Kalashtami 2024: कालाष्टमी व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और प्रसाद आदि के नियम
By रुस्तम राणा | Published: April 30, 2024 03:48 PM2024-04-30T15:48:40+5:302024-04-30T15:48:40+5:30
Kalashtami Vrat 2024: वैशाख माह का कालाष्टमी व्रत 01 मई (बुधवार) को पड़ा रहा है। इस दिन भगवान शिव के एक रूप काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है।
Kalashtami Vrat 2024: हर माह कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि कालाष्टमी व्रत रखा जाता है और इस समय वैशाख माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है। वैशाख माह का कालाष्टमी व्रत 01 मई (बुधवार) को पड़ा रहा है। इस दिन भगवान शिव के एक रूप काल भैरव की पूजा करने का विशेष महत्व है। काल भैरव को शिव का पांचवां अवतार माना गया है। मान्यता है कि काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के क्रोध से हुई थी। कहते हैं कि काल भैरव की विधिवत पूजा से व्यक्ति के मन में भय दूर होता है और तमाम मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही काल भैरव की पूजा करने वालों से नकारात्मक शक्तियां भी दूर रहती हैं। यही नहीं, काल भैरव की पूजा से शनि और राहू जैसे ग्रह भी शांत हो जाते हैं।
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर 1 मई, 2024 की सुबह 5.45 बजे से कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी, जो अगले दिन 2 मई की सुबह 4.01 बजे तक रहेगी। बुधवार को ही काल भैरव देव की पूजा की जाएगी। वैसे तो इस दिन में किसी भी समय भगवान की आराधना कर सकते हैं। किंतु विद्वान पंडितों का मानना है कि इस व्रत का पूरा लाभ पाने के लिए प्रदोष काल में पूजा करना सबसे अच्छा साबित होगा।
कालाष्टमी व्रत 2024 की पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन शुद्ध मन से व्रती को उपवास करना चाहिए।
भगवान भैरव की पूजा करें और उन्हें जल चढ़ाएं, साथ ही भैरव कथा का पाठ करें।
साथ ही भगवान शिव सहित माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
कालाष्टमी व्रत में रात 12 बजे के बाद घंटा बजाकर आरती करें।
माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनकर रात्रि जागरण करना चाहिए।
कालाष्टमी व्रत का प्रसाद
काल भैरव की पूजा में प्रसाद के तौर पर उड़द और इससे बनी चीजें चढ़ाने का विधान है। इसमें इमरती, दही बड़े आदि भी शामिल हैं। साथ ही उन्हें अबीर और गुलाल सहित चमेली का फूल भी चढ़ाया जाता है। कई जगहों पर काल भैरव को बकरे की बलि भी दी जाती है। साथ ही शराब का प्रसाद भी काल भैरव को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शराब के प्रसाद से काल भैरव जल्द प्रसन्न होते हैं। इस दिन मंदिर में काजल और कपूर के दान की भी मान्यता है।