लखनऊ के सब्जी विक्रेता ने किया कारनामा, भारत समेत आठ देशों का समय बताने वाली घड़ी बनाई

By भाषा | Published: December 31, 2023 04:43 PM2023-12-31T16:43:09+5:302023-12-31T16:48:27+5:30

अनिल कुमार साहू द्वारा डिज़ाइन की गई घड़ी भारत, दुबई, तोक्यो (जापान), मॉस्को (रूस), बीजिंग (चीन), सिंगापुर, मेक्सिको सिटी (मेक्सिको) ,वाशिंगटन और न्यूयॉर्क (यूएसए) का समय एक साथ दिखाती है।

Vegetable vendor from Lucknow made a clock that tells the time of eight countries including India | लखनऊ के सब्जी विक्रेता ने किया कारनामा, भारत समेत आठ देशों का समय बताने वाली घड़ी बनाई

साहू ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ऐसी एक घड़ी उपहार में दी है

Highlightsअनिल कुमार साहू ने एक ऐसी घड़ी बनाई है जो भारत सहित आठ देशों का समय बताती हैश्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ऐसी एक घड़ी उपहार में दी हैसब्जी बाजार में सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई है

लखनऊ: पुराने जमाने के ‘टू-इन-वन’ म्यूजिक सिस्टम से प्रत्यक्ष तौर पर प्रेरित होकर और कुछ अलग एवं अनोखा करने की गहरी इच्छा रखते हुए लखनऊ के सब्जी विक्रेता अनिल कुमार साहू ने एक ऐसी घड़ी बनाई है जो भारत सहित आठ देशों का समय बताती है। साहू ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ऐसी एक घड़ी उपहार में दी है। अनिल कुमार साहू (52) द्वारा डिजाइन की गई घड़ी लखनऊ के ‘हैनिमैन क्रॉसिंग’ के पास सब्जी बाजार में सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई है और जिज्ञासावश सब्जी खरीदार, दर्शक और साथी दुकानदार लगातार घड़ी की कार्यप्रणाली के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। 

अनिल कुमार साहू द्वारा डिज़ाइन की गई घड़ी भारत, दुबई, तोक्यो (जापान), मॉस्को (रूस), बीजिंग (चीन), सिंगापुर, मेक्सिको सिटी (मेक्सिको) ,वाशिंगटन और न्यूयॉर्क (यूएसए) का समय एक साथ दिखाती है। साहू ने घड़ी की कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि, "घड़ी की खासियत यह है कि इसमें एक कांटा है जो घंटे और मिनट दोनों बताता है। दूसरा कांटा सेकेंड का है, यह दिखाने के लिए दिया गया है कि घड़ी काम कर रही है। यदि भारत में दोपहर 2.30 बजे हैं तो दुबई में उस वक्त दोपहर एक बजा होगा , तोक्यो में शाम छह , मॉस्को में दोपहर 12 , बीजिंग और सिंगापुर में शाम पांच , मेक्सिको सिटी में सुबह तीन और वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में सुबह चार बजे होंगे, इसे घड़ी में एक साथ देखा जा सकता है।" 

साहू ने कहा कि हाल ही में उन्होंने चंपत राय को 75 सेंटीमीटर व्यास वाली इस डिजाइन की एक घड़ी उपहार में दी थी। उन्होंने कहा, "मैंने अक्टूबर 2023 में नवरात्र के दौरान इस घड़ी (75 सेमी) पर काम करना शुरू किया और हाल ही में चंपत राय जी को ऐसी एक घड़ी उपहार में दी।" उपरोक्त देशों को चुने जाने के बारे में पूछे जाने पर साहू ने कहा कि चूंकि ये दुनिया के प्रमुख देश हैं, इसलिए उन्होंने इन्हें चुना। साहू ने यह भी बताया कि घड़ी पहली बार 2018 में उनके द्वारा बनाई गई थी और भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा 'डिजाइन के पंजीकरण का प्रमाण पत्र' दिया गया था। इसमें भारत, चीन, दुबई, मॉस्को और तोक्यो का समय प्रदर्शित हुआ। साहू ने यह भी कहा कि वह ‘जीएमटी’ समय को भी शामिल करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें अधिक धन की आवश्यकता है, क्योंकि उस घड़ी में 24 घंटे का डायल होगा (नियमित 12 घंटे की घड़ी के विपरीत)। इसके अलावा साहू की योजना भविष्य में ऐसी घड़ियां बनाने की भी है, जो 25 देशों का समय बता सकें। 

