कोविड-19 तो सिर्फ शुरुआत, अमेरिकी विशेषज्ञों की चेतावनी- नहीं ढूंढा स्रोत तो कोविड-26 और कोविड-32 के लिए भी रहें तैयार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 1, 2021 02:00 PM2021-06-01T14:00:42+5:302021-06-01T14:08:54+5:30
अमेरिका के दो विशेषज्ञों ने वायरस को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि कोरोना वायरस का स्रोत नहीं ढूंढा गया तो दुनिया को कई अन्य खतरनाक कोरोना वायरस का सामना करना पड़ेगा।
वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस के कारण दुनिया में लगातार संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं और अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। वैक्सीन आने के बाद लोग जल्द ही इस महामारी के खत्म होने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका के दो विशेषज्ञों ने वायरस को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि कोरोना वायरस का स्रोत नहीं ढूंढा गया तो दुनिया को कई अन्य खतरनाक कोरोना वायरस का सामना करना पड़ेगा।
ट्रंप सरकार में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में कमिश्नर रहे और वर्तमान में फाइजर के बोर्ड सदस्य स्कॉट गोटलिब ने कहा कि चीन के वुहान लैब से कोरोना वायरस के निकलने की सूचनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने सीबीएस न्यूज पर कहा कि इस थ्योरी के खंडन के लिए चीन की ओर से सबूत नहीं दिए गए हैं। वहीं जांच में वन्यजीवों से वायरस आने के संकेत नहीं मिले हैं।
स्रोत नहीं पता लगा तो नई महामारियों का खतरा
दूसरी ओर टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डवलपमेंट के सह निदेशक पीटर होत्ज ने एक अन्य कार्यक्रम में ऐसी ही बात कही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का स्रोत पता नहीं लगने से भविष्य में नई महामारियों का खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि कोविड-19 को अच्छी तरह नहीं समझते हैं तो कोविड-26 या कोविड-32 भी आ सकते हैं।
साल भर बाद भी नहीं पता चला स्रोत
पीटर ने कहा कि वुहान के सीफूड मार्केट में वायरस के सामने आने के एक साल बाद भी वायरस की उत्पत्ति के स्रोत का पता नहीं चल सका है। चीन की भूमिका को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी 90 दिनों में वासरस की उत्पत्ति का पता लगाने के आदेश दिए हैं।
वुहान की लैब में वायरस तैयार करने का दावा
हाल ही में ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉर्वे के वैज्ञानिक डॉ. बिर्गर सोरेनसेन ने दावा किया था कि चीन ने कोरोना वायरस को वुहान के लैब में तैयार किया था। उन्होंने अपनी स्टडी में बताया था कि वुहान लैब में जानबूझकर डाटा को पहले छिपाया गया और फिर नष्ट करने का प्रयास किया गया। जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर आवाज उठाई थी उन्हें या तो चुप करा दिया गया या फिर गायब कर दिया गया। उन्होंने बताया कि कोरोना सैंपल्स के अध्ययन के दौरान उन्होंने एक खास फिंगरप्रिंट को ढूंढा था। यह लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ के बाद ही संभव है।