Jharkhand News: कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश कुमार बने चपरासी, भतीजे रामदेव कुमार भोक्ता का नाम वेटिंग लिस्ट में रखा!
By एस पी सिन्हा | Updated: December 2, 2023 19:12 IST2023-12-02T19:11:53+5:302023-12-02T19:12:33+5:30
Jharkhand News: चयन चतरा व्यवहार न्यायालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में हुआ है। वहीं मंत्री के भतीजे रामदेव कुमार भोक्ता का नाम वेटिंग लिस्ट में रखा गया है।

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रांचीः झारखंड के श्रम नियोजन सह प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश कुमार भोक्ता चपरासी बन गए हैं। मुकेश की चतरा सिविल कोर्ट में नौकरी लगी है। उनका चयन चतरा व्यवहार न्यायालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में हुआ है। वहीं मंत्री के भतीजे रामदेव कुमार भोक्ता का नाम वेटिंग लिस्ट में रखा गया है।
मंत्री के बेटे का चतुर्थवर्गीय चपरासी के पद पर चयन होने पर पूरे जिले में चर्चा का बाजार गर्म है। दरअसल, चतरा व्यवहार न्यायालय द्वारा शुक्रवार को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी नियुक्ति परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया है। लोग यह कह रहे हैं कि जो पिता राज्य सरकार में मंत्री होते हुए राज्य के युवाओं को नौकरी देने की बात करते हैं।
उन्हीं का बेटा अब चतरा व्यवहार न्यायालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में कार्य करेगा। शुक्रवार को जारी हुए रिजल्ट में कुल 19 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। इसमें मंत्री सत्यानंद भोक्ता के पुत्र मुकेश कुमार भोक्ता का नाम 13वें नंबर पर है। उनका सेलेक्शन एसटी कोटे के तहत हुआ है।
मंत्री के पुत्र के अलावा उनके भतीजे रामदेव भोक्ता ने भी इस पद के लिए आवेदन किया था। उसका नाम वेटिंग लिस्ट में है। बता दें कि चपरासी के लिए सेलेक्ट हुए मंत्री पुत्र मुकेश भोक्ता की शादी पिछले साल धूमधाम से हुई थी। वैवाहिक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद शामिल हुए थे।
मंत्री पुत्र द्वारा चतुर्थ वर्गीय पद की नौकरी स्वीकार किए जाने पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चा चल रही है। सत्यानंद भोक्ता चतरा विधानसभा सीट से राजद के विधायक हैं। राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में वह 2019 में इस विभाग के मंत्री बनाए गए।
भोक्ता अब तक तीन बार विधायक चुने गए हैं और तीसरी बार मंत्री भी बने हैं। राजद के पहले वह भाजपा और झारखंड विकास मोर्चा में रहे हैं। वर्ष 2004 में तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार में उन्हें पहली बार मंत्री बनाया गया था। तब उन्हें पेयजल एवं स्वच्छता विभाग मिला था।
करीब चार महीने तक वे मंत्री पद रहे थे। 2004 का चुनाव जीतने के बाद अर्जुन मुंडा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार में उन्हें पुन: शामिल किया गया और उस बार उन्हें कृषि एवं गन्ना विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी।