ब्लॉग: मूल्य आधारित शिक्षा आज के समय की जरूरत
By नीलिमा गुप्ता | Updated: August 11, 2023 07:56 IST2023-08-11T07:48:43+5:302023-08-11T07:56:35+5:30
नई शिक्षा नीति-2020 छात्रों के संपूर्ण विकास का खाका खींचती है क्योंकि आज का वैश्विक परिवेश ऐसा है, जहां सिर्फ ज्ञान की महत्ता नहीं है।

फाइल फोटो
किसी व्यक्ति की वास्तविक पहचान उसके चरित्र से होती है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि चारित्रिक गठन इंसान की प्रथम आवश्यकता है। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति के जीवन में चरित्र निर्माण का विशेष योगदान रहता है। व्यक्ति के चरित्र से उसके कुल और संस्कारों का पता चलता है।
यही वजह है कि कहा जाता है शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति का चारित्रिक निर्माण कर सके। मनुष्य का चरित्र वह वस्त्र है, जो विचारों के धागों से बनता है और बेहतर विचार का प्रस्फुटन मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से ही संभव है। ऐसे में कहीं-न-कहीं मूल्याधारित शिक्षा और चरित्र निर्माण व्यक्तित्व विकास के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है, जो व्यक्ति के संपूर्ण विकास में मदद करता है और ये दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं और एक व्यक्ति की समाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नई शिक्षा नीति-2020 छात्रों के संपूर्ण विकास का खाका खींचती है क्योंकि आज का वैश्विक परिवेश ऐसा है, जहां सिर्फ ज्ञान की महत्ता नहीं है। आप मूल्य आधारित शिक्षा के प्रति कितने समर्पित हैं, आज जमाना इसका है। प्रतिस्पर्धा के बीच मानवीय पहलुओं और मानवतावादी दृष्टिकोण को जीवित रखना भी एक कठिन काम है और नई शिक्षा नीति इस बिंदु को केंद्र में रखकर तैयार की गई है।
चूंकि भारत वैश्विक फलक पर एक अग्रणी राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है तो यहां की शिक्षा व्यवस्था भी मूल्यों और चरित्र निर्माण पर आधारित हो, इसका ध्यान भलीभांति रखा गया है। भारतीय छात्र अग्रणी हो सकें और वे नए भारत के निर्माण में आधार-भूत भूमिका का निर्वहन कर सकें।
इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संकल्प में मूल्य आधारित एवं व्यक्तित्व विकास के शिक्षण को रेखांकित किया गया है। इस नीति के माध्यम से तैयार विभिन्न पाठ्यक्रमों द्वारा छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण दिए जाने का भी प्रावधान है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने मूल्य आधारित शिक्षा तथा चरित्र निर्माण एवं समग्र विकास की शिक्षा पर विशेष बल दिया है। डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर ने भी इस ओर सकारात्मक कदम उठाते हुए एनईपी 2020 पर आधारित पाठ्यक्रम में मूल्य आधारित शिक्षा तथा चरित्र निर्माण एवं समग्र विकास को समाहित कर लिया है।
जिससे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं चरित्र निर्माण तथा समग्र विकास और साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा और मानवीय मूल्यों के बारे में विस्तार से समझ पाएंगे क्योंकि नई शिक्षा नीति में मानवीय मूल्यों और चरित्र निर्माण के लिए ऐसे ‘मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम’ बनाए गए हैं।
इनमें गांधीवादी पद्धति का अनुसरण करते हुए 50 प्रतिशत अध्ययन व्यावहारिक और अनुभवजन्य है। और न केवल विज्ञान की ओर उन्मुख पाठ्यक्रमों पर बल्कि मानविकी और साहित्य पर आधारित पाठ्यक्रमों पर भी ये बात लागू होती है।