Rajgarh Lok Sabha Seat: दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए भाजपा का चक्रव्यू, न मोदी की गारंटी न कांग्रेस का वचन, राजगढ़ के रण में दिग्गी राजा ही मुद्दा

By नईम क़ुरैशी | Published: May 4, 2024 06:42 PM2024-05-04T18:42:34+5:302024-05-04T18:45:17+5:30

1984 में यहां से पहला चुनाव जीतकर प्रदेश की राजनीति के चाणक्य बने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अभिमन्यु बनाने के लिए भाजपा ने जो चक्रव्यू रचा है, उसे भेदने में दिग्गी राजा ने अपना पूरा राजनीतिक कौशल लगा दिया है।

Lok Sabha Polls 2024 BJP's Chakravyu to corner Digvijay Singh, neither Modi's guarantee nor Congress's promise, Diggi Raja is the issue in the battle of Rajgarh | Rajgarh Lok Sabha Seat: दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए भाजपा का चक्रव्यू, न मोदी की गारंटी न कांग्रेस का वचन, राजगढ़ के रण में दिग्गी राजा ही मुद्दा

Rajgarh Lok Sabha Seat: दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए भाजपा का चक्रव्यू, न मोदी की गारंटी न कांग्रेस का वचन, राजगढ़ के रण में दिग्गी राजा ही मुद्दा

Highlightsभाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय मुद्दों के बजाय राजगढ़ लोकसभा में दिग्विजय सिंह के चर्चे हैंभाजपा उम्मीदवार रोडमल नागर संघ और संगठन के भरोसे हैं जबकि दिग्विजय सिंह कमजोर कांग्रेस संगठन के चलते खुद चुनाव की कमान संभाले हुए हैं

राजगढ़: मप्र में कांग्रेस कमज़ोर होने के बावजूद राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी की दुखती नस बन गई है। वजह 77 साल के दिग्विजय सिंह ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। 1984 में यहां से पहला चुनाव जीतकर प्रदेश की राजनीति के चाणक्य बने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अभिमन्यु बनाने के लिए भाजपा ने जो चक्रव्यू रचा है, उसे भेदने में दिग्गी राजा ने अपना पूरा राजनीतिक कौशल लगा दिया है। तीसरे चरण में 7 मई को होने जा रहे मतदान से पहले दिग्विजय सिंह और भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है।

भाजपा और कांग्रेस के केंद्रीय मुद्दों के बजाय राजगढ़ लोकसभा में दिग्विजय सिंह के चर्चे हैं और वे ही मुद्दा भी हैं। भाजपा उम्मीदवार रोडमल नागर संघ और संगठन के भरोसे हैं और वाहनों के काफिले के साथ मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं, जबकि दिग्विजय सिंह कमजोर कांग्रेस संगठन के चलते खुद चुनाव की कमान संभाले हुए हैं और पदयात्राओं के ज़रिये नुक्कड़ सभाओं में जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। भाजपा नेताओं की तमाम कोशिशों के बावजूद यहां चुनाव दोनों उम्मीदवार और स्थानीय मुद्दों पर ही हो रहा है। 

भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर 10 साल से सांसद हैं और तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उनके विरुद्ध मतदाताओं की नाराजगी दिग्विजय सिंह के लिए संजीवनी साबित हो सकती है। जबकि भाजपा उम्मीदवार के विरुद्ध एंटी इन्कम्बेंसी को कम करने के लिए भाजपा ने दिग्विजय सिंह को सनातन विरोधी बताकर अपने प्रचार को धार देना शुरू कर दिया है। 

सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज भी तेर रहे हैं। रोडमाल नागर से नाराज़गी के बावजूद दिग्विजय सिंह से अदावत के चलते संघ, अनुषांगिक संगठनों के साथ प्रचार में कूद गया है। राम मंदिर, हिन्दू-मुस्लिम को हवा दी जा रही है। मगर ध्रुवकरण के इस प्रचार की धार उतनी तेज़ नही दिखाई पड़ रही है और लोग भाजपा उम्मीदवार की 10 साल की उपलब्धि का हिसाब मांग रहे हैं।

कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह जहां दो बार राजगढ़ से सांसद और दो ही बार मप्र के मुख्यमंत्री रहे हैं, वहीं रोड़मल नागर भी दो बार सांसद बनने के बाद तीसरी बार अपना भाग्य आज़मा रहे हैं। दोनों के बीच संगठन का फर्क है। भाजपा संगठन की पहुंच शहर से लेकर गांव तक है, जबकि कांग्रेस इसकी तुलना में कहीं नही ठहरती। मगर ग्राउंड पर दिग्विजय सिंह की व्यक्तिगत पहुंच ज़रूर शहर के मोहल्लों से लेकर गांव की गलियों और यहां तक कि टोले, मंजरे तक है। 

दो बार मोदी लहर में सांसद बने रोड़मल नागर तीसरी बार भी मोदी मैजिक के भरोसे हैं। जबकि दिग्विजय सिंह 10 साल मप्र के मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद रहते अपने काम के भरोसे जनसमर्थन मांग रहे हैं। क्षेत्र के 45 से 75 वर्ष के मतदाताओं में दिग्विजय सिंह का पलड़ा भारी दिखता है, तो रोड़मल नागर मोदी मैजिक को सामने रखकर राम मंदिर निर्माण, धारा 370 आदि के साथ कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह की हिन्दू विरोधी छवि दिखाकर युवाओं और धार्मिक मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की रणनीति पर चल रहे हैं।

राजगढ़ में टूट गए जाति समाज के बंधन

दरअसल ऐसा कोई चुनाव नही, जिसमें जाति और अब तो धर्म का झोंक लगाकर जीत की दहलीज़ तक पहुंचा जाता है। राजगढ़ देश में शायद पहला संसदीय क्षेत्र होगा, जहां कोई ये दावा नही कर सकता कि फलां जाति या समाज के वोट भाजपा या कांग्रेस के उम्मीदवार को थोकबंद मिलने जा रहे हैं। पूर्व के चुनाव पर नज़र डालें तो राजगढ़ में भाजपा को 65 प्रतिशत से ज़्यादा वोट मिला, जिसमें वहां की बाहुल्य जातियों ने खुलकर बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन किया। मगर इसबार ये परिस्थिति नही दिखतीं। दिग्विजय सिंह के मैदान में आने से ये समीकरण बदल गए हैं। 

राजगढ़ लोकसभा में करीब करीब हर समाज निवास करता है, जिसमें सोंधिया, मीणा, दांगी, गुर्जर, ब्राह्मण, यादव, पाटीदार, राजपूत, जैन, बनिया और मुस्लिम के अलावा बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति, जनजाति शामिल हैं। पूर्व के चुनाव में बाहुल्य जातियों का समर्थन भाजपा को मिलता रहा और उसके उम्मीदवार आसानी से जीतते रहे। मगर इस चुनाव में दिग्विजय सिंह के मैदान में होने और सभी जातियों में उनके समर्थकों की मौजूदगी से कोई भी जाति के मतदाता एक तरफ़ा नही दिखाई पड़ रहे हैं। 

यहां दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते राजगढ़ को राजधानी भोपाल में विशेष दर्जा दिया हुआ था। यहां के लोगों के काम प्राथमिकता से होते थे। कुल मिलाकर एक पार्टी से बंधे रहकर वोट करने का बंधन राजगढ़ में टूट गया है। परिणाम स्वरूप यहां मुकाबला बहुत दिलचस्प और चौंकने वाले परिणाम वाला हो गया है।

नौकरी पानी और इलाज का फ़ायदा मिल सकता है दिग्विजय सिंह को

10 वर्ष मप्र का मुख्यमंत्री रहते दिग्विजय सिंह ने क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई परियोजनाओं के लिए काफ़ी काम किया था। गांव गांव में हैण्डपम्प और टंकियों के निर्माण से लोगों को काफ़ी राहत मिली थीं। जबकि नदी नालों पर स्टाप डेम के निर्माण से फ़सल का रकबा भी बहुत बढ़ा था। साथ ही गांव के बेरोज़गारों को गांव में ही नौकरी की स्कीम ने कई युवाओं को रोज़गार दिया था। 

