Lok Sabha Elections 2024: पूर्व पीएम देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना हुए फरार, 'अश्लील वीडियो' की जांच एसआईटी को दिये जाने के बाद भागे विदेश
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 28, 2024 10:56 AM2024-04-28T10:56:19+5:302024-04-28T11:02:25+5:30
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना देश छोड़कर भाग गए हैं क्योंकि कर्नाटक सरकार ने उनके कथित "अश्लील वीडियो" विवाद में विशेष जांच दल गठित कर दिया है।
बेंगलुरु: पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना देश छोड़कर भाग गए हैं क्योंकि कर्नाटक सरकार ने उनके कथित "अश्लील वीडियो" विवाद में विशेष जांच दल गठित कर दिया है।
समाचार वेबसाइट इंडिया टुडे टीवी के अनुसार जेडीएस सांसद 26 अप्रैल को कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक दो दिन पहले कथित अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से विवादों में फंस गये थे। सूत्रों के अनुसार मामले में एसआईटी गठित होने के बाद प्रज्वल रेवन्ना आज सुबह बेंगलुरु से फ्रैंकफर्ट के लिए रवाना हो गये।
इस बीच जेडीएस ने सुबह पार्टी मुख्यालय में एक आपातकालीन प्रेस बैठक बुलाई है क्योंकि बीते शनिवार को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा बताया गया कि हसन जिले में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी बना दी गई है, जो इस केस की जांच करके आरोपियों को कानून सम्मत सजा दिलाएगी।
वहीं जेडीएस और भाजपा दोनों के चुनाव एजेंट पूर्णचंद्र तेजस्वी एमजी ने शिकायत दर्ज कराई कि नवीन गौड़ा और कई अन्य लोगों ने प्रज्वल रेवन्ना को बदनाम करने के उद्देश्य से कथित अश्लील वीडियो प्रसारित किया है।
पूर्णचंद्र तेजस्वी एमजी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है, "नवीन गौड़ा और अन्य ने वीडियो और फोटो में छेड़छाड़ की है और प्रज्वल रेवन्ना को बदनाम करने के लिए वीडियो हसन लोकसभा क्षेत्र में पेन ड्राइव, सीडी और व्हाट्सएप के माध्यम से मतदाताओं के बीच बंटवाया है। वे लोगों से उन्हें वोट न देने के लिए कह रहे हैं।"
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ट्वीट किया कि सरकार ने अश्लील वीडियो मामले में एक विशेष जांच दल बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "हसन जिले में एक अश्लील वीडियो क्लिप प्रसारित हो रहा है, जिसमें ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न किया गया है। इसी पृष्ठभूमि में महिला आयोग की अध्यक्ष ने एसआईटी जांच कराने के लिए सरकार को पत्र लिखा था। जिसकी प्रतिक्रिया में सराकार द्वारा मामले की जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया है।"