संसद के मानसून सत्र में 24 सांसद निलंबित: क्या है नियम, क्यों की जाती है ऐसी कार्रवाई, क्या निलंबन के बावजूद मिलता है वेतन, जानिए सबकुछ

By मेघना सचदेवा | Published: July 27, 2022 03:37 PM2022-07-27T15:37:24+5:302022-07-27T16:54:56+5:30

लोकसभा में तख्तियां लेकर महंगाई के विरोध में नारेबाजी के बाद कांग्रेस के 4 सांसदों को पूरे सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। संसद के इस मानसून सत्र में अब तक कुल मिलाकर 24 सांसदों को निलंबित किया गया है। इसमें से 20 को इस पूरे हफ्ते के लिए निलंबित किया गया है।

24 MPs Suspended from parliament this monsoon session, know under what rules suspension is done | संसद के मानसून सत्र में 24 सांसद निलंबित: क्या है नियम, क्यों की जाती है ऐसी कार्रवाई, क्या निलंबन के बावजूद मिलता है वेतन, जानिए सबकुछ

संसद के मानसून सत्र में 24 सांसद निलंबित: क्या है नियम, क्यों की जाती है ऐसी कार्रवाई, क्या निलंबन के बावजूद मिलता है वेतन, जानिए सबकुछ

Highlightsमानसून सत्र के दौरान राज्यसभा से 20 और लोकसभा से चार सांसदो को निंलबित किया है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर, ज्योतिमणि राम्या, हरिदास और टीएन प्रतापन को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है।संसद की गरिमा को ठेस पंहुचाने पर एसा करने वाले सांसदों को सस्पेंड किया जा सकता है।

संसद के अंदर हमारे देश से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा होती है। पक्ष और विपक्ष की चर्चा के निष्कर्ष पर सभी की निगाहें रहती हैं। लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि संसद के अंदर चल रही चर्चा के निष्कर्ष से ज्यादा मीडिया के कैमरे का फोकस सांसदों के विवादित बोल और उनके व्यवहार पर रहता है।

संसद का मानसून सत्र चल रहा है। 18 जुलाई से शुरू हुए इस सत्र में विपक्षी सांसदों के धरने नारेबाजी और असंसदीय व्यवहार की कई खबरें सामने आई है। मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा से 20 और लोकसभा से चार यानी अब तक कुल 24 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। इन सांसदों को निलंबित क्यों किया गया और किस नियम के तहत किया गया, आगे इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे।

संसद में 24 सांसदों का निलंबन क्यों ?

18 जुलाई को मानसून सत्र की शुरुआत हुई। इस सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष महंगाई, जीएसटी और अग्निपथ योजना समेत कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। प्रदर्शन में वक्त वक्त पर विपक्ष के बड़े नेता भी शामिल हो रहे हैं। विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में अग्निपथ योजना, जीएसटी में बढ़ती महंगाई जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नोटिस दिया था जिसे स्वीकारा नहीं गया। इसके बाद विपक्ष को हंगामा और तेज हो गया।

इसके चलते कई बार दोनों सदनों की कार्रवाई स्थगित भी करनी पड़ रही है। इसी हंगामे नारेबाजी और असंसदीय व्यवहार के चलते सांसदों को निलंबित किया जा रहा है। संसद के मानसून सत्र के दौरान सदन के वेल में प्रवेश करने और नारेबाजी के लिए राज्‍यसभा के 19 सांसदों को मंगलवार (26 जुलाई) को निलंबित किया गया था। इसके बाद राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी बुधवार को निलंबित कर दिया गया। अब कुल मिलाकर राज्यसभा से 20 और लोकसभा से 4 सांसदो को निलंबित कर दिया गया है। गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से 4 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। 

जिन चार सांसदों को सत्र की शेष अवधी के लिए निलंबित किया गया है वो कांग्रेस के हैं। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर, ज्योतिमणि राम्या, हरिदास और टीएन प्रतापन को पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है। हालांकि इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें फटकार लगाई और सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए कहा था।

लोकसभा अध्यक्ष ने ये भी कहा था कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है जबकि विपक्षी सांसदों को महंगाई एलपीजी कीमतों में वृद्धि और अन्य मुद्दों पर संदेशों के साथ तख्तियां पकड़े देखा गया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हे पूरे सत्र के लिए संस्पेड कर दिया है।

इसी के साथ राज्य सभा से निलंबित सांसदों में टीएमसी के सुष्मिता देब डॉ शांतनु सेन डोला सेन मौसम नूर शांता छेत्री नदीमुल हक अभीरंजन विश्‍वास डीएमके के  हमीद अब्‍दुल्‍ला आर गिरिरंजन एनआर एलांगो एम षनमुगम एस कल्‍याणसुंदरम और कनिमोझी भी शामिल हैं। हालांकि इन्हे पूरे सत्र के लिए सस्पेंड नहीं किया गया है। 

कौन से नियम के तहत होता है सांसदों का निलंबन? 

