ब्लॉग: चुनाव पूर्व सुविधा के हिसाब से बदलते राजनीतिक रिश्ते

By राजकुमार सिंह | Published: March 25, 2024 07:47 AM2024-03-25T07:47:59+5:302024-03-25T07:48:04+5:30

प्रतिभा सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर किसी नए रिश्ते का संकेत दे रही हैं। उत्तर प्रदेश में अपना दल कमेरावादी ने तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर ‘इंडिया’ गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

Lok Sabha Election 2024 Political relations changing according to pre-election convenience | ब्लॉग: चुनाव पूर्व सुविधा के हिसाब से बदलते राजनीतिक रिश्ते

ब्लॉग: चुनाव पूर्व सुविधा के हिसाब से बदलते राजनीतिक रिश्ते

राजनीति में दोस्त या दुश्मन स्थायी न होने की कहावत पुरानी है, पर अक्सर ये रिश्ते चुनाव के आसपास ही बदलते हैं। लंबे समय तक परस्पर विरोधी राजनीति करनेवालों को भी चुनाव से पहले या बाद में, सुविधानुसार एक-दूसरे में वैचारिक समानता नजर आने लगती है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चंद्रबाबू नायडू ने 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रदेश को विशेष दर्जा और पैकेज न देने का आरोप लगाते हुए राजग ने नाता तोड़ा था।

अब 2024 के चुनाव से ठीक पहले वह राजग में लौट आए. जबकि केंद्र से आंध्र को विशेष दर्जा और पैकेज अभी तक नहीं मिला है। पुराने दोस्तों को मनाने की भाजपा की मुहिम दक्षिण तक सीमित नहीं है। बिहार में नीतीश कुमार का जद (यू) फिर पाला बदल कर राजग में लौट आया तो उत्तर प्रदेश में भी जयंत चौधरी के रालोद की लंबे समय बाद वापसी हो गई।

पहले इन लोगों ने एक-दूसरे के विरुद्ध क्या कुछ कहा- सोशल मीडिया के इस दौर में आसानी से उपलब्ध है, पर राजनेता मानते हैं कि जब रिश्ता परस्पर फायदे का बन रहा हो तो अतीत का बंधक नहीं बने रहना चाहिए। अनुभव बताता है कि जनता भी ऐसी अवसरवादी उछलकूद को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती। इसलिए शिरोमणि अकाली दल की भी राजग में वापसी जल्द हो सकती है।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की राकांपा को तोड़ कर सत्ता का समीकरण अपने पक्ष में कर चुकी भाजपा अब राज ठाकरे से हाथ मिलाने जा रही है। कभी शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे की छाया माने जानेवाले राज ने उद्धव ठाकरे को विरासत सौंप दिए जाने पर 2006 में अलग महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई। 2009 के चुनावों में उनकी पार्टी ने उत्साहवर्धक प्रदर्शन भी किया, पर अंतत: उद्धव से पिछड़ते चले गए।

फिर भी भाजपा को लगता है कि ‘ठाकरे’ सरनेम का चुनाव में फायदा मिल सकता है। यह आश्चर्यजनक लग सकता है कि एक ओर तो पुराने रिश्ते सुधारे जा रहे हैं, नए बनाए जा रहे हैं, दूसरी ओर हरियाणा में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनकी पार्टी जजपा की राजग से विदाई हो गई। शायद इसके मूल में भी चुनावी हानि-लाभ का गणित हो।

उधर बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया है। वैसे पप्पू की पत्नी रंजीता रंजन पहले से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं। पर्याप्त विधायक होने के बावजूद राज्यसभा सीट हार जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का संकट समाप्त नहीं हो रहा।

अब प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर किसी नए रिश्ते का संकेत दे रही हैं। उत्तर प्रदेश में अपना दल कमेरावादी ने तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर ‘इंडिया’ गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

Web Title: Lok Sabha Election 2024 Political relations changing according to pre-election convenience