ब्लॉग: पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? भर्ती घोटाले में चार्जशीट और राहत की सांस ले रहीं ममता बनर्जी!

By हरीश गुप्ता | Published: November 3, 2022 09:36 AM2022-11-03T09:36:04+5:302022-11-03T11:47:39+5:30

सीबीआई ने पश्चिम बंगाल भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और कई अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. ईडी ने भी चार्जशीट दाखिल की थी. किसी भी एजेंसी ने न तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और न टीएमसी के किसी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी का उल्लेख किया है.

West Bengal: Chargesheet in recruitment scam and why Mamata Banerjee breathing a sigh of relief | ब्लॉग: पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है? भर्ती घोटाले में चार्जशीट और राहत की सांस ले रहीं ममता बनर्जी!

राहत की सांस ले रही हैं ममता बनर्जी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाने के लिए एक अथक अभियान शुरू किया था. उनका अभियान हालांकि 2022 में आंशिक रूप से सफल रहा क्योंकि नेतृत्व के लिहाज से पार्टी ‘गांधी-मुक्त कांग्रेस’ बन गई जब मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसकी बागडोर संभाली. लेकिन ‘गांधी-मुक्त कांग्रेस’ के प्रयोग में भी काफी समय लगेगा क्योंकि सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष बनी हुई हैं और अन्य दो गांधी 47 सदस्यीय संचालन समिति का हिस्सा हैं. 

खड़गे के पास कांग्रेस की मशीनरी को मजबूत करके और भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर हिमाचल व गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने का एक कठिन काम है. उन्हें राजस्थान की पहेली को भी सुलझाना होगा जहां आलाकमान के आदेश की अवहेलना की गई थी. 80 साल की उम्र में खड़गे मतदाताओं की युवा पीढ़ी को प्रेरित नहीं करते हैं लेकिन वे एक भाग्यशाली नेता हैं जिन्हें सोनिया गांधी ने राजनीतिक निष्क्रियता से वापस लाया और राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया और अब उन्होंने पार्टी की कमान संभाली. 

यह देखना बाकी है कि वे वरिष्ठ नेताओं और 50 साल से कम उम्र के नवागंतुकों के बीच कितना अच्छा संतुलन रखते हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि मोदी-अमित शाह की जोड़ी अटल-आडवाणी युग से बिल्कुल अलग है. अटल-आडवाणी की टीम विपक्षी नेताओं के खिलाफ एक बिंदु से आगे नहीं गई, खासकर गांधी परिवार के खिलाफ. बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम के रूप में राहुल गांधी की यूएसए के बोस्टन एयरपोर्ट पर हुई एक घटना में मदद ही की थी. लेकिन मोदी-शाह ने कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ सख्त नीति अपनाई और लक्ष्य हासिल करने के लिए अपने शस्त्रागार के हर हथियार का इस्तेमाल किया. 

अगर कांग्रेस को मोदी से लड़ना है, जो 1947 के बाद से भारत द्वारा झेली जा रही दिक्कतों के लिए स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहरा रहे हैं, तो उसे खुद का कायाकल्प करना होगा. भाजपा नेतृत्व ने बड़ी चतुराई से महात्मा गांधी और सरदार पटेल को अपनाया है और पूरी तरह से नेहरू को ध्वस्त करने पर ध्यान केंद्रित किया है. पूरी एक टीम ही नेहरू को उन सारी समस्याओं के मूल कारण के रूप में चित्रित करने के लिए सभी अभिलेखीय सामग्री तलाश रही है जिनका आज देश सामना कर रहा है.

