ब्लॉग: बयानों से धूमिल होती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि
By अवधेश कुमार | Updated: November 16, 2023 15:41 IST2023-11-16T15:38:37+5:302023-11-16T15:41:37+5:30
पिछले दिनों विधानसभा के अंदर के दो प्रसंगों ने पूरे देश में उनकी छवि को मटियामेट किया है। जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए उन्होंने पति-पत्नी के यौन रिश्ते को हाथों और चेहरे से इशारा करते हुए ऐसी शब्दावलियों का प्रयोग किया जिनकी हम आप कल्पना नहीं कर सकते।

फाइल फोटो
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर नेता माने जाते रहे हैं। इन दिनों उनके वक्तव्य और व्यवहार लोगों को हैरत में डाल रहे हैं। विरोधियों की छोड़िए उनके समर्थक और निकटतम भी प्रश्न उठा रहे हैं कि वाकई यह नीतीश कुमार ही हैं?
पिछले दिनों विधानसभा के अंदर के दो प्रसंगों ने पूरे देश में उनकी छवि को मटियामेट किया है। जनसंख्या नियंत्रण पर बोलते हुए उन्होंने पति-पत्नी के यौन रिश्ते को हाथों और चेहरे से इशारा करते हुए ऐसी शब्दावलियों का प्रयोग किया जिनकी हम आप कल्पना नहीं कर सकते।
व्यक्तिगत बातचीत में उस तरह की भाषा बोली जाए तो अनदेखी की जा सकती है लेकिन सार्वजनिक रूप से और वह भी विधानसभा के अंदर कतई नहीं। हंगामा होने पर उन्होंने क्षमा याचना की और कहा कि मैं स्वयं अपनी निंदा करता हूं। हालांकि, उस वक्तव्य में भी क्षमायाचना या आत्मनिंदा जैसे अफसोस का हाव-भाव नहीं था।
उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विधानसभा में भाषण के बीच उठकर उन्होंने आम गली-मोहल्लों के झगड़े सदृश अपमानजनक भाषाएं बोलीं। यह दुखद है किंतु स्वीकारना पड़ेगा कि नीतीश जी न संतुलन रख पा रहे हैं, न अपने पर नियंत्रण। मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय के समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु उपस्थित थीं। अपने भाषण में नीतीश जी ने कहा कि जब यह राष्ट्रपति नहीं थीं, तो मेरे पास काम लेकर आती थीं। राष्ट्रपति के मंच पर रहते हुए ऐसा बोलने को आप क्या कहेंगे?
नीतीश जी इस समय किस अवस्था से गुजर रहे हैं? कोई संतुलित मस्तिष्क का व्यक्तित्व इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता। जनसंख्या नियंत्रण पर पति-पत्नी के यौन संबंधों का वैसा वक्तव्य न विधानसभा में किसी ने दिया होगा और न शायद आगे देगा। आप स्वयं अपनी निंदा कर लीजिए, माफी मांग लीजिए वैसे शर्मनाक वक्तव्य की गलती खत्म नहीं हो जाती।
जीतनराम मांझी जैसे वरिष्ठ नेता को अपमानित करने का प्रसंग बिहार विधानसभा के इतिहास का ऐसा अध्याय बन गया है जिसकी चर्चा वर्षों तक होगी। बिहार में अब नीतीश को लेकर अनेक व्यंग्यात्मक और कटाक्षात्मक गीत, कहावतें, मुहावरे बन गए हैं।
एक समय उनके नाम के साथ सुशासन और बिहार को सम्मान दिलाने वाले गीत बनते थे। यह अपने आप हुआ नहीं है। नीतीश के गंभीर घोरसमर्थक भी व्यक्तिगत बातचीत में कहने लगे हैं कि अब उनके सोच और व्यवहार की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है।