पीएम की परिषद ने बेरोजगारी और आय में अंतर पर जताई चिंता, शहरी रोजगार की गारंटी और आय योजना लाने का सुझाव दिया

By विशाल कुमार | Published: May 19, 2022 07:26 AM2022-05-19T07:26:06+5:302022-05-19T07:29:53+5:30

देश में आय वितरण में अचानक आए बदलाव का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में सामाजिक क्षेत्र पर न्यूनतम आय और अधिक सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए कदम उठाने की भी सिफारिश की गई ताकि कमजोर वर्गों को अचानक झटका लगने और उन्हें गरीबी में धकेले जाने से बचाया जा सके।

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पीएम की परिषद ने बेरोजगारी और आय में अंतर पर जताई चिंता, शहरी रोजगार की गारंटी और आय योजना लाने का सुझाव दिया

Highlightsभारत में असमानता की स्थिति शीर्षक वाली रिपोर्ट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने जारी की।शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 6-7 प्रतिशत था।शीर्ष 1 फीसदी का आय की तुलना में सबसे नीचे की आबादी के वेतन में वृद्धि नहीं हुई है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को शहरी बेरोजगारों के लिए एक गारंटीकृत रोजगार कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और आय में अंतर को कम करने के लिए एक सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूबीआई) योजना शुरू करनी चाहिए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देश में आय वितरण में अचानक आए बदलाव का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में सामाजिक क्षेत्र पर न्यूनतम आय और अधिक सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए कदम उठाने की भी सिफारिश की गई ताकि कमजोर वर्गों को अचानक झटका लगने और उन्हें गरीबी में धकेले जाने से बचाया जा सके।

भारत में असमानता की स्थिति शीर्षक वाली रिपोर्ट गुड़गांव स्थित प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान द्वारा तैयार की गई है और बुधवार को ईएसी के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय द्वारा जारी की गई।

परिषद ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के तीन सालों के परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि तीन वर्षों से 2019-20 में, बहुत मामूली बदलावों को छोड़कर, शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास अर्जित कुल आय का 6-7 प्रतिशत था, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत के पास एक तिहाई था।

बता दें कि, बीते तीन वर्षों से 2019-20 तक देश की कुल आय में शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी का हिस्सा 6.14 प्रतिशत से बढ़कर 6.82 प्रतिशत हो गया।

हालांकि, इसने कहा कि हालांकि शीर्ष 10 प्रतिशत की आय हिस्सेदारी 2017-18 में 35.18 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 32.52 प्रतिशत हो गई, लेकिन इसके परिणामस्वरूप सबसे नीचे की आबादी के वेतन में वृद्धि नहीं हुई है।

इसमें कहा गया कि 2017-18 से 2019-20 के बीच शीर्ष 1 प्रतिशत की आय में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि नीचे के 10 प्रतिशत ने (अपनी आय हिस्सेदारी में) लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।

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