दिल्ली की 48 हजार झुग्गी झोपड़ियों पर संकट, AAP विधायक राघव चड्ढा ने नोटिस को फाड़ा, जानें पूरा मामला
By धीरज पाल | Published: September 10, 2020 05:45 PM2020-09-10T17:45:16+5:302020-09-10T18:34:05+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर 2020 को एक आदेश दिया था, जिसमें कोर्ट ने तीन महीने के भीतर नई दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48 हजार झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है।
नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर आमने-सामने है। वजह है दिल्ली की 48 हजार झुग्गी झोपड़ियां। दरअसल, आम आदमी पार्टी के नेता व विधायक राघव चड्डा ने आज यानी 10 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र की मोदी सरकार के उस नोटिस को फाड़ दिया जिसमें 11 सितंबर को दिल्ली के तमाम झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ने की बात कही गई है।
राघव चड्डा ने दावा किया है कि भाजपा की केंद्र सरकार लोगों की झुग्गियों पर नोटिस लगा रही है जिसमें लिखा है कि 11 सितम्बर को आपका घर तोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं ये नोटिस फाड़ता हूँ और हर झुग्गी झोपडी में रहने वाले को कहता हूँ आपका बड़ा बेटा अरविंद केजरीवाल अभी जिंदा हैं, आपका घर नहीं उजड़ने देंगे।
इस दौरान राघव चड्डा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अदालत से लेकर सड़क तक झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों के हित की रक्षा के लिए खड़े रहेंगे। जो कुछ भी करना पड़े, लेकिन आपका घर नहीं उजड़ने देंगे।
भाजपा की केंद्र सरकार लोगों की झुग्गियों पर नोटिस लगा रही है जिसमें लिखा है कि 11 सितम्बर को आपका घर तोड़ दिया जाएगा।
— AAP (@AamAadmiParty) September 10, 2020
मैं ये नोटिस फाड़ता हूँ और हर झुग्गी झोपडी में रहने वाले को कहता हूँ आपका बड़ा बेटा अरविंद केजरीवाल अभी जिंदा हैं, आपका घर नहीं उजड़ने देंगे।- @raghav_chadhapic.twitter.com/wZj77G3iYA
बीजेपी ने केजरीवाल पर लगाया झूठ फैलाने का आरोप
वहीं, राघव चड्डा के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोला। बीजेपी दिल्ली ने अपने आधिकारिक ट्विटर पर लिखा कि झूठ बोलने में AAP को महारत हासिल है। ये सब माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार हो रहा है। जनता में भ्रम फैलाना बंद करो। इसके अलावा बीजेपी कहा कि जो केजरीवाल सरकार 52 हजार मकान बने हुए खाली पड़े हैं उनको रेलवे ट्रैक के किनारे रहने वाले झुग्गीवासियों को अविलंब आवंटित करें।
इसके अलावा बीजेपी ने कहा कि मोदी सरकार कटिबद्ध है कि वह हर झुग्गी वालों के लिए "जहाँ झुग्गी वहाँ मकान" के तहत उन्हें मकान देगी। भाजपा रेलवे के किनारे पर जो झुग्गियां बसी हैं उन झुग्गी वालों के साथ खड़ी है और उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने देगी।
झूठ बोलने में AAP को महारत हासिल है। ये सब माननीय SC के निर्देश अनुसार हो रहा है। जनता में भ्रम फैलाना बंद करो। जो 52,000 मकान बने हुए खाली पड़े हैं उनको रेलवे ट्रैक के किनारे रहने वाले झुग्गीवासियों को अविलंब आवंटित करे केजरीवाल सरकार।
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) September 10, 2020
(1/2) https://t.co/T1dfV3b0az
राघव चड्डा ने बीजेपी के खाली पड़े 52 हजार मकान का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी पुनर्वास कार्यक्रम के लिए पहले से प्लानिंग करते है, ऐसा नहीं करते हैं कि नोटिस चिपकाया और लोगों को बेघर कर दिया।
अब आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर 2020 को एक आदेश दिया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर नई दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48 हजार झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है और आगे निर्देश भी दिया है कि कोई भी कोर्ट झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे न दे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था है कि इस आदेश में किसी भी तरह से राजनीतिक दखल भी नहीं होना चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम व नियंत्रण प्राधिकरण यानी EPCA, दिल्ली सरकार और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से कहा था कि वह रेलवे ट्रैक के आसपास के प्लास्टिग बैग, गारबेज और अन्य वेस्ट मटीरियल को हटाने के बारे में समग्र प्लान पेश करें। इसके बाद ईपीसीए ने रिपोर्ट पेश की थी। इस दौरान रेलवे के दिल्ली डिविजन के अडिशनल डिविजनल मैनेजर ने रिपोर्ट दी थी और कहा था कि दिल्ली में 140 किलोमीटर ट्रैक के आसपास 48000 झुग्गियों का अतिक्रमण है।
एक बार फिर बात करते हैं राघव चड्डा के प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान जब पत्रकार ने झुग्गियां हटाने की नोटिस पर पूछा कि ये तो रेलवे का नोटिस है और आप केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहें तो राघव चड्डा ने कहा कि रेलवे कौन चलाता है!
ऐसे समय में जब दिल्ली एनसीआर की 48 हजार झुग्गी झोपड़ियों के लोगों के सामने रहने का संकट खड़ा हो गया है। केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली सरकार के बीच राजनीतिक बयान बाजी चालू हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इन 48 हजार झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के लोग अपनी आगे की जिंदगी कहां और कैसे गुजारेंगे?