भाजपा की बड़ी चिंता

भाजपा नेता इन दिनों काफी परेशान हैं. शायद, नेतृत्व को कांग्रेस के उम्मीद से अधिक तेजी से पतन के व्यापक प्रभावों का एहसास नहीं था. शीर्ष नेतृत्व आम आदमी पार्टी को खत्म करने के लिए दिन-रात एक कर रहा है क्योंकि उसके कई आंतरिक सर्वेक्षणों में अरविंद केजरीवाल के उभरने की चेतावनी दी गई है. आप के उदय को रोकने के लिए भाजपा की आंतरिक कोर कमेटी ने गहन विचार-विमर्श किया. आप के अभियान ने आम तौर पर लोगों और विशेष रूप से युवाओं को आकर्षित किया है. 

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का आकलन है कि अगर 2024 में नहीं तो 2029 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. इसलिए, अमित शाह दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों में पूरी ताकत से आप के उदय को कुचलने पर तुले हुए हैं. दिल्ली के एमसीडी चुनाव कराने में भाजपा के असमंजस के लिए इसी डर को जिम्मेदार ठहराया गया है. नवनियुक्त उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना मुख्यमंत्री केजरीवाल पर रोज शाब्दिक प्रहार कर रहे हैं. 

हैरानी की बात यह है कि मुख्य सचिव समेत नौकरशाह चुनी हुई सरकार की भी नहीं सुन रहे हैं. एक तरह से उपराज्यपाल और मुख्य सचिव वह कर रहे हैं जो भाजपा का स्थानीय नेतृत्व आप का मुकाबला करने के लिए नहीं कर पाया. अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली भाजपा के नेताओं को उनके प्रदर्शन में पूरी तरह से विफल होने के लिए आड़े हाथों लिया और संकेत दिया कि 2024 में चार मौजूदा लोकसभा सांसदों को टिकट से वंचित किया जा सकता है. 

केंद्र सरकार की सभी जांच एजेंसियां न केवल आप के मंत्रियों और विधायकों के पीछे लगी हैं बल्कि राज्यों में आप के संभावित उम्मीदवारों और कनिष्ठ पदाधिकारियों को भी निशाने पर ले रही हैं. बड़े पैमाने पर समन्वित आप विरोधी अभियान का उद्देश्य गुजरात में केजरीवाल के चुनाव प्रचार को रोकना है जहां वे पैठ बना रहे हैं.

राहत की सांस ले रही हैं ममता!

सीबीआई ने पश्चिम बंगाल भर्ती घोटाले में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और कई अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में 16 लोगों को नामजद किया गया और पार्थ चटर्जी को घोटाले का ‘मास्टर-माइंड’ करार दिया गया. ईडी ने पहले भी चार्जशीट दाखिल की थी. दिलचस्प बात यह है कि किसी भी एजेंसी ने भर्ती घोटाले में महत्वपूर्ण लोगों को नहीं जोड़ा, जिसमें 50 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी बरामद हुई. इनमें से किसी भी एजेंसी ने न तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और न टीएमसी के किसी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी का उल्लेख किया है. 

इससे पहले जांच एजेंसियां संकेत दे रही थीं कि यह घोटाला टीएमसी के शीर्ष नेतृत्व से जुड़ा है. लेकिन इनमें से किसी भी एजेंसी को वरिष्ठों के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला. इस नए सुधार की रूपरेखा आने वाले महीनों में सामने आएगी. देखते रहिए आगे क्या होता है.

दिल्ली से आगे जगन

प्रधानमंत्री मोदी कई वर्षों से आईएएस अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों के लिए ‘फेशियल अटेंडेंस सिस्टम’ शुरू करने के विचार पर काम कर रहे थे. लेकिन पीएमओ के तहत आने वाला कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) किसी न किसी आधार पर टालमटोल करता रहा. डीओपीटी ने सभी सरकारी कार्यालयों में अंगूठे का निशान लगाने वाली मशीनें लगाईं लेकिन सचिव रैंक के अधिकारियों को बख्श दिया गया था. जबकि वाईएसआर के नेतृत्व वाली आंध्र सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों सहित सभी के लिए फेशियल अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया है. नया मानदंड यह है कि सभी कर्मचारियों को उपस्थिति दर्ज करने के लिए कैमरे का सामना करना होगा.  

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