Assembly Elections 2023: इन 4 राज्यों में ये हैं मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार, आलाकमान की मुहर लगनी है बाकी
By आकाश चौरसिया | Updated: December 4, 2023 16:12 IST2023-12-04T16:08:25+5:302023-12-04T16:12:21+5:30
चुनाव आयोग ने बीते रविवार को 4 राज्यों के परिणाम घोषित कर दिये हैं। तीन राज्य में भाजपा को बढ़त मिली हैं, वहीं कांग्रेस को तेलंगाना में बहुमत मिल गया है। इसके आधार पर पार्टी नेतृत्व ने अपना सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है।

फाइल फोटो
नई दिल्ली: हाल में हुए चुनावों को लेकर बीते रविवार को चुनाव आयोग अंतिम नतीजे घोषित कर दिये हैं। सबसे पहले राजस्थान की बात करें तो कुल 199 सीटों पर चुनाव हुए और अब भाजपा को बहुमत पाकर सरकार बना सकती है। क्योंकि भाजपा 115 सीटों पर विजयी हुई, कांग्रेस को 69 सीट मिली, बसपा को 2, आरएलडी को 1, 8 निर्दलीय जीतें, जबकि BHRTADVSIP को 3 सीट जीतने में कामयाब रही। बहुमत में आकर भाजपा में सीएम पद की दौड़ भी शुरु हो गई है क्योंकि चुनावी हलकों में माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे की टक्कर में कोई नहीं है।
सबसे खास बात ये रही कि इस बार झालरापाटन से वसुंधरा राजे 53,195 वोटों से विजयी हुई हैं। उनके माथे प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री बनने का ताज भी सज चुका है और वो राज्य की दो बार की सीएम भी रही हैं। दूसरी तरफ महंत बालकनाथ, राजसमंद सांसद दिया कुमारी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम सबसे ऊपर है। इन सभी को लेकर इसलिए चर्चा चल रही है क्योंकि ये सभी सांसद हैं और इन्हें आलाकमान ने इस बार विधानसभा चुनावों में उतारा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा राजे को मुख्यमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल देने के लिए बहुत उत्सुक नहीं है। हालांकि, राजस्थान में शीर्ष पद के लिए एक और नाम जिस पर विचार किया जा सकता है वह है गायत्री देवी की पोती और राजसमंद सांसद दीया कुमारी का। पहले वह सवाई माधोपुर से सांसद थीं। वह सामाजिक कार्यों के लिए जानी जाती हैं। वह राजपूत समुदाय से आती हैं। अगर बीजेपी राजस्थान में योगी आदित्यनाथ की राह पर चलना चाहती है, तो बाबा बालक नाथ के पास एक मौका है। बालक नाथ अलवर से लोकसभा सांसद हैं, लेकिन उन्होंने तिजारा सीट से चुनाव लड़ा है।
उन्हें 'राजस्थान का योगी' भी कहा जाता है और वे रोहतक में बाबा मस्तनाथ मठ के प्रमुख हैं। मठ अन्य प्रमुख संस्थानों के अलावा एक विश्वविद्यालय, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और एक स्कूल चलाता है। बाबा बालक नाथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से आते हैं।
फायरब्रांड विकल्पों से हटकर बीजेपी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी नियुक्त कर सकती है। जोधपुर से लोकसभा सांसद चुने गए शेखावत को सीएम पद के प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान, शेखावत संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले को लेकर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ सार्वजनिक विवाद में फंस गए थे।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में 166 सीटों पर भाजपा जीत गई है, जबिक कांग्रेस को 63 सीट मिली और अन्य के खाते में मात्र एक सीट गई। यहां पर सीएम पद के प्रबल दावेदारों में सबसे आगे नाम मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चल रहा है। उन्होंने इस बार बुधनी से चुनाव जीता है और वह इस सीट से साल 2006 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा अपनी 'लाडली बहना' और 'सीएम किसान निधि' जैसी योजनाओं की वजह से जीती है। लेकिन, राज्य में खासकर ग्वालियर-चंबल बेल्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबदबे को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, सिंधिया ये कह चुके है कि मुख्यमंत्री पद पर आसीन होना बड़ी बात नहीं बल्कि पार्टी का चुनाव जीतना बड़ी बात है। इस फेहरिस्त में कैलाश विजयवर्गीय का भी नाम चल रहा है, क्योंकि वो छह बार के सांसद रहे हैं और करीब 12 साल से ज्यादा राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद संभाल चुके हैं। साल 2014 में कैलाश हरियाणा के इंचार्ज थे, जहां पार्टी ने विधानसभा चुनावों में बेहतर परफॉर्म किया था। फिर, उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए 2015 में पार्टी महासचिव के पद पर अमित शाह ने उन्हें नियुक्त करने के साथ, पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया था।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो, वहां पर रमन सिंह चौथी बार भाजपा की ओर से सीएम हो सकते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि रमन सिंह को सीएम के रूप में चौथा कार्यकाल दिए जाने की संभावना कम है। सिंह साल 1999 में अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री का जिम्मा भी संभाल चुके हैं और उन्हें पार्टी ने साल 2018 उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया था।
अगर भाजपा बदलती है तो ज्यादा संभावना भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को सीएम बनाया जाये। साव ओबीसी समुदाय से आते हैं। इनके अलावा बिलासपुर से तीन बार की सांसद और ओबीसी समुदाय का बड़ा चेहरा रेणुका सिंह को भी यह बड़ा मिल सकता है। वो अभी केंद्र में स्वतंत्र प्रभार का जिम्मा संभाल रही है, यहा फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साइ और रामविचार नेतम के भी चांस है, कि वो सीएम बने।
तेलंगाना
कांग्रेस ने राज्य की 119 सीटों में से 64 सीट जीत ली है, जबकि बीएचआरएस को 39, भाजपा को 8, एमआईएमआईएम को 7, सीपीआई को 1 मिली है। लेकिन, चुनाव नतीजों के मद्देनजर कांग्रेस ने बीते रविवार को राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था। राज्य में सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे रेवंत रेड्डी, उत्तम कुमार रेड्डी और मल्लू भट्टी विक्रमार्क हैं। हालांकि, माना जा रहा है रेवंत की जगह पूर्व सीएम उत्तम कुमार रेड्डी ले सकते हैं और उन्हें राज्य का मुखिया बनाया जा सकता है। उत्तम राजनीति में आने से पहले भारतीय एयरफोर्स में पायलट रहे हैं और नालगोंडा से सांसद भी रहे।