मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के साथ यौन संबंध बलात्कार के बराबर: अदालत

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: April 28, 2024 03:15 PM2024-04-28T15:15:07+5:302024-04-28T15:16:24+5:30

मुंबई की एक एक सत्र अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने अहम फैसले में कहा कि मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला से यौन संबंध बनाना बलात्कार है, भले ही इसके लिए महिला ने सहमति दी हो।

sexual intercourse with a woman suffering from unsoundness of mind amounts to rape Court | मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के साथ यौन संबंध बलात्कार के बराबर: अदालत

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमानसिक रूप से अस्वस्थ महिला के साथ यौन संबंध बलात्कार के बराबर: अदालतचाहे उसकी उम्र कुछ भी हो और भले ही वह कार्य उसकी सहमति से किया गया हो : अदालत24 वर्षीय एक व्यक्ति को दोषी ठहराया और 10 साल के कठोर कारावास (आरआई) की सजा सुनाई

मुंबई: मुंबई की एक एक सत्र अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अपने अहम फैसले में कहा कि मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला से यौन संबंध बनाना बलात्कार है, भले ही इसके लिए महिला ने सहमति दी हो। अदालत ने कहा कि मानसिक अस्वस्थता से पीड़ित एक महिला जो उस कार्य की प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ है, जिसके लिए वह सहमति देती है, उसके साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार है, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो और भले ही वह कार्य उसकी सहमति से किया गया हो। अदलात ने अपने पड़ोस में रहने वाली 23 वर्षीय महिला को गर्भवती करने के लिए 24 वर्षीय एक व्यक्ति को दोषी ठहराया और 10 साल के कठोर कारावास (आरआई) की सजा सुनाई।

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक अभियोजन पक्ष ने कहा था कि महिला की मानसिक उम्र 9 साल की लड़की जितनी थी। आरोपी और पीड़िता गर्भपात किए गए भ्रूण के जैविक माता-पिता पाए गए। महिला हल्की मानसिक विकलांगता से पीड़ित थी। न्यायाधीश डीजी ढोबले ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता की मजबूरी का फायदा उठाकर बलात्कार किया है। मानसिक विकार या मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति विशेष देखभाल, प्यार और स्नेह का हकदार है। उनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील द्वारा जिरह में पीड़िता ने आरोपी को जानने और उसके साथ सहमति से संबंध बनाने की बात स्वीकार की। उसने कहा कि वह उससे शादी करना चाहती थी लेकिन धार्मिक मतभेदों के कारण उसके माता-पिता ने ऐसा नहीं होने दिया। पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसने आरोपी को अपनी गर्भावस्था के बारे में सूचित नहीं किया और शुरू में पुलिस को उसका नाम भी नहीं बताया। पीड़िता ने दोहराया कि उसे आरोपी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है और उसके माता-पिता ने उस पर एफआईआर दर्ज करने का दबाव डाला था।

आरोपी ने कहा कि रिश्ता सहमति से बना था। हालांकि, बचाव पक्ष को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया है कि पीड़िता हल्के मानसिक विकलांगता से पीड़ित है। न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना था कि मानसिक रूप से विकलांग लड़की सहमति नहीं दे सकती है, जिसका प्रभाव वह नहीं समझ सकती।

Web Title: sexual intercourse with a woman suffering from unsoundness of mind amounts to rape Court

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