Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, पारण का समय और व्रत कथा

By रुस्तम राणा | Published: May 3, 2024 03:23 PM2024-05-03T15:23:36+5:302024-05-03T15:23:50+5:30

Varuthini Ekadashi 2024: शास्त्रों में वर्णित है कि जो कोई वरुथिनी एकादशी व्रत का पालन सच्चे मन से करता है उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और समस्त प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। 

Varuthini Ekadashi 2024: Varuthini Ekadashi fast tomorrow, know the auspicious time, time of Paran and fast story | Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, पारण का समय और व्रत कथा

Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, पारण का समय और व्रत कथा

Varuthini Ekadashi 2024 Date: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह में दो बार एकादशी व्रत आते हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वैशाख माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी व्रत 4 मई, शनिवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसे सौभाग्य प्राप्त करने वाली एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि जो कोई वरुथिनी एकादशी व्रत का पालन सच्चे मन से करता है उसे वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और समस्त प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। 

वरुथिनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय

वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ: 3 मई, रात 11:24 बजे
वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 4 मई, रात 08:38 बजे
त्रिपुष्कर योग: रात 08:38 बजे से 10:07 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 07:18 बजे से 08:58 बजे तक
पारण समय: 5 मई, रविवार, सुबह 05:37 बजे से 08:17 बजे तक

वरुथिनी एकादशी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद कलश की स्थापना करें।
कलश के ऊपर आम के पल्लव, नारियल, लाल चुनरी बांधकर रखें।
धूप, दीप जलाकर बर्फी और खरबूजे के साथ आम का भोग लगाएं।
इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
दिन भर व्रत रख अगले दिन व्रत का पारण करें।

वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मांधाता नर्मदा नदी के तट पर बसे अपने राज्य पर शासन करते थे। वे धार्मिक व्यक्ति थे, पूजा, पाठ, धर्म, कर्म में उनका मन लगता था. वे एक दिन जंगल में गए और वहां तपस्या करने लगे. वे तप में लीन थे, कुछ समय बीतने पर एक भालू आया और उन पर हमला कर दिया।

भालू उनका पैर पकड़कर घसीटने लगा। उन्होंने अपनी ओर से कोई विरोध नहीं किया और तप में लीन रहे, शांत बने रहे। उन्होंने श्रीहरि विष्णु से प्राणों की रक्षा के लिए प्रार्थना की। इस बीच भालू उनको घसीटकर जंगल के काफी अंदर लेकर चला गया। तभी भगवान विष्णु वहां पर प्रकट हुए और उन्होंने अपने चक्र से उस भालू का गला काटकर राजा मांधाता के प्राण बचाए।

भालू के ​हमले में उनका एक पैर खराब हो गया। भालू उसे चबा गया था। यह देखकर राजा मांधाता दुखी हो गए। तब श्रीहरि ने कहा कि तुमने पिछले जन्म में जो कर्म किए थे, उसका ही यह परिणाम है। तुम वरुथिनी एकादशी का व्रत वैशाख के कृष्ण पक्ष की एकादशी को करना। यह व्रत मथुरा में करना और विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा करना। उस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुमको नया शरीर प्राप्त होगा।

श्रीहरि के आदेश अनुसार, वरुथिनी एकादशी के दिन राजा मांधाता मथुरा पहुंचे और विधि विधान से व्रत रखा। भगवान वराह की पूजा की। रात्रि जागरण करके अगले दिन पारण किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा मांधाता को नया शरीर प्राप्त हुआ। उनको सभी प्रकार के सुख मिले. जीवन के अंत में उनको स्वर्ग की प्राप्ति हुई। जो व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसके पाप मिटते हैं और राजा मांधाता के समान सुख प्राप्त करता है।

Web Title: Varuthini Ekadashi 2024: Varuthini Ekadashi fast tomorrow, know the auspicious time, time of Paran and fast story

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