Amarnath Yatra: श्रद्धालुओं की गर्म सांसें और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रहा है हिमलिंग, 18 फुट के बाबा बर्फानी पिघलकर हो चुके हैं अंतर्ध्यान

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 28, 2022 03:46 PM2022-07-28T15:46:44+5:302022-07-28T15:54:30+5:30

इस बार 18 फुट का हिमलिंग पिघल कर अब अंतर्ध्यान हो चुका है। ऐसा भक्तों की सांसों की गर्मी के साथ साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी हुआ है। अब इससे निपटने का तरीका अत्याधुनिक तकनीक का ही सहारा है। 

Amarnath Yatra The Himling is melting due to the hot breath of the devotees and global warming | Amarnath Yatra: श्रद्धालुओं की गर्म सांसें और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रहा है हिमलिंग, 18 फुट के बाबा बर्फानी पिघलकर हो चुके हैं अंतर्ध्यान

Amarnath Yatra: श्रद्धालुओं की गर्म सांसें और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रहा है हिमलिंग, 18 फुट के बाबा बर्फानी पिघलकर हो चुके हैं अंतर्ध्यान

Highlightsविशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादा लोगों के पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंकाइससे निपटने के लिए श्राइन बोर्ड लेगा अत्याधुनिक तकनीक का सहारागुफा को तकनीक के सहारे ठंडा और वातानुकूलित बनाने की योजना

जम्मू: अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के सारे अनुमान धरे रह गए हैं। जिस लोहे व शीशे की ग्रिल का सहारा हिमलिंग को बचाने के लिए लिया गया था वह भी उसे पिघलने से इसलिए नहीं बचा पाई क्योंकि इस बार 18 फुट का हिमलिंग पिघल कर अब अंतर्ध्यान हो चुका है। ऐसा भक्तों की सांसों की गर्मी के साथ साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी हुआ है। अब इससे निपटने का तरीका अत्याधुनिक तकनीक का ही सहारा है। 

श्राइन बोर्ड फिलहाल तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले पा रहा है इसके पीछे के कारण स्पष्ट नहीं हैं। श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के बकौल, अमरनाथ की गुफा को तकनीक के सहारे ठंडा और वातानुकूलित बनाने की योजना श्राइन बोर्ड ने उसी समय तैयार की थी जब वह अस्तित्व में आया था। लेकिन यह मामला कई साल तक कोर्ट में रहा जिस कारण श्राइन बोर्ड इस संबंध में कोई कदम उठाने से परहेज कर रहा है।

वे कहते हैं कि गुफा को पूरी तरह से वातानुकूलित करने, आइस स्केटिंग रिंक तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना है। इसी के तहत कई अन्य प्रस्तावों पर भी विचार किया गया था जिनमें एयर कर्टन, रेडियंटस कूलिंग पैनलस और फ्रोजन ब्राइन तकनीक का इस्तेमाल भी था।
उनका कहना था कि इनमें से कई तकनीकों का सफल प्रयोग मुंबई, श्रीनगर तथा गुलमर्ग में कर लिया गया था लेकिन अमरनाथ गुफा में इनका प्रयोग करने से पूर्व ही माननीय कोर्ट ने इन सब पर रोक उस समय कुछ साल पहले लगा दी थी जब गुफा में कथित तौर पर कृत्रिम हिमलिंग बनाने का मामला उठा था। हालांकि वे कहते थे कि श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को रेडियंट कूलिंग पेनलस का विकल्प बहुत ही जायज लगा था लेकिन हाईकोर्ट द्वारा इस पर रोक लगा दिए जाने के कारण मामला अंतिम चरण में जाकर रूक गया था।

विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका होगी। इससे ग्लेशियर जल्दी पिघलेंगे। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट के रह गए थे। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे।

साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था। जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे। साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट के थे।

लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। 2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी था। 

इस बार 29 जून से शुरू हुई 43 दिवसीय इस यात्रा में एक महीने बीतने पर करीब दो लाख 70 हजार यात्रियों ने दर्शन किए हैं। 16 दिनों के बाद ही दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए क्योंकि बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए हैं।

Web Title: Amarnath Yatra The Himling is melting due to the hot breath of the devotees and global warming

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