चीन को दंडित करे यूएस, हांगकांग पुलिसिया राज की दिशा में बढ़ रहा हैः अमेरिकी सीनेटर की चेतावनी
By भाषा | Published: October 14, 2019 05:09 PM2019-10-14T17:09:20+5:302019-10-14T17:09:20+5:30
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक केंद्र ने रविवार को एक बार फिर अशांत हालात का सामना किया जब शहर में कट्टर लोकतंत्र समर्थकों और पुलिस के बीच कई जगहों पर झड़प हुई। प्रदर्शनकारी जहां बीते 19 हफ्तों से ज्यादा लोकतांत्रिक आजादी और पुलिस की जवाबदेही की मांग कर रहे हैं वहीं चीन और स्थानीय नेताओं ने उनकी मांगों को लेकर झुकने से इनकार किया है।
अमेरिकी सीनेटर जोश हावले ने सोमवार को आगाह किया कि हांगकांग पुलिसिया राज की दिशा में बढ़ रहा है। यह आर्थिक केंद्र एक रैली की तैयारी कर रहा है जिसमें अमेरिका का आह्वान किया जाएगा कि वह स्वतंत्रता को कम किए जाने को लेकर चीन को दंडित करे।
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक केंद्र ने रविवार को एक बार फिर अशांत हालात का सामना किया जब शहर में कट्टर लोकतंत्र समर्थकों और पुलिस के बीच कई जगहों पर झड़प हुई। प्रदर्शनकारी जहां बीते 19 हफ्तों से ज्यादा लोकतांत्रिक आजादी और पुलिस की जवाबदेही की मांग कर रहे हैं वहीं चीन और स्थानीय नेताओं ने उनकी मांगों को लेकर झुकने से इनकार किया है।
ऐसे में इस संकट का जल्द हल निकलता नजर नहीं आता। शहर के वाणिज्यिक जिले में सोमवार को प्रदर्शनकारियों की बड़ी भीड़ जुटने की उम्मीद है। इन लोगों की मांग अमेरिकी नेताओं से उस विधेयक को पारित करने की है जिससे अमेरिका के इस कारोबारी केंद्र के साथ रिश्तों में कमी आ सकती है।
इस विधेयक के प्रस्तावकों में मिसूरी से रिपब्लिकन सीनेटर हावले भी हैं। उन्होंने दो दिन का हांगकांग दौरा किया और इस दौरान रविवार को मांगकॉक जिले में प्रदर्शन देखा। बाद में हावले ने प्रमुख लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता जोशुआ वांग से मुलाकात की।
उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से कहा, “वहां स्थिति गंभीर है।” वाशिंगटन लौटने पर उनका संदेश क्या होगा, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हांगकांग के पुलिसिया राज्य की तरफ बढ़ने का खतरा है और हांगकांग में प्रतिनिधि सरकार खतरे में हैं, एक देश दो व्यवस्था का मॉडल भी खतरे में है।”
चीन ने 1997 में ब्रिटेन द्वारा हांगकांग सौंपने के दौरान किये गए करार के तहत एक देश, दो व्यवस्था पर सहमति जताई थी जिसके तहत वह इस बात पर सहमत था कि हांगकांग अगले 50 सालों तक अपनी विशिष्ट पहचान बरकरार रखेगा। इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी शामिल है।