संविदा के तहत शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और विभिन्न विभागों में नौकरी से लगे लोग दिग्विजय सिंह से प्रभावित नज़र आये। वहीं लोगों के ईलाज के लिए दिग्विजय सिंह ने भोपाल में अलग से व्यवस्था की हुई थी, जिसका लाभ हज़ारों लोगों को मिला। अगर इस फैक्टर के साथ उनका राजगढ़ के लोगों से सीधा जुड़ाव चुनाव में सफलता दिला सकता है।

बराबर की टक्कर कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा की जीत हुई

राजगढ़ लोकसभा सीट तीन जिलों और तीन अंचल में फैली है। इसमें गुना जिले की सीटें चाचौड़ा और राघौगढ़ हैं। गुना को ग्वालियर अंचल का हिस्सा माना जाता है। राजगढ़ जिले की 5 विधानसभा सीटें नरसिंहगढ़, ब्यावरा, राजगढ़, खिलचीपुर और सारंगपुर हैं। यह मध्य भारत अंचल का हिस्सा हैं। वहीं सुसनेर विधानसभा आगर मालवा जिले की है जो मालवा अंचल के तहत आती है। राजगढ़ में विधानसभा में ताकत के लिहाज से भले भाजपा बढ़त में है। पिछले दो लोकसभा चुनाव भाजपा के रोड़मल नागर जीते भी हैं, लेकिन इस सीट का मिजाज भाजपाई नहीं है। 

1984, 1991 में यहां से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह जीते तो 1996, 1998 और 1999 में लगातार दिग्विजय के अनुज लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। इसके बाद लक्ष्मण भाजपा में शामिल हो गए और 2004 का लोकसभा चुनाव भाजपा के  टिकट पर जीते। लेकिन 2009 में कांग्रेस के नारायण सिंह अमलावे ने उन्हें हरा दिया।

दिग्गी के लिए अमृता सिंह और जयवर्धन ने संभाली कमान रोडमल के लिए अमित शाह और संघ-भाजपा

वैसे तो दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की वजह से राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस गुटबाज़ी से बची हुई है और क्षेत्र का हर कांग्रेसी प्रचार अभियान से जुड़ा हुआ है। दिग्विजय सिंह की पत्नि अमृता सिंह और राघौगढ़ के विधायक जयवर्धन सिंह ने भी प्रचार की कमान संभाल रखी है। अमृता सिंह 40, 42 डिग्री तापमान के बीच जनसम्पर्क कर रही हैं। वे महिलाओं के बीच पहुंचकर कांग्रेस की गारंटी के साथ दिग्विजय सिंह की लंबी जनसेवा का उल्लेख कर रही हैं। उनका कहना है कि राजा साहब ने अपने राजनैतिक जीवन को जनसेवा के लिए समर्पित किया है और बगैर जाति, धर्म का भेदभाव कर सर्वहारा वर्ग की लड़ाई लड़ी है। 

उधर, विधायक जयवर्धन सिंह अपने पिता के लिए कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं के साथ मतदाताओं के बीच पहुंच रहे हैं। राजगढ़ में खुद दिग्विजय सिंह के अलावा राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट ने सभा की हैं। उल्लेखनीय है राजगढ़ लोकसभा की बड़ी सीमा राजस्थान से लगती है। भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए गृह मंत्री अमित शाह से लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीड़ी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ संघ और भाजपा का पूरा केडर मैदान में है। 

दरअसल ये मुकाबला दिग्विजय सिंह और रोडमल नागर के बीच नही, बल्कि भाजपा, संघ और उसके अनुषांगिक संगठन हो गया है। भाजपा ने राजगढ़ को प्रतिष्ठा बना लिया है, जबकि दिग्विजय सिंह इस चुनाव को भाजपा उम्मीदवार और उसकी 10 वर्ष की कार्यप्रणाली, उपलब्धि और दोनों के व्यक्तित्व का बनाने में लगे हैं। उन्होंने भाजपा की कोशिशों के बावजूद मोदी बनाम दिग्विजय सिंह को हावी नही होने दिया है।

Web Title: Lok Sabha Polls 2024 BJP's Chakravyu to corner Digvijay Singh, neither Modi's guarantee nor Congress's promise, Diggi Raja is the issue in the battle of Rajgarh

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे