ब्लॉग: आप के उभरते सितारे भगवंत मान पर निगाहें
By हरीश गुप्ता | Published: March 28, 2024 10:33 AM2024-03-28T10:33:40+5:302024-03-28T10:35:31+5:30
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाखों के पीछे जाने के बाद सबकी निगाहें पार्टी के पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पर टिकी हैं।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाखों के पीछे जाने के बाद सबकी निगाहें पार्टी के पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पर टिकी हैं। हालांकि निकट भविष्य में कोई अस्थिरता देखने को नहीं मिलेगी, लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल की पत्नी के लिए मुख्यमंत्री पद या पार्टी के कार्यवाहक संयोजक की कमान संभालना आसान नहीं होगा।
चूंकि शराब नीति घोटाले में किसी भी नेता; मनीष सिसोदिया या संजय सिंह को उच्चतम न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली है, अब देखना होगा कि क्या केजरीवाल जल्द ही जेल से बाहर आ पाएंगे। पार्टी को भारी वित्तीय संकट का भी सामना करना पड़ रहा है, जिससे उसका दैनिक कामकाज ठप हो गया है। दानदाता इसके उम्मीदवारों को धन देने में अनिच्छुक हैं क्योंकि विभिन्न जांच एजेंसियां आप की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं।
ऐसे में सबकी निगाहें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पर टिकी हैं। वह एक पूर्ण मुख्यमंत्री हैं और वरीयता क्रम में 14वें नंबर पर सूचीबद्ध केजरीवाल की तुलना में 7वें नंबर पर हैं। दूसरे, उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अच्छे संबंध हैं। एक सीमावर्ती राज्य का मुख्यमंत्री होने के नाते, केंद्र सतर्क है और उन्हें बिना वजह छेड़ना नहीं चाहेगा।
मान भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की आलोचना करते समय सावधान रहते हैं। उनके पास विशाल संसाधन हैं और वे अपने माध्यम से पार्टी उम्मीदवारों और जरूरतमंद नेताओं की मदद करते हैं। भाजपा नेतृत्व चाहता था कि पंजाब में लोकसभा चुनाव के लिए आप-कांग्रेस गठबंधन न करें। राजनीतिक विश्लेषक इस टूट के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, लेकिन सच तो यह है कि भगवंत सिंह मान ने शुरू से ही कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ बहुत सख्त रुख अपनाया था और उनकी इच्छा पूरी हुई।
नए आवास में शिफ्ट होंगे उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही नए आवासीय परिसरों में शिफ्ट होंगे। यदि धनखड़ अप्रैल के पहले सप्ताह में नए घर में शिफ्ट होंगे, तो पीएम के 4 जून के बाद नए घर में जाने की संभावना है। नए उपराष्ट्रपति का आवास 15 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसमें बिल्ट-अप एरिया 20000 वर्ग फुट का है। इसमें एक मंजिला (ग्राउंड प्लस एक बेसमेंट के साथ) आवास, एक सचिवालय भवन, गेस्ट हाउस, खेलों की सुविधा, स्टाफ क्वार्टर और सहायक भवन होंगे।
उपराष्ट्रपति आवास नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है, और इसके पास ही नया प्रधानमंत्री आवास होगा। पता चला है कि उपराष्ट्रपति अगले महीने नए आवासीय परिसर में शिफ्ट हो जाएंगे। नए आवासीय परिसर अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित हैं और इनमें सभी सुरक्षा सुविधाएं हैं। निर्माण कार्य जनवरी 2022 में शुरू हुआ था। यह प्रोजेक्ट झारखंड स्थित कमलादित्य कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (केसीपीएल) को नवंबर 2021 में सौंपा गया था। 214 करोड़ रुपए का एन्क्लेव सेंट्रल विस्टा एवेन्यू और न्यू पार्लियामेंट हाउस के बाद लगभग 13500 करोड़ रुपए के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में पूरा होने वाला तीसरा प्रोजेक्ट है।
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत कर्तव्य पथ (राजपथ) के दोनों ओर 10 कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट (सीसीएस) भवनों का भी निर्माण किया जाना है।
गांधी परिवार नहीं दे पाएगा कांग्रेस को वोट
शायद यह पहली बार होगा कि गांधी परिवार के तीन सदस्य - सोनिया, राहुल और प्रियंका - उस कांग्रेस पार्टी के लिए अपना वोट नहीं डाल पाएंगे, जिसके वे सदस्य हैं. चूंकि सीट बंटवारे के फॉर्मूले के तहत नई दिल्ली लोकसभा सीट आप को दी गई है, इसलिए गांधी परिवार कांग्रेस उम्मीदवार को अपना वोट नहीं दे पाएगा।
इसके बजाय, यदि वे मतदान के दिन शहर में रहेंगे तो वे आम आदमी पार्टी से संबंधित अपने चुनावी सहयोगी उम्मीदवार के लिए मतदान करेंगे। आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए सोमनाथ भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है।
प्रियंका गांधी पर चौंकाने वाली चुप्पी
कांग्रेस ने जहां अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों को लेकर अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं, वहीं भाजपा ने भी अभी तक रायबरेली सीट के लिए अपने उम्मीदवार का नाम तय नहीं किया है। उसने यूपी से अब तक घोषित 64 उम्मीदवारों में से स्मृति ईरानी को अमेठी से अपना उम्मीदवार चुना है। लोकसभा चुनाव में भाजपा 80 में से 76 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह बिल्कुल साफ है कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम पर पूरी तरह चुप्पी है।
कांग्रेस ने यूपी की 17 में से नौ लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन दोनों सीटें पार्टी की सूची में शामिल नहीं हैं। पता चला है कि प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से चुनावी मैदान में उतरने को इच्छुक नहीं हैं। 10 जनपथ से आ रही खबरों को संकेत मानें तो पार्टी में जो कुछ हो रहा है, उससे वह बेहद नाखुश हैं। पिछले कुछ महीनों से उनकी सेवाओं का उपयोग नहीं किया जा रहा है और वह अपने सुजान सिंह पार्क स्थित आवास पर आराम कर रही हैं।
उन्हें रायबरेली से चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिशें जारी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अगर अमेठी सीट पर निशाना साधा था तो इस बार उसने रायबरेली सीट को निशाना बनाने की योजना बना रखी है।