200 km Green Corridor: 200 किमी का ‘ग्रीन कॉरिडोर’, भोपाल टू इंदौर, शिक्षक की मृत्यु के बाद अंगदान से हासिल गुर्दे से बची जान, जानें सबकुछ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 16, 2024 04:04 PM2024-04-16T16:04:06+5:302024-04-16T16:04:57+5:30

200 km Green Corridor: अंगदान प्राधिकार समिति के सदस्य डॉ. राकेश भार्गव ने बताया कि सागर जिले के एक शासकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हरिशंकर ढिमोले (56) को ‘ब्रेन हेमरेज’ के बाद 12 अप्रैल को भोपाल के बंसल हॉस्पिटल लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्हें दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया गया।

MP 200-km Green Corridor Gives New Lease of Life to Indore Patient organ donation after teacher's death | 200 km Green Corridor: 200 किमी का ‘ग्रीन कॉरिडोर’, भोपाल टू इंदौर, शिक्षक की मृत्यु के बाद अंगदान से हासिल गुर्दे से बची जान, जानें सबकुछ

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Highlightsचिकित्सकों ने सोमवार को ऑपरेशन करके उनके दोनों गुर्दे निकाल लिए। गुर्दा भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में एक जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रतिरोपित किया गया।अंगदान से मिले गुर्दे को भोपाल से इंदौर लाने में महज दो घंटे 45 मिनट लगे।

200 km Green Corridor: मध्य प्रदेश में एक शिक्षक की मृत्यु के बाद अंगदान से हासिल गुर्दे को ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाकर भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर इंदौर पहुंचाया गया, जहां एक अस्पताल में भर्ती मरीज को वह गुर्दा प्रतिरोपित किया गया। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। "ग्रीन कॉरिडोर" बनाने के दौरान पुलिस की मदद से सड़क पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि अंगदान से मिला अंग कम से कम समय में जरूरतमंद मरीज तक पहुंच सके। राज्यस्तरीय अंगदान प्राधिकार समिति के सदस्य डॉ. राकेश भार्गव ने बताया कि सागर जिले के एक शासकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हरिशंकर ढिमोले (56) को ‘ब्रेन हेमरेज’ के बाद 12 अप्रैल को भोपाल के बंसल हॉस्पिटल लाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्हें दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया गया।

उन्होंने बताया कि शोक में डूबे होने के बावजूद ढिमोले के परिजन उनके मरणोपरांत अंगदान के लिए राजी हो गए और शल्य चिकित्सकों ने सोमवार को ऑपरेशन करके उनके दोनों गुर्दे निकाल लिए। भार्गव ने बताया कि इनमें से एक गुर्दा भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में एक जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रतिरोपित किया गया।

जबकि दूसरे गुर्दे को ग्रीन कॉरिडोर बनाक इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया, जहां भर्ती मरीज में उसे प्रतिरोपित किया गया। चोइथराम हॉस्पिटल के उप निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. अमित भट्ट ने बताया,"ग्रीन कॉरिडोर बनाए जाने के चलते अंगदान से मिले गुर्दे को भोपाल से इंदौर लाने में महज दो घंटे 45 मिनट लगे।

जबकि आमतौर पर दोनों शहरों के बीच का फासला साढ़े तीन से चार घंटे में तय होता है।’’ भट्ट ने बताया कि इस गुर्दे को चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती एक जरूरतमंद मरीज के शरीर में प्रतिरोपित किया गया। ढिमोले के बेटे हिमांशु ने कहा,"मेरे पिता के मरणोपरांत अंगदान से दो मरीजों को नयी जिंदगी मिलने की राह आसान हुई है। यह हमारे परिवार के लिए गर्व का विषय है। इस अहसास को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।" 

Web Title: MP 200-km Green Corridor Gives New Lease of Life to Indore Patient organ donation after teacher's death

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