Haryana Government Crisis: क्या 3 निर्दलीयों के समर्थन वापसी से डोल रहा है मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सिंहासन?, जानिए क्या है विधानसभा की मौजूदा अंकगणित

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 8, 2024 09:05 AM2024-05-08T09:05:49+5:302024-05-08T09:09:10+5:30

हरियाणा में मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज नायब सिंह सैनी को बीते मंगलवार उस समय तगड़ा झटका लगा जब तीन निर्दलीय विधायकों ने सूबे की भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया।

Haryana Government Crisis: Chief Minister Nayab Singh Saini's throne is shaking due to withdrawal of support from 3 independent MLAs, know what is the current arithmetic of the assembly | Haryana Government Crisis: क्या 3 निर्दलीयों के समर्थन वापसी से डोल रहा है मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का सिंहासन?, जानिए क्या है विधानसभा की मौजूदा अंकगणित

फाइल फोटो

Highlightsहरियाणा की भाजपा सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया अपना समर्थन मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज नायब सिंह सैनी की सत्ता खतरे में कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार अल्पमत में है, उसे फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए

चंडीगढ़: हरियाणा में मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज नायब सिंह सैनी को बीते मंगलवार उस समय तगड़ा झटका लगा जब तीन निर्दलीय विधायकों ने सूबे की भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और घोषणा की कि वे कांग्रेस का समर्थन करेंगे। इस घटनाक्रम के बाद सियासी कयास लग रहे हैं कि राज्य विधानसभा में मौजूदा सैनी सरकार अल्पमत में आ सकती है। 

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार दो अन्य निर्दलियों के सहारे सीएम पद पर काबिज नायब सिंह सैनी अब बहुमत के निशान से दो विधायक पीछे हो गई है। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में मौजूदा वक्त में 88 विधायक हैं।

वहीं अगर दलवार विधायकों की संख्या की बात करें तो हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के पास 40 विधायक, कांग्रेस के पास 30 विधायक और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के पास 10 विधायक हैं।

बीते मंगलवार को चरखी-दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, पुंडरी से विधायक रणधीर सिंह गोलन और नीलाखेड़ी से विधायक धर्मपाल गोंदर ने सत्ता पक्ष से दूरी बनाते हुए कांग्रेस का समर्थन कर दिया और विपक्षी नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में एक संवाददाता सम्मेलन में सैनी सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान किया।

वहीं हाल के दिनों में जेजेपी के कुछ विधायकों ने भाजपा को समर्थन देने का संकेत दिया है, हालांकि जेजेपी ने मार्च में गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।

निर्दलीय विधायकों द्वारा भाजपा सरकार से समर्थन वापसी के बाद भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा, "भाजपा सरकार अल्पमत में है, उसे फौरन इस्तीफा दे देना चाहिए। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और चुनाव कराया जाना चाहिए। यह जनविरोधी सरकार है।"

इस बीच जेजेपी नेता दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि भूपिंदर सिंह हुड्डा को "लोगों का विश्वास खो चुकी सरकार को गिराने" की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हुड्डा को तुरंत राज्यपाल से मिलना चाहिए और उन्हें स्थिति से अवगत कराना चाहिए।

एक बयान में कांग्रेस ने कहा कि तीन विधायकों ने पहले ही राज्यपाल को पत्र भेजकर कहा है कि उन्होंने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि उन्होंने किसानों, महंगाई और बेरोजगारी समेत विभिन्न मुद्दों के कारण सैनी सरकार से समर्थन वापसी का फैसला लिया है।

राज्य कांग्रेस प्रमुख उदय भान ने कहा, ''तीनों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है। बीजेपी सरकार पहले जेजेपी के 10 विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही थी, उससे पहले जेजेपी ने समर्थन वापस लिया और अब निर्दलीय भी उसे छोड़कर जा रहे हैं।"

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "नायाब सिंह सैनी सरकार अब अल्पमत सरकार है। सैनी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उन्हें एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।"

हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 90 है। जिसमें बीजेपी के 40 विधायक, निर्दलीय के 7 विधायक, जेजेपी के 10 विधायक, कांग्रेस के 30 विधायक, हरियाणा लोकहित पार्टी के 1 विधायक और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के 1 विधायक हैं। 

अगर सत्ता समीकरण की बात की जाए तो फिलहाल हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। तीन विधायकों के समर्थन के साथ उसकी संख्या 33 तक पहुंच गई है लेकिन फिर भी यह आंकड़ा बहुमत से 13 विधायक कम है।

सियासी जानकारों का मानना है कि हरियाणा में संभावित रूप से त्रिशंकु विधानसभा का परिदृश्य नजर आ रहा है, जिसमें किसी भी एक पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं है।

ऐसे हालात में राज्यपाल आमतौर पर सबसे बड़ी पार्टी, जो कि वर्तमान में भाजपा है। उसे 10 दिनों की अवधि में बहुमत साबित करने का आदेश दे सकते हैं। यदि पार्टी निर्धारित 10 दिनों में फ्लोर पर पर्याप्त समर्थन जुटाने में विफल रहती है, तो राज्यपाल सरकार को भंग कर सकते हैं और राज्य में नए चुनाव का ऐलान कर सकते हैं।
 

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