम होगा.
उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई में नरमी आएगी और वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. यह भी उल्लेखनीय है कि इस समय ग्लोबल फंड का भारतीय बांड में किया जा रहा निवेश उभरते बाजारों में ऊंचाई पर रेखांकित हो रहा है. पिछले वर्ष 2023 में भारतीय बांड में जो विदेश निवेश 70,627 करोड़ रुपए का था, वह इस वर्ष 2024 में करीब 88 प्रतिशत बढ़कर अक्तूबर तक 1.33 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. निश्चित रूप से भारत की विकास दर उभरते हुए देशों की तुलना में ऊंचाई पर होगी.
स्थानीय और घरेलू बाजार की मजबूती अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद होगी. वैश्विक खाद्यान्न संकट के बीच भारत की वैश्विक खाद्य सुरक्षा में मददगार देश की भूमिका बढ़ते हुए दिखाई दे सकती है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम तथा कई देशों के अनुरोध पर भारत ने गैरबासमती चावल यानी सफेद चावल के निर्यात पर जुलाई 2023 से लगाई गई रोक को हटा लिया है.
भारत के इस निर्णय से दुनिया के कोने-कोने में चावल आयातक देशों के करोड़ों चावल उपभोक्ताओं को राहत मिली है. जहां भारत दुनिया के 150 से अधिक देशों के लोगों की खाद्य जरूरतों के लिए खाद्य निर्यात करता है, वहीं दुनिया के 185 से अधिक देशों के करोड़ों लोगों के लिए सस्ती व गुणवत्तापूर्ण दवाइयों की आपूर्ति करने वाला विश्वसनीय देश भी है.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि पश्चिम एशिया में युद्ध के बढ़ने पर शेयर बाजार में तेज गिरावट और महंगाई की चुनौतियों के बीच भी भारत अपने मजबूत आर्थिक घटकों और ऊंचाई पर स्थित 700 अरब डॉलर से अधिक के मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार से किसी भी आर्थिक जोखिम का सरलतापूर्वक सामना करने में सक्षम होगा.
हम उम्मीद करें कि आगामी दिनों में भारतीय शेयर बाजार की राह कठिन नहीं होगी, काॅर्पोरेट आय को बढ़ावा मिलेगा और शेयर बाजार को सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंचाने में घरेलू फंडों की अहम भूमिका होगी. हम उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा कृषि सुधारों, मेक इन इंडिया, निर्यात बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों की आमदनी बढ़ाने के रणनीतिक प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तथा देश का आम आदमी भी विकास की डगर पर आगे बढ़ेगा.