Lok Sabha Elections 2024: "प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' से बनी है", असदुद्दीन ओवैसी का मोदी सरकार पर हमला
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 9, 2024 01:45 PM2024-05-09T13:45:29+5:302024-05-09T13:53:51+5:30
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए उसे 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' की रिपोर्ट करार दिया है।
हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी और उसे 'व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी' की रिपोर्ट करार दिया।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार रिपोर्ट में हिंदू आबादी की घटती हिस्सेदारी के बारे में पूछे जाने पर ओवैसी ने कहा, "मुझे रिपोर्ट भेजें फिर मैं उस पर जवाब दूंगा। यह किसकी रिपोर्ट है? यह रिपोर्ट किसने बनाई? क्या यह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की ओर से बनाई गई रिपोर्ट है?"
ओवैसी की यह बेहद तीखी टिप्पणी प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की उस रिपोर्ट पर आई है जिसमें कहा गया है कि भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी का हिस्सा 1950 से 2015 के बीच 7.82 प्रतिशत (84.68 प्रतिशत से 78.06) घट गया है। जबकि मुस्लिम आबादी का हिस्सा, जो 1950 में 9.84 प्रतिशत था, वह 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया। इस तरह मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ओवैसी से पहले आज भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा और कहा कि अगर देश को कांग्रेस के भरोसे छोड़ा गया तो फिर हिंदुओं के लिए विश्व में कोई देश नहीं बचेगा।
अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर अमित मालवीय ने ट्वीट किया, "1950 और 2015 के बीच हिंदुओं की हिस्सेदारी 7.8 प्रतिशत कम हो गई। मुस्लिम आबादी 43 प्रतिशत बढ़ गई है। कांग्रेस के दशकों के शासन ने हमारे साथ यही किया है। अगर उन्हें छोड़ दिया जाए तो हिंदुओं के लिए कोई देश नहीं होगा।"
इस बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हिंदू आबादी में कमी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि पार्टी की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण मुस्लिम आबादी बढ़ी है।
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, "यह चिंता का विषय है और जनसंख्या में यह असंतुलन, मुस्लिम आबादी में वृद्धि और हिंदू आबादी में गिरावट सीधे तौर पर कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण हुआ है।"
ईएसी रिपोर्ट के अनुसार 1950 और 2015 के बीच ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गया और इसमें कुल मिलाकर 5.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
वहीं सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत था, जो 2015 में बढ़कर 1.85 प्रतिशत हो गया। इस तरह उसके हिस्से में 6.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यहां तक कि बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में भी वृद्धि दर्ज की गई है, जो 1950 में 0.05 प्रतिशत से बढ़कर साल 2015 में बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो गई है।
दूसरी ओर भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत हो गई है। भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जो 0.03 प्रतिशत से कम हो गई है।