ब्लॉग: इलेक्ट्रिक वाहनों में आग रोकने की जिम्मेदारी हमारी भी, कुछ सावधानी बरतें तो टल सकते हैं हादसे
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 15, 2022 01:11 PM2022-09-15T13:11:53+5:302022-09-15T13:11:53+5:30
उपभोक्ता अगर कुछ सावधानियां बरतें तो इलेक्ट्रिक वाहनों में आग की घटनाओं को टाला जा सकता है. मसलन बैटरी की ओवर चार्जिंग न करें, वाहन चलाकर लाने के बाद तुरंत चार्जिंग न करें. ऐसे ही कुछ और तरीके भी हैं.
सिकंदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के एक शोरूम में एक इलेक्ट्रिक वाहन की ओवर चार्जिंग के कारण आग लग गई जिसने पास के होटल को अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गई. इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर इस चर्चा को जन्म दे दिया है कि पेट्रोल-डीजल से मुक्ति पाने के लिए जिन इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है वे कितने सुरक्षित हैं.
कुछ माह पूर्व तमिलनाडु में एक इलेक्ट्रिक स्कूटर में अचानक आग लग जाने से पिता-पुत्री की मौत हो गई थी. उस वक्त इलेक्ट्रिक वाहन की सुरक्षा पर कुछ सवाल उठे, बहस हुई मगर मामला जल्द शांत भी हो गया. इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएं, उनके इस्तेमाल को प्रभावित कर सकती हैं क्योंकि लोगों के मन में डर समा जाएगा.
इलेक्ट्रिक वाहन टेस्ला, पोर्श, ओला, मित्सुबिशी जैसी नामी कंपनियां बनाती हैं. ये वाहन लंबे अनुसंधान के बाद बनाए गए हैं. उन्हें सुरक्षा मानकों पर वर्षों तक परखा गया है और उपयोग में सुरक्षित पाए जाने के बाद ही बाजार में उतारा गया है. पेट्रोल तथा डीजल जैसे पेट्रोलियम पदार्थों के उपयोग से पर्यावरण संतुलन डगमगा रहा है तथा वायु प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.
पेट्रोल तथा डीजल के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल पाया गया. पिछले करीब एक दशक से दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर जोर दिया जाने लगा है. यही नहीं उन्हें बेहतर बनाने के लिए अभी भी शोध जारी है. उम्मीद तो की जा रही है कि अगले दस वर्षों में डीजल-पेट्रोल वाहनों का इस्तेमाल नाममात्र का रह जाएगा तथा उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन ले लेंगे. भारत सरकार का लक्ष्य है कि सन् 2030 तक देश में बिकने वाले दोपहिया वाहनों में 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन हों.
ऐसे में इन वाहनों में आग लगने की घटनाएं सरकार के लक्ष्य को पहुंच से दूर कर सकती हैं. अब तक देश में इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की जो घटनाएं सामने आई हैं उनकी जांच से तो यही निष्कर्ष निकला है कि वे हमारी लापरवाही के कारण हुईं. चाहे कुछ माह पूर्व घटित तमिलनाडु की घटना हो या सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात को सिकंदराबाद की त्रासदी, उसमें घोर लापरवाही ही जानलेवा बनी. तमिलनाडु में इलेक्ट्रिक स्कूटर को घर के अंदर चार्जिंग में लगाकर लोग भूल गए. ओवर चार्जिंग से घर में आग लग गई तथा पिता-पुत्री को जान से हाथ धोना पड़ा.
सिकंदराबाद का अग्निकांड भी ओवर चार्जिंग का ही नतीजा है. वाहन कंपनियां माल बेचते वक्त लिखित रूप से बताती हैं कि उनका प्रयोग कैसे किया जाए. क्या-क्या सावधानियां बरती जाएं और बैटरी की चार्जिंग कितनी की जाए तथा ओवर चार्जिंग के क्या खतरे हो सकते हैं. इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के बाद इन दिशानिर्देशों को कोई ध्यान से नहीं पढ़ता. इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में आग का एक कारण उत्पादन में कुछ खराबी हो सकती है लेकिन उत्पादक कंपनियां बेहद सावधानी बरतती हैं और बैटरी या उत्पादन में जरा सी गड़बड़ी होने पर इलेक्ट्रिक वाहन को वापस मंगवा लेती है.
उपभोक्ता यदि कुछ सावधानियां बरतें तो इलेक्ट्रिक वाहनों में आग की घटनाओं को टाला जा सकता है. मसलन बैटरी की ओवर चार्जिंग न करें, वाहन चलाकर लाने के बाद तुरंत चार्जिंग न करें, इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज धूप में न खड़ा करें. वाहन में ओरिजिनल बैटरी का इस्तेमाल करें, स्थानीय उत्पाद के उपयोग से बचें.
वाहन के साथ मिले चार्जिंग केबल से ही वाहन चार्ज करें आदि. हमें इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के वक्त अपनी जिम्मेदारियों का ध्यान रखना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है. इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों को खुद सजग होने के साथ-साथ दूसरों को भी सजग करना चाहिए.