Kachchativu Controversy: "नेहरू के लिए कच्चातिवू का कोई महत्व नहीं था, वो उसे महज एक छोटा सा द्वीप मानते थे", विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 1, 2024 11:32 AM2024-04-01T11:32:01+5:302024-04-01T11:39:21+5:30
कच्चातीवू द्वीप विवाद में विदेश मंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने उदासीनता दिखाई और कानूनी विचारों के बावजूद द्वीप पर भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया।
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कच्चातीवू विवाद पर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित करते हुए दावा किया कि भारत और श्रीलंका के बीच द्वीप के आसपास दशकों पुराना क्षेत्रीय मसला और मछली पकड़ने का अधिकार विवाद अचानक सामने नहीं आया है और इस पर संसद में अक्सर बहस होती रही है।
इसके साथ विदेश मंत्री ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने कच्चातीवू द्वीप विवाद पर उदासीनता दिखाई और कानूनी विचारों के बावजूद द्वीप पर भारतीय मछुआरों के अधिकारों को छोड़ दिया।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार एस जयशंकर का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कच्चातीवू द्वीप मुद्दे पर तमिलनाडु की सत्तधारी पार्टी द्रमुक पर निशाना साधने के तुरंत बाद आया है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने स्टालिन सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया था कि तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी ने राज्य के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया।
जयशंकर ने पत्रकार वार्ता में कहा कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्रियों ने समुद्री सीमा समझौते के तहत 1974 में श्रीलंका को दिए गए कच्चातीवू को "छोटा द्वीप" करार दिया था और यह मुद्दा अभी अचानक नहीं पैदा हुआ है बल्कि यह भारत के लिए हमेशा से एक जीवंत मामला रहा है।
उन्होंने कहा, "मई 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था, 'मैं इस छोटे से द्वीप को बिल्कुल भी महत्व नहीं देता और मुझे इस पर अपना दावा छोड़ने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। मुझे इस तरह के मामले पसंद नहीं हैं। यह अनिश्चित काल से लंबित है और संसद में बार-बार उठाया जा रहा है।"
जयशंकर ने कहा, "पंडित नेहरू के लिए यह एक छोटा सा द्वीप था और उनके लिए इसका कोई महत्व नहीं था क्योंकि वो इसे एक विवाद के रूप में देखते थे। उनके लिए तो कच्चातीवू को भारत जितनी जल्दी छोड़ दें, बेहतर होगा और यही दृष्टिकोण इंदिरा गांधी के समय में भी जारी रहा।"
विदेश मंत्री ने कहा, “कच्चतीवू मुद्दा अचानक सामने नहीं आया है, बल्कि यह हमेशा से भारत के लिए एक जीवंत मुद्दा है, जिस पर अक्सर संसद में बहस होती है। कांग्रेस, द्रमुक ने कच्चातीवू मुद्दे को ऐसे उठाया जैसे कि उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।''
उन्होंने कहा कि द्रमुक ने 1974 में और उसके बाद इस स्थिति को बनाने में कांग्रेस के साथ बहुत हद तक "मिलीभगत" की थी। जयशंकर ने बताया कि 20 वर्षों में 6,184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया है और उनके 1,175 मछली पकड़ने वाले जहाजों को उसने जब्त कर लिया है।
विदेश मंत्री ने कहा, "यह नरेंद्र मोदी सरकार है जो यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि भारतीय मछुआरों की रिहाई हो और हमें इसका समुचित समाधान ढूंढना होगा। हमें श्रीलंका सरकार के साथ बैठकर इस पर काम करना होगा।"