मारुति सुजुकी ने फिर वाहनों की कीमतों में की बढ़ोतरी, जानिए दाम में कितना हुआ इजाफा
By मनाली रस्तोगी | Updated: April 18, 2022 15:03 IST2022-04-18T15:00:57+5:302022-04-18T15:03:06+5:30
मारुति सुजुकी द्वारा इस साल घोषित दूसरी कीमत वृद्धि है। इससे पहले जनवरी में मारुति सुजुकी ने भारत में अपने मॉडल लाइन-अप में कारों की कीमतों में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि की थी।

मारुति सुजुकी ने फिर वाहनों की कीमतों में की बढ़ोतरी, जानिए दाम में कितना हुआ इजाफा
नई दिल्ली: मारुति सुजुकी इंडिया ने घोषणा की है कि वह अपने मॉडल लाइन-अप में कीमतों में वृद्धि करेगी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर एक नियामक फाइलिंग के अनुसार, एक्स-शोरूम दिल्ली की कीमतों में औसत वृद्धि लगभग 1.3 प्रतिशत होगी और संशोधित कीमतें सोमवार यानी 18 अप्रैल 2022 से लागू होंगी।
कंपनी का कहना है कि वह विभिन्न इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण सभी मॉडलों की कीमतों में बढ़ोतरी कर रही है। दरअसल, मारुति सुजुकी इंडिया ने इस महीने की शुरुआत में 6 अप्रैल को ही वाहनों की कीमतें बढ़ाने के अपने फैसले की घोषणा की थी। मारुति सुजुकी इंडिया ने 6 अप्रैल, 2022 को जारी बयान में कहा, "पिछले एक साल से, विभिन्न इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण कंपनी के वाहनों की लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए, यह अनिवार्य हो गया है कंपनी मूल्य वृद्धि के माध्यम से उपरोक्त अतिरिक्त लागतों का कुछ प्रभाव ग्राहकों पर डालेगी।"
यह कंपनी द्वारा इस साल घोषित दूसरी कीमत वृद्धि है। इससे पहले जनवरी में मारुति सुजुकी ने भारत में अपने मॉडल लाइन-अप में कारों की कीमतों में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि की थी। उस समय भी कंपनी ने कच्चे माल की बढ़ती लागत को आसन्न मूल्य वृद्धि के प्राथमिक कारण के रूप में उद्धृत किया था। मारुति सुजुकी इंडिया इस साल वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करने वाली देश की अकेली वाहन निर्माता कंपनी नहीं है। ऑडी इंडिया, बीएमडब्ल्यू टाटा मोटर्स और टोयोटा इंडिया ने 1 अप्रैल, 2022 को वाहनों की कीमतों में वृद्धि की।
वहीं, हीरो मोटोकॉर्प और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने क्रमश: 5 अप्रैल और 14 अप्रैल को कीमतों में बढ़ोतरी की। जबकि इनपुट लागत में वृद्धि निश्चित रूप से वाहन निर्माताओं के लिए यह कदम उठाने का एक प्रमुख कारण रहा है, फिर भी, वाहन निर्माताओं के बीच यह एक नए कैलेंडर वर्ष और एक नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में वाहन की कीमतों में वृद्धि करने के लिए एक मानक अभ्यास रहा है।