Bengaluru water crisis: घर से ही काम, एक दिन छोड़कर एक दिन स्नान, सप्ताह में दो दिन बाहर भोजन, डिस्पोजेबल बर्तनों का प्रयोग, अभिनव तरीके निकाल रहे हैं बेंगलुरु निवासी, देखें वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Published: March 29, 2024 12:03 PM2024-03-29T12:03:09+5:302024-03-29T12:04:36+5:30
Bengaluru water crisis: जल संकट की रिपोर्ट सामने आने के बाद शीर्ष स्तरीय प्रौद्योगिकी कंपनियों से संपर्क किया है।
Bengaluru water crisis: कर्नाटक के बेंगलुरु में पानी को लेकर हाहाकार है। इस बीच केरल के उद्योग और कानून मंत्री पी राजीव ने बेंगलुरु आईटी कंपनियों को राज्य में आमंत्रित कर रहे हैं। मंत्री गहरे जल संकट का सामना कर रही बेंगलुरु की प्रमुख आईटी कंपनियों को लुभा रहे हैं। राजीव ने बताया, "बेंगलुरु में जल संकट की रिपोर्ट पढ़ने के बाद हमने आईटी कंपनियों को पत्र लिखकर उन्हें सभी सुविधाओं के साथ-साथ भरपूर पानी की पेशकश की है।" मंत्री ने कहा कि हमारे राज्य में बड़ी और छोटी 44 नदियां हैं, इसलिए पानी कोई मुद्दा नहीं है। इस बीच पानी को लेकर बेंगलुरु को लोग कुछ अलग कर रहे हैं।
भीषण जल संकट से निपटने के लिए वहां के नागरिक घर से ही काम करने से लेकर एक दिन छोड़कर एक दिन स्नान करने, सप्ताह में दो दिन बाहर से भोजन मंगाने, डिस्पोजेबल बर्तनों का प्रयोग करने जैसे तमाम अभिनव उपाय कर रहे हैं। जल संकट बेंगलुरुवासियों विशेषकर व्हाइटफील्ड, केआर पुरम, इलेक्ट्रॉनिक सिटी, आरआर नगर, केंगेरी और सीवी रमन नगर में रहने वाले लोगों के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गया है। जल संचयन सुविधाओं वाले ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी अब पेयजल के लिए पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं।
ऐसे में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। बेंगलुरु में स्थित भोजनालय पानी के अधिक उपयोग से बचने के लिए डिस्पोजेबल कप, गिलास और प्लेटों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। बेंगलुरु में गहराए जल सकंट को लेकर कई विद्यालय और बिल्डिंग एसोसिएशन 'बारिश नहीं तो पानी नहीं', 'हर जगह पानी ही पानी लेकिन पीने के लिए एक बूंद भी नहीं', 'पानी का संरक्षण करें' जैसे कई तरह से पोस्टरों के माध्यम से इस विषय पर अपनी बात रख रहे हैं। जल संकट के कारण शहर के एक कोचिंग सेंटर ने हाल में अपने छात्रों को एक सप्ताह के लिए ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए कहा है।
इसी तरह बन्नेरघट्टा रोड पर एक विद्यालय भी बंद कर दिया गया उन्होंने भी छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई करने के लिए कहा है, जैसा कि वे कोविड महामारी के दौरान करते थे। केआर पुरम में रह रहे कुछ निवासी वैकल्पिक दिनों में स्नान कर रहे हैं, घर पर खाना पकाने के बजाय सप्ताह में दो बार खाना ऑर्डर कर रहे हैं और अपने किरायेदारों पर पानी के उपयोग पर कई तरह की पाबंदी लगायी गयी है। लोगों का कहना है कि उन्हें टैंकर के पानी के लिए अधिक भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि सरकार ने दरें तय कर दी हैं।
केआर पुरम की निवासी सुजाता ने कहा कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है ऐसे में रोजाना स्नान किए बिना नहीं रहा जा सकता है, लेकिन उनके पास वैकल्पिक दिनों में स्नान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम क्या करें? मेरे स्कूल जाने वाले दो बच्चे हैं, साथ ही हमें घर का काम भी करना होता है। बर्तन साफ़ करें, खाना पकाएं, कपड़े धोएं...इसलिए, हमने कागज की प्लेटों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, इस तरह हमने अपने पानी के उपयोग में कटौती कर दी है और हम सप्ताह में दो बार खाना ऑर्डर करते हैं।’’
शहर में व्याप्त जल सकंट के कारण हुई लोगों की दुर्दशा के लिए पिछले साल हुई कम बारिश को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। केंगेरी के एक अपार्टमेंट में रहने वाली गृहिणी शोभा ने कहा, ‘‘हमारे अपार्टमेंट में वर्षा जल संचयन की सुविधाएं हैं, लेकिन पिछले बारिश कम हुई इसलिए सुविधा होने के बावजूद हम पानी जमा नहीं कर पाए।
अब बिल्डिंग एसोसिएशन ने हमें पानी का सही तरीके से उपयोग करने के लिए कहा है। अब हमें एक निर्दिष्ट अंतराल पर पानी का उपयोग करना है।’’ सिंगसांद्रा में रहने वाली एक आईटी पेशेवर लक्ष्मी वी ने अपनी कंपनी से घर से काम करने की अनुमति देने के लिए कहा है।
जिससे वह और उनका परिवार बेंगलुरु में स्थिति बेहतर होने तक अस्थायी रूप से तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में अपने मूल स्थान पर स्थानांतरित हो सकें। जल संकट के बारे में बच्चों को जागरूक करने और शिक्षित करने के लिए भवन निर्माण संघों और स्कूलों ने अपने परिसरों में पोस्टर लगाना शुरू कर दिया है, जिसमें वह जल संरक्षण के जरूरी उपायों में बारे में जानकारी दे रहे हैं।
केआर पुरम और व्हाइटफील्ड के कुछ निवासियों ने कहा कि वे 24 घंटे पानी की उपलब्धता वाले स्थान पर स्थानांतरित होने का प्रयास कर रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, शहर के कुछ मॉल ने जल संकट प्रभावित क्षेत्रों में दुकानों और इमारत के कर्मचारियों को आपात स्थिति में अपने शौचालयों का उपयोग करने की सुविधा दी है।
कर्नाटक राज्य होटल व्यवसायी संघ के अध्यक्ष चन्द्रशेखर हेब्बार ने बताया, ‘‘हमारे अधिकांश बोरवेल सूख गए हैं और हम पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। अगर उगादी उत्सव (अगले महीने) के आसपास बारिश नहीं होती है, तो हमें वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी।’’
सरकार स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है। नगर निगम के अधिकारियों ने शहर के भूजल स्रोतों में फिर से पानी आने के उद्देश्य से सूखे जलाशयों को प्रति दिन 1,30 करोड़ लीटर शोधित पानी से भरने का फैसला किया है, जहां लगभग 50 प्रतिशत बोरवेल सूख गए हैं।
(इनपुट एजेंसी)