US Election Results 2024: जीतने के बाद अपने बढ़ा रहे डोनाल्ड ट्रम्प की मुश्किलें?, लुभावने वादे कर...
By राजेश बादल | Published: November 12, 2024 05:43 AM2024-11-12T05:43:46+5:302024-11-12T05:43:46+5:30
US Election Results 2024: डोनाल्ड ट्रम्प अपनी विजय के बारे में इतने भरोसे में थे कि रिपब्लिकन पार्टी के कौन से नेता उनकी अगली सरकार में रहेंगे अथवा नहीं- यह उन्होंने प्रचार अभियान में ही ऐलान कर दिया था.
US Election Results 2024: अमेरिकी सियासत का अब संक्रमण काल प्रारंभ हो रहा है. डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद तेजी से समीकरण बदले हैं. प्रचार अभियान में उन्होंने जिस तरह वैदेशिक मुद्दों का ट्रम्पीकरण किया था, वे अब उनका जंजाल बनते दिखाई दे रहे हैं. किसी भी लोकतंत्र के लिए यह एक सबक हो सकता है कि सिर्फ चुनाव जीतने के लिए कोई नेता जब अपने मुल्क की स्थायी विदेश नीति को बदलने अथवा उसमें आमूलचूल परिवर्तन के लुभावने वादे कर बैठता है तो उसके लिए वे गले की हड्डी बन जाते हैं. कठिनाई तो देश के सामने तब होती है, जब राजनेता जीत हासिल कर लेता है और उन वादों को पूरा करने का प्रयास करता है. परिणाम यह कि उस राष्ट्र के लिए दुविधा और साख का संकट खड़ा हो जाता है. अमेरिका का हालिया राष्ट्रपति चुनाव इसका बेहतरीन उदाहरण है.
दरअसल डोनाल्ड ट्रम्प अपनी विजय के बारे में इतने भरोसे में थे कि रिपब्लिकन पार्टी के कौन से नेता उनकी अगली सरकार में रहेंगे अथवा नहीं- यह उन्होंने प्रचार अभियान में ही ऐलान कर दिया था. इतना ही नहीं, अपने नए सहयोगियों के बीच गोपनीय नीतियों की रूपरेखा भी बना ली थी. राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद इस बड़बोले नेता की टीम के लोग भी बड़बोले हो गए.
उन्होंने इन नीतियों का खुलासा करना शुरू कर दिया. जब अवाम और अधिकारियों के बीच यह खुलासे पहुंचने लगे तो लोगों का माथा ठनका. डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार रह चुके ब्रायन लांजा ने एक मीडिया हाउस से बातचीत में कहा कि ट्रम्प सरकार रूस और यूक्रेन के बीच दो साल से भी अधिक समय से जारी जंग को खत्म करने का काम प्राथमिकता के आधार पर कर सकती है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने प्रचार के दरम्यान कहा था कि वे एक दिन में यह युद्ध समाप्त करा देंगे.
लांजा ने कहा कि अब यूक्रेन को शांति स्थापित करने पर जोर देना चाहिए और रूस ने उसके जो इलाके हथियाए हैं उनको भूल जाना चाहिए. क्रीमिया 2014 में ही जा चुका है और वह वापस मिलने वाला नहीं है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही शांति के विकल्प खोजने चाहिए. लांजा यहीं नहीं रुके.
उन्होंने एक शो में यूक्रेन को इशारा करते हुए कहा कि अगर क्रीमिया दोबारा हासिल करना आपकी प्राथमिकता है और आप चाहते हैं कि अमेरिकी सैनिक इसके लिए लड़ें तो माफ कीजिए, अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं है. आप इस मामले में अकेले हैं. गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प अपनी चुनावी मुहिम में बार बार कहते रहे हैं कि वे अमेरिकी संसाधनों की बर्बादी रोकेंगे.
