ब्लॉग: कैसे पूरा हो पूर्ण साक्षर भारत का सपना ?
By योगेश कुमार गोयल | Updated: September 8, 2023 09:06 IST2023-09-08T08:56:27+5:302023-09-08T09:06:03+5:30
विश्वभर में लोगों को साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।

फाइल फोटो
विश्वभर में लोगों को साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ इस बार 57वां अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है।
पहली बार यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा 17 नवंबर 1965 को 8 सितंबर को ही अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई थी, जिसके बाद प्रथम बार 8 सितंबर 1966 से शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्वभर के लोगों का इस ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष इसी दिन यह दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया।
वास्तव में यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों का ही प्रमुख घटक है। प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए एक विशेष थीम चुनी जाती है और इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम है ‘संक्रमण काल में दुनिया के लिए साक्षरता को बढ़ावा देना: टिकाऊ और शांतिपूर्ण समाजों की नींव का निर्माण’
निरक्षरता को खत्म करने के लिए ईरान के तेहरान में शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौरान वर्ष 1965 में 8 से 19 सितंबर तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए पहली बार बैठक की गई थी और यूनेस्को ने नवंबर 1965 में अपने 14वें सत्र में 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया। उसके बाद से सदस्य देशों द्वारा प्रतिवर्ष 8 सितंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जा रहा है।
यूनेस्को द्वारा वैश्विक साक्षरता दर 86.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है जबकि भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में भारत की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत थी, जो 2011 में 73 प्रतिशत थी अर्थात् पिछली जनगणना के आंकड़ों की तुलना में साक्षरता दर में 4 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की पुरुष साक्षरता दर 84.7 फीसदी और महिला साक्षरता दर 70.3 फीसदी है। स्पष्ट है कि अभी भी पुरुषों तथा महिलाओं की साक्षरता दर में बड़ा अंतर है। आर्थिक कठिनाइयों के कारण लड़कियों का स्कूल छोड़ना बढ़ गया है। हालांकि माना जा रहा है कि कई महिला साक्षरता अभियानों की शुरुआत के साथ आने वाले वर्षों में यह लिंग अंतर कम हो सकता है।
फिलहाल भारत के शहरी इलाकों में साक्षरता दर 87.7 तथा ग्रामीण इलाकों में 73.5 फीसदी है और यूनेस्को का मानना है कि भारत वर्ष 2060 तक सार्वभौमिक साक्षरता दर हासिल कर सकेगा।