Navratri: नवरात्र के पावन महाअष्टमी के दिन करें मां महागौरी की आराधना, मां धन-वैभव एवं सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं, जानिए देवी मां की दिव्य कथा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 16, 2024 06:32 AM2024-04-16T06:32:18+5:302024-04-16T06:32:18+5:30

चैत्र नवरात्र के आठवें दिन नवदुर्गा के महास्वरूपों में महागौरी का पूजन किया जाता है। इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी रंग शंख, चंद्र और कुंद के फूल के समान है।

Navratri: Worship Mother Mahagauri on the holy eighth day of Navratri, Mother Goddess is the presiding deity of wealth, prosperity and happiness and peace, know the divine story of the Goddess | Navratri: नवरात्र के पावन महाअष्टमी के दिन करें मां महागौरी की आराधना, मां धन-वैभव एवं सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं, जानिए देवी मां की दिव्य कथा

फाइल फोटो

Highlightsचैत्र नवरात्र के आठवें दिन नवदुर्गा के महास्वरूपों में महागौरी का पूजन किया जाता हैमां महागौरी को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता हैमान्यता है कि मां की आराधना मात्र से सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है

Navratri: चैत्र नवरात्र के आठवें दिन नवदुर्गा के महास्वरूपों में महागौरी का पूजन किया जाता है। इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी रंग शंख, चंद्र और कुंद के फूल के समान है। इन्हें अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।

मां महागौरी के पूजन से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मान्यता है कि मां की आराधना मात्र से सभी प्रकार के कष्टों का नाश होता है और भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

मां महागौरी की पूजा नवरात्र के आठवें दिन इसलिए की जाती है क्योंकि उत्पत्ति के समय मां महागौरी की आयु आठ वर्ष की थी। नवरात्र के आठवें दिन महागौरी का पूजन करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। मां अपने भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप है। इसीलिए भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह धन वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी है।

मां भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख को पास नहीं आने देती हैं। सच्चे मन से मां की भक्ति करने वाला उनके आशीर्वाद से सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। कहते है जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं, उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वंय करती हैं। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी महागौरी के अंश से कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुंभ-निशुंभ का अंत किया। महागौरी ही महादेव की पत्नी शिवा व शांभवी हैं।

माता महागौरी का मंत्र

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

मां महागौरी की पावन कथा

मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव के वरण हेतु ध्यानमग्न थीं। जिसे देखकर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर पार्वती जी को देखते हैं और कुछ कहते हैं। जिससे देवी पार्वती के मन आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं।

इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहंचते हैं। वहां पहुंचे तो वो पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं।

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।

महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए, वहीं बैठ गया लेकिन इंतजार करते-करते वह काफी कमज़ोर हो गया।

देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आयी और मां उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही है।

मां महागौरी स्तोत्र

ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।

हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके ॥

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।

शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके ॥

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले ।

सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये ॥ 

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते ।

पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम् ॥ 

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।

संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् ॥ 

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।

प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे ॥

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम् ।

वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने ॥

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले ।

॥ इति मंगलागौरी स्तोत्रं सम्पूर्णं ॥

Web Title: Navratri: Worship Mother Mahagauri on the holy eighth day of Navratri, Mother Goddess is the presiding deity of wealth, prosperity and happiness and peace, know the divine story of the Goddess

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