जाहिर था कि इस कथन से बखेड़ा खड़ा हो गया. यूरोपीय यूनियन के नाटो देश परेशान हो गए. वे डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगियों से स्पष्टीकरण मांगने लगे. अमेरिका में भी इस पर बवाल हो गया. खुद रिपब्लिकन पार्टी में दो धड़े बन गए. एक धड़ा पूछने लगा कि बिना पद संभाले संवेदनशील विषयों पर ऐसे कथन सार्वजनिक करने का अधिकार डोनाल्ड ट्रम्प की टीम को किसने दिया है?
जब स्थिति बेहद गंभीर हुई तो डोनाल्ड ट्रम्प के एक और प्रवक्ता ने खंडन किया और कहा कि अभी तो ट्रम्प ने पद संभाला ही नहीं है. किसी भी प्रवक्ता अथवा लांजा को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की ओर से बात करने का हक नहीं है. पर ब्रायन लांजा को जितना नुकसान पहुंचाना था, वे पहुंचा चुके थे. आपको याद दिला दूं कि लांजा 2016 और 2024 में ट्रम्प के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं.
अमेरिकी जनता और अधिकारी उन्हें अमेरिका का होने वाला विदेश मंत्री मान रहे थे. लेकिन इस प्रसंग के बाद लांजा की संभावनाएं धूमिल पड़ी हैं. अमेरिका के मतदाता इसलिए भी उनके अगले विदेश मंत्री होने की अटकलें लगा चुके थे क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर सोमवार को घोषणा की कि वे पिछले कार्यकाल के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को अपनी सरकार में शामिल नहीं करने जा रहे हैं. चूंकि पोम्पियो की पहचान चीन के कट्टर विरोधी की है इसलिए प्रेक्षक तनिक चौंके हैं.
कारण यह है कि ट्रम्प रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपनी दोस्ती छिपा नहीं रहे हैं तो अर्थ है कि उनके अगले विदेश मंत्री रूस के मार्फत चीन से मित्रता स्थापित करने पर जोर दे सकते हैं. उनके नए विदेश मंत्री चीन के उतने कठोर आलोचक नहीं हों. पर लांजा प्रसंग के बाद मीडिया और प्रशासन विदेश मंत्री का नया चेहरा तलाशने लगे हैं.
डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी नई सरकार का एक संकेत भारत को चिंता में डालने वाला किया है. उन्होंने ट्रुथ के जरिए ऐलान किया कि वे भारतीय मूल की निक्की हेली को भी नई सरकार में स्थान नहीं दे रहे हैं. निक्की हेली अपने भारत प्रेम के लिए जानी जाती हैं. वे ट्रम्प की पिछली सरकार में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रही हैं.
इस बार उनको नई सरकार में शामिल नहीं करने से भारतीय मूल के अमेरिकी मतदाताओं को झटका लगा है. अब वे कह रहे हैं कि चुनाव से पहले वे भारतीयों के वोट चाहते थे इसलिए पहले यह घोषणा नहीं की. अब वे अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. बता दूं कि निक्की हेली ने अक्तूबर 2021 में अमेरिकी फॉरेन पालिसी में एक लेख लिखा था.
इसमें उन्होंने भारत और अमेरिका की दोस्ती को मजबूत करने पर ज़ोर दिया था तथा लिखा था कि चीन मध्य और दक्षिण एशिया में पांव पसारे, इससे पहले ही भारत और अमेरिका को उसे रोकना चाहिए. अपने दोस्तों को अपमानित करने और दुश्मनों को नजरअंदाज करने के बजाय अमेरिका को उन रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे संसार में हमारी स्थिति मजबूत होती हो. इसका कूटनीतिक लोग यह मतलब निकाल रहे हैं कि ट्रम्प अपनी नई सरकार में भारत के समर्थक और चीन के आलोचक सहयोगियों को नहीं चाहते. यह भारत के लिए एक छिपी हुई चेतावनी है.