यह पूछे जाने पर कि किस बात ने उन्हें ऐसी घड़ी डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया साहू ने कहा, "2015 में, मुझे ओमान से मेरे मकान मालिक का फोन आया और समय क्षेत्र के बारे में चर्चा हुई। इसके बाद कई देशों का समय बताने वाली घड़ी डिजाइन करने के विचार ने आकार लिया।" उन्होंने कहा, "पहली घड़ी मैंने लखनऊ के खाटू श्याम मंदिर को दी थी। दूसरी घड़ी बाराबंकी के कोटवा धाम, बाराबंकी के कुंतेश्वर महादेव को उपहार में दी गई। एक घड़ी अयोध्या में चंपत राय को उपहार में दी गई।" उन्‍होंने कहा , "बचपन से ही मेरी चाहत थी कि देश के लिए कुछ अलग करूं, दुनिया से अलग बनूं। मेरे दोस्त मेरी सूझबूझ की तारीफ करते थे।"

उन्होंने कहा, "मैं लापरवाह था और पढ़ाई पर ध्यान नहीं देता था। यह बात मुझे परेशान करती थी और यह सोचने में कि मैं क्या कर सकता हूं, 20-25 साल गुजर गए।’’ कई विचारों को त्यागने के बाद मैंने इस घड़ी को बनाने पर ध्यान केंद्रित किया, जो एक ही समय में कई देशों का समय बता सकती है।"

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए, साहू ने बताया, "मैं आठवीं कक्षा के बाद स्कूल नहीं गया, लेकिन माता-पिता के आग्रह पर फिर से नौवीं कक्षा में दाखिला लिया, और फिर मेरे परिवार के सदस्यों ने मुझसे दो-तीन बार हाईस्कूल का फॉर्म भरवाया लेकिन मैं परीक्षा में असफल रहा।" अनिल साहू ने बेबाकी से कहा, "मैं पढ़ाई में लापरवाह था और मुझे लगता था कि मेरी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की ओर झुकाव ने भी मेरी परेशानियां बढ़ा दीं।" उन्होंने कहा, "इसके अलावा, कोई भी ऐसा नहीं था जो मुझे शिक्षित होने के लाभों के बारे में बता सके। कोई भी मुझे यह बताने वाला नहीं था कि अच्छी शिक्षा नौकरी पाने में मदद करती है।" 

साहू ने कहा, "हम फ़तेहपुर जिले के सखियां गांव से हैं, जहां हमारा जन्म हुआ था। हम वहां 15 साल तक रहे, फिर हम फ़तेहपुर शहर चले गए। हमारा पारिवारिक व्यवसाय ‘दालमोठ’ (नमकीन) बनाना था। हमारे पिता की इच्छा के बावजूद, मेरे भाई और मैं पढ़ाई नहीं कर सके और उन्हें इसका बुरा लगा। 1993 में उनकी मृत्यु के बाद, हम बेरोजगार रहे। मैं 1997 में अपनी पत्नी के साथ लखनऊ आया। 2004 से मैं सब्जियां बेच रहा हूं, और अपनी तीन बेटियों को पढ़ाया है।"

अनिल साहू से लहसुन खरीद रहे गोमतीनगर के वास्तु खंड निवासी हिमांशु वर्मा उत्सुकता से घड़ी की ओर देख रहे थे। उन्होंने कहा, "मैंने लखनऊ के विभिन्न होटल के रिसेप्शन काउंटर पर अलग-अलग घड़ियां देखी हैं, जो दुनिया के विभिन्न प्रमुख शहरों का वर्तमान समय दिखाती हैं। लेकिन ऐसी घड़ी पहली बार देखी है जो एक साथ इतने देशों का समय बता रही है।" 

साहू ने यह भी कहा कि वह व्यावसायिक दृष्टि से ऐसी घड़ियों का निर्माण करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन धन की कमी के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 75 सेंटीमीटर व्यास वाली घड़ी बनाने की लागत औसतन लगभग 3,000 रुपये है। 

Web Title: Vegetable vendor from Lucknow made a clock that tells the time of eight countries including India

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