अमेरिका में 5G तकनीक पर क्यों नाराज हैं एयरलाइंस कंपनियां? एयर इंडिया ने भी रद्द की कई उड़ानें, जानें पूरा विवाद
By विनीत कुमार | Published: January 20, 2022 08:39 AM2022-01-20T08:39:02+5:302022-01-20T10:02:57+5:30
अमेरिका जाने वाली कई फ्लाइट्स रद् हो रही हैं। दुनिया भर की कई बड़ी एयरलाइंस कंपनियों ने ऐसा फैसला लिया है। विवाद 5G मोबाइल फोन सेवा तकनीक के हवाई अड्डों पर शुरुआत करने को लेकर है। आखिर क्या है पूरा विवाद, जानिए
न्यूयॉर्क: अमेरिका में कुछ हवाई अड्डों पर 5जी मोबाइल फोन सेवा की शुरुआत करने को लेकर दुनिया भर की कई एयरलाइन कंपनियां चिंतित हैं। इस विवाद के कारण भारत की एयर इंडिया ने भी बुधवार से भारत-अमेरिका मार्गों पर 14 उड़ानें रद्द कर दीं।
इसके अलावा एमिरेट्स एयरलाइन, जापान की ऑल निप्पन एयरवेज (एएनए), ताइवान की ईवीए एयर जैसी कंपनियों ने भी अमेरिका के कुछ शहरों की उड़ाने रोकने का फैसला किया है। ब्रिटिश एयरवेज ने अमेरिका जाने वाली बोइंग 777 उड़ानें रद्द कर दी है।
अमेरिका में 5G तकनीक से क्या है एयरलाइंस को दिक्कत?
दरअसल, ऐसी आशंका है नई 5G सेवा से विमानों की नौवहन प्रणाली प्रभावित हो सकती है। इससे दुर्घटना होने की आशंका बनी रहेगी। अमेरिकी विमानन संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने 14 जनवरी को कहा था कि 'विमान के रेडियो एल्टिमीटर पर 5G के प्रभाव से इंजन और ब्रेकिंग प्रणाली रुक सकती है जिससे विमान को रनवे पर रोकने में दिक्कत आ सकती है।'
रेडियो एल्टिमीटर वह तकनीक है जिससे जमीन से विमान की हवा में ऊंचाई की गणना की जाती है। 5G की वजह से इसमें दिक्कत आ सकती है। ऐसे में विमान की लैंडिंग के समय सबसे ज्यादा खतरा पैदा हो सकता है।
कुछ एयरलाइंस ने ये भी कहा है कि उन्हें चेतावनी दी गई थी कि दुनियाभर में इस्तेमाल किया जाने वाला विमान बोइंग 777 विशेष रूप से 5G की वजह से प्रभावित होगा। एफएए ने 5G सिग्नल के साथ कई विमानों को हवाईअड्डों पर उड़ान भरने की मंजूरी दे दी है, लेकिन बोइंग 777 सूची में नहीं है।
5G तकनीक की फ्रिक्वेंसी बैंड से है समस्या
अमेरिका में विवाद की अहम वजह 5G तकनीक की दो फ्रिक्वेंसी बैंड के इस्तेमाल को लेकर मंजूरी है। अधिकांश अन्य देशों और क्षेत्रों जैसे यूरोपीय संघ आदि में भी कमर्शियल तौर पर 5G की शुरुआत की गई है। यहां ज्यादातर टेलिकॉम कंपनियां 3.4-3.8 गीगाहर्ट्ज (GHz) रेंज में सेवा देती हैं। इसी तरह दