सुप्रीम कोर्ट के एक और फैसले के खिलाफ बिल ला रही मोदी सरकार! निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति का मामला, कांग्रेस का हल्ला बोल
By विनीत कुमार | Published: August 10, 2023 01:08 PM2023-08-10T13:08:31+5:302023-08-10T13:14:28+5:30
चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति के सदस्य के रूप में भारत के चीफ जस्टिस को हटाने के लिए केंद्र सरकार एक बिल लाने की तैयारी में है।
नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन समिति के सदस्य के रूप में भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
रिपोर्ट्स के अनुसार नए विधेयक में प्रावधान है कि चुनाव आयुक्तों का चयन एक पैनल द्वारा किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। इसे लेकर विरोध भी शुरू हो गया है।
दरअसल, सरकार मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन के लिए गुरुवार को राज्यसभा में एक विधेयक पेश करेगी। राज्यसभा की संशोधित कार्यसूची के अनुसार विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ‘ मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023’ पुन:स्थापित करेंगे।
मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका मकसद मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना है। न्यायालय ने फैसला दिया था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
कांग्रेस ने जताया कड़ा ऐतराज
इस बीच कांग्रेस ने सरकार द्वारा लाए जाने वाले विधेयक को ‘असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित’ करार देते हुए कहा कि वह इसका हर मंच पर विरोध करेगी। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने यह आरोप भी लगाया कि यह कदम निर्वाचन आयोग को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास है।
वेणुगोपाल ने ट्विटर पर पोस्ट किया, 'यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का खुला प्रयास है। उच्चतम न्यायालय के मौजूदा फैसले का क्या, जिसमें एक निष्पक्ष आयोग की आवश्यकता की बात की गई है? प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है?'
उन्होंने कहा, 'यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है। हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे।'
(भाषा इनपुट)