जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: विकास के मॉडल में सुधार कर बनाना होगा समावेशी
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: May 6, 2024 09:59 AM2024-05-06T09:59:36+5:302024-05-06T10:01:09+5:30
इन दिनों देश ही नहीं, पूरी दुनिया में अर्थ विशेषज्ञ टिप्पणी कर रहे हैं कि यदि भारत अपने विकास मॉडल में तेज विकास के साथ समावेशी विकास तथा रोजगार एवं साझी समृद्धि की रणनीति पर तेजी से आगे बढ़े तो वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के सपने को साकार कर सकेगा.
इन दिनों देश ही नहीं, पूरी दुनिया में अर्थ विशेषज्ञ टिप्पणी कर रहे हैं कि यदि भारत अपने विकास मॉडल में तेज विकास के साथ समावेशी विकास तथा रोजगार एवं साझी समृद्धि की रणनीति पर तेजी से आगे बढ़े तो वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के सपने को साकार कर सकेगा. भारत इस समय विकासशील देश है. अब भारत के विकसित राष्ट्र बनने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल होने की संभावनाओं के कई आधार हैं.
भारत दुनिया में वैश्विक सुस्ती की चुनौतियों के बीच आर्थिक विकास की डगर पर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है. हाल ही में 26 अप्रैल को प्रकाशित वैश्विक परामर्श एजेंसी डेलॉयट इंडिया की नई रिपोर्ट के तहत वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7.6 से 7.8 प्रतिशत कर दिया गया है. कहा गया कि भारत में मध्यम आय वर्ग के लोगों की संख्या में तेजी से क्रयशक्ति बढ़ी है.
निश्चित रूप से भारत को विकसित देश बनाने के लिए वर्तमान विकास मॉडल में सुधार करना होगा. विकास मॉडल में समृद्ध भारत के साथ समावेशी भारत की तस्वीर को हरदम सामने रखना होगा. जहां देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाते रहना होगा, वहीं रोजगार वृद्धि व आम आदमी के सशक्तिकरण के अधिक प्रयास करने होंगे.
यद्यपि पिछले 10 वर्षों में बहुआयामी गरीबी में बड़ी कमी आई है, लेकिन अब बकाया 15 करोड़ से अधिक गरीबों को नई मुस्कुराहट देने का जोरदार अभियान आगे बढ़ाना होगा. इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि देश के आम आदमी के कमजोर जीवन स्तर को अच्छे जीवन स्तर में बदला जाए. देश में 19 करोड़ से अधिक महिलाओं को पेड वर्कफोर्स में शामिल करने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना होगा.
हमें विकास के लिए चीन की कम कौशल वाले विनिर्माण की नीति को अपनाने की बजाय हमारे शक्तिशाली सर्विस सेक्टर के जरिये विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना होगा. कई अहम सुधारों को वैधानिक बनाते हुए उनका तेजी से क्रियान्वयन करना होगा. कृषि, श्रमिक, भूमि भ्रष्टाचार के उन्मूलन और अन्य सुधारों की डगर पर तेजी से बढ़ना होगा.
यद्यपि केंद्र सरकार 29 श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में तब्दील करने की महत्वाकांक्षी योजना को आकार देने में सफल रही है, लेकिन ये अब तक लागू नहीं हुई है. ऐसे समय में जब कई देशों की कंपनियां चीन से बड़ी संख्या में उद्योग-कारोबार स्थानांतरित करते हुए दिखाई दे रही हैं तब हम अच्छे श्रम कानूनों से इसका लाभ उठा सकते हैं.
देश के तेज विकास के लिए उभरते क्षेत्रों में शोध एवं विकास क्षेत्र में जरूरी निवेश पर्याप्त नहीं है. शोध एवं विकास के क्षेत्र में भारत का प्रति व्यक्ति व्यय दुनिया में विभिन्न तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है.