Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी पर बन रहे हैं कईं शुभ योग, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और कथा
By रुस्तम राणा | Published: May 16, 2024 03:04 PM2024-05-16T15:04:30+5:302024-05-16T15:04:30+5:30
Mohini Ekadashi 2024 Date: वैशाख मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस साल मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई, रविवार को रखा जाएगा।
Mohini Ekadashi 2024: वैशाख मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से एकादशी व्रत किया जाता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता है इसी दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन से अमृत कलश से निकले अमृत को देवों को पिलाने के लिए मोहिनी अवतार लिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिली है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई, रविवार को रखा जाएगा।
मोहिनी एकादशी पर बन रहे हैं कईं शुभ योग
इस बार मोहिनी एकादशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में किए गए व्रत-पूजा, उपाय का फल कईं गुना होकर मिलेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, मानस और पद्म नाम के 4 शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी काम सफल होते हैं और अमृत सिद्धि योग में किए गए उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त 2024
एकादशी तिथि प्रारंभ: 18 मई, शनिवार को प्रातः 11 : 23 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 19 मई, रविवार को दोपहर 01:50 बजे
व्रत पारण का समय: रविवार की सुबह 05:28 बजे से 08:12 बजे तक
मोहिनी एकादशी व्रत विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल भगवान विष्णु की मूर्ति पूजा चौकी पर स्थापित करे।
विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु की आरती के बाद भोग लगाएं।
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
विष्णु भगवान के भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं।
रात्रि को भगवान विष्णु जी की पूजा के पश्चात पलाहार करें
अगले दिन पारण के लिए शुभ मुहूर्त में तुलसी दल खाकर व्रत का पारण करें।
उसके बादृ ब्राह्मण को भोजन कराकर खुद भी भोजन करें।
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा
प्राचीन काल में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर था। वहां धनपाल नाम का वैश्य रहता था। वह सदा पुण्य कार्य करता था। उसके पांच बेटे थे। सबसे छोटा बेटा हमेशा पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह नगर वधू के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया।
वैश्य का बेटा अब दिन-रात शोक में रहने लगा। एक दिन महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। कौण्डिल्य ऋषि गंगा में स्नान करके आए थे। वह मुनिवर कौण्डिल्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया कीजिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।'
तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। तब उसने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे उसके सारे पाप कट गए और वह विष्णु धाम चला गया।