अब ये जानना जरूरी है कि आखिर कौन सा नियम है जिसके तहत सांसदो को निंलबित किया जा सकता है। संसद में कार्यवाही के दौरान जानबूझकर हंगामा करना, कमेंट करना या अपशब्द का इस्तेमाल करता और संसद की गरिमा को ठेस पंहुचाने पर ऐसा करने वाले सांसदों को सस्पेंड किया जा सकता है।

संसद के दोनों सदन को एक रूल बुक के जरिए चलाया जाता है। जिसमें नियम 373 का जिक्र है। इसी नियम के तहत अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाही बाधित कर रहा है या संसद की गरिमा को ठेस पंहुचा रहा है तो वो उसे एक दिन या चाहे तो बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकते हैं।

इसी के साथ इस रूल बुक में नियम 374 का भी जिक्र है। अगर सदन में बाधा डालने वाला कोई भी सांसद बार बार चेतावनी पर भी न माते तो उसके लिए भी रूल बुक में नियम है। इस नियम के तहत लोकसभा स्पीकर उन सांसदों के नाम का ऐलान कर सकते हैं जिसने आसन की मर्यादा तोड़ी हो या नियमों का उल्लंघन किया हो।

नियम 374 के मुताबिक जब स्पीकर सदन में बाधा डालने वाले सांसदों के नाम का एलान करते हैं तो वो सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखते हैं। प्रस्ताव में उन्हे सस्पेंड करने की बात कही जाती है और सस्पेंशन की अवधि के बारे में भी बताते हैं। वहीं सदन चाहे तो वह किसी भी समय इस प्रस्‍ताव को रद्द करने का आग्रह भी कर सकता है। रूल बुक में 374ए का भी जिक्र है। कोई सांसद स्पीकर के आसन के पास आकर या सभा में नारे लगाकर कार्यवाही में बाधा डालकर जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करता है तो लोकसभा स्पीकर द्वारा ऐसे सांसद का नाम लिए जाने पर वो खुद निलंबित हो जाता है।

निलंबन की अविध सत्र की शेष अवधि के लिए हो सकती है। रूल बुक में 374ए को 5 दिसंबर 2001 को जोड़ा गया था। 

क्या राज्यसभा के लिए है अलग नियम ?

राज्यसभा भी इसी तरह की रूल बुक के जरिए चलती है। लेकिन राज्यसभा के सभापति के पास किसी सांसद को सस्पेंड करने की शक्ति नहीं होती है। राज्यसभा में सांसदों पर सस्पेंशन की कार्रवाई सदन करता है। राज्यसभा की रूल बुक के रूल 255 के तहत सभापति जिसका व्यवहार सदन के लिए खराब हो और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा हो वे उसे तुरंत बाहर जाने के लिए कह सकते हैं।

सांसद उस दिन की कार्यवाही से सस्पेंड किया जा सकता है। जबकि रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता है जिसने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की हो। लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी सभापति उस सांसद के लिए प्रस्ताव ला सकते हैं। हालांकि सदन दूसरे प्रस्ताव के जरिए सांसद के सस्पेंशन को खत्म कर सकता है। सदन के पास लेकिन पूरा अधिकार है कि वो सांसदों का सस्पेशंन वापिस ले सकते हैं। 

कब कब हुआ है संसद से नेताओं का निलंबन ?   

अब सवाल ये है कि क्या सांसदों को सस्पेंड करना आम बात है। सबसे पहले कुछ आकड़ो की बात करते हैं पिछले साल 29 नवंबर को विपक्ष के 12 सांसदों को शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन निलंबित कर दिया गया था। उन पर संसद की गरिमा को ठेंस पंहुचाने और सदन की सुरक्षा में लगे व्यक्ति पर हमला करने का आरोप था। वहीं 21 सितंबर 2020 को राज्यसभा के 8 सांसदों को असंसदीय व्यवहार के लिए सस्पेंड किया गया था।

5 मार्च 2020 को 7 कांग्रेस के सदस्यों को बजट सत्र से सस्पेंड कर दिया गया था। नवंबर 2019 की बात की जाए तो कांग्रेस के 2 नेताओं को सस्पेंड किया गया था। बता दें कि राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर सांसद हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को निलंबित किया गया था। सांसदों को निलंबित करने का पहला मामला 1963 में सामने आया था लेकिन 2019 के बाद सांसदों को सस्पेंड करना आम बात हो गई है और हर साल सांसदों को निलंबित करने की खबरे सामने आती हैं। 

क्या सिर्फ विपक्षी सांसद ही होते हैं सस्पेंड 

सांसदों के निलंबन पर जहां एक बड़ा सवाल ये निकल कर सामने आया है कि आखिर विपक्षी सांसदों का ही निलंबन क्यों तो इसपर भी जवाब है कि सिर्फ विपक्षी सांसद ही नहीं बल्कि कई बार सत्ता पर काबिज पार्टी के नेताओं को भी सस्पेंड किया गया है। सदन में अब विपक्ष की भूमिका अदा कर रही कांग्रेस के 4 सांसद पूत्रे सत्र के लिए सस्पेंड किए गए है। लेकिन 13 फरवरी 2014 की बात करें तो कांग्रेस ने अपने ही सांसद को सस्पेंड किया था।

 लोकतंत्र के मंदिर में हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि गरिमा को बनाए रखे। एसा न करने वाले किसी भी व्यक्ति पर कार्रवाई हो सकती है और हुई है। गौर करने वाली बात ये है कि संस्पेशन से सांसद सदन की कार्यवाही में भले ही शामिल नहीं हो सकते पर इससे उनके वेतन पर कोइ असर नहीं पड़ता है। उन्हे पूरा वेतन मिलता है।

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