अप्राकृतिक संबंध के दौरान पत्नी का बहने लगा खून, चेकअप के दौरान डॉक्टर ने बताया सच... अब पति मांग रहा तलाक
By अंजली चौहान | Published: May 19, 2024 07:38 AM2024-05-19T07:38:15+5:302024-05-19T07:43:09+5:30
शादी के करीब एक महीने बाद उसने अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए, इस दौरान उसका काफी खून बह गया।
भोपाल: मध्य प्रदेश के भोपाल शहर से पति-पत्नी के बीच तलाक की एक ऐसी वजह सामने आई है जिसने सभी को हैरान कर दिया है। रिश्ते और भरोसे को शर्मसार करती हुई यह खबर एक ऐसे पति कि है जिसने पहले अपनी पत्नी के साथ अप्राकृति संबंध बनाए और उसके बाद उससे तलाक लेने की अर्जी डाल दी।
बताया जा रहा है कि भोपाल जिला परिवार न्यायालय में एक तीस वर्षीय शख्स ने एक साल पहले शादी हुई थी। शादी के करीब एक महीने बाद उसने अपनी 30 वर्षीय पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए, इस दौरान उसका काफी खून बह गया। इसके बाद, दंपति ने एक डॉक्टर से परामर्श किया, जिसने पत्नी को बवासीर से पीड़ित बताया।
बवासीर जैसी आम बीमारी का पता चलने के बाद पति गुस्से से आग बबूला हो गया। गुस्साए पति ने बीमारी का पता चलते ही तलाक लेने का फैसला कर लिया और कोर्ट जा पहुंचा।
दरअसल, पति का आरोप है कि पत्नी या उसके परिजनों ने शादी से पहले यह बात नहीं बताई कि उसे बवासीर की बीमारी है। इसके जवाब में पत्नी का कहना है कि उसे खुद नहीं पता था कि उसे यह समस्या है और डॉक्टर के पास जाने के बाद ही उसे इसका पता चला। हालाँकि, पति ने उस पर विश्वास करने से इनकार कर दिया और आरोप लगाया कि यह तथ्य उसके परिवार द्वारा जानबूझकर छिपाया गया था।
महिला ने पति को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जल्द ही, उसने इस बारे में अपने परिवार को बताया और उन्होंने भी उसे और उसके परिवार को शादी से पहले सभी तथ्यों का खुलासा न करने के लिए ताना देना और दोषी ठहराना शुरू कर दिया। बात यहीं नहीं रुकी। वह आदमी आगे बढ़ा और तलाक की मांग करते हुए पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया।
फैमिली कोर्ट की काउंसलर सिंधु ढोलपुरे ने कहा कि दंपति की काउंसलिंग का पहला दौर खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, "मैंने उस आदमी को समझाने की कोशिश की कि बवासीर कोई गंभीर बीमारी नहीं है, यह किसी को भी हो सकती है और इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।"
काउंसलर ने कहा कि उन्होंने उस व्यक्ति से यह भी कहा कि बवासीर होना तलाक का आधार नहीं है और उसे अदालती मामलों में लड़ने पर पैसा खर्च करने के बजाय अपनी पत्नी का इलाज कराना चाहिए।
फिलहाल कोर्ट पत्नी-पति की काउंसलिंग कर रहा है और पति को समझाया जा रहा है कि तलाक एक बीमारी के आधार पर नहीं किया जा सकता।