Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष मेले में विश्व के कोने-कोने से गया पहुंचे तीर्थयात्री, सनातन धर्म से प्रेरित होकर विदेशी श्रद्धालु कर रहे हैं पिंडदान, जानें रूस-यूक्रेन युद्ध से क्या है रिश्ता!
By एस पी सिन्हा | Updated: October 11, 2023 17:15 IST2023-10-11T17:14:23+5:302023-10-11T17:15:10+5:30
Pitru Paksha 2023: इस्कॉन के माध्यम से करीब 3 सौ विदेशियों ने पिंडदान किया है। अमेरिका और यूरोपीय देशों से भी लगातार पिंडदानी गया जी पहुंच रहे हैं।

photo-lokmat
Pitru Paksha 2023: बिहार के गयाधाम में चल रहे पितृपक्ष मेले में विश्व के कोने-कोने से आए तीर्थयात्री पिंडदान कर रहे हैं। गैर हिंदू विदेशियों में भी गयाजी आकर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का क्रेज बढ़ा है। इसके लिए वे तीन वर्षों तक सनातन धर्म का पालन कर रहे हैं और नाम व गोत्र भी बदल रहे हैं।
गया में श्राद्ध के लिए ऐसा करना जरूरी है। गया में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए विदेशी विगत दो वर्षों में इस्कॉन संस्था का सहारा भी ले रहे हैं। बताया जाता है कि इस्कॉन के माध्यम से करीब 3 सौ विदेशियों ने पिंडदान किया है। अमेरिका और यूरोपीय देशों से भी लगातार पिंडदानी गया जी पहुंच रहे हैं।
इसी बीच पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गये सैनिकों और आम नागरिकों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए बिहार के गयाजी में तर्पण किया गया। यूक्रेन से आई सामाजिक कार्यकर्ता यूलिया जीटो मेरास स्काई ने विधि विधान के साथ पिंडदान किया।
विदेशों में खासकर यूरोप में सनातन धर्म का प्रसार करने वाले पंडित लोकनाथ गौड़ के मार्गदर्शन में फल्गू नदी के तट पर यूलिया ने पिंडदान किया। कर्मकांड के दौरान उसने भारतीय महिलाओं की तरह कपड़े पहने और सनातन धर्म के सभी नियमों का पालन किया। इसी क्रम में बुधवार को जर्मनी से एक दर्जन श्रद्धालु भी अपने पूर्वजों के पिंडदान और तर्पण करने पहुंचे।
उन्होंने पिंडदान कर्मकांड किया। शहर के फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर पूरे विधि-विधान के साथ पुरोहित लोकनाथ गौड़ के द्वारा पिंडदान कर्मकांड करवाया गया। इन 12 श्रद्धालुओं में एक पुरुष भी शामिल है, जबकि 11 महिलाएं शामिल हैं। विदेशी श्रद्धालुओं ने देवघाट बैठकर करीब 2 घंटे तक वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर्मकांड किया।
विदेशी श्रद्धालु यूलिया, चेटकोवा, अनाको आदि ने बताया कि पिंडदान कर काफी अच्छा लग रहा है। मोक्ष की भूमि पर आकर मां को शांति मिल रही है। पिंडदान कर रहे विदेशी श्रद्धालु ने कहा कि धर्मगुरु नताशा सपरो से प्रेरित होकर कर्मकांड करने के लिए सात समुंदर पार से गया में आई हूं।
कर्मकांड करने से मन में शांति मिल रहा। कर्मकांड के बाद विदेशी श्रद्धालुओं ने फल्गु के पवित्र जल से तर्पण किया। तर्पण के साथ पितरों के मोक्ष की कामना की। विदेशी मेहमान भारतीय परिधान में कर्मकांड कर रहे थे। तर्पण के बाद विदेशी श्रद्धालु विष्णु पद मंदिर स्थित गर्भ गृह में भगवान श्री हरि विष्णु के चरण चिन्ह पर पिंड को अर्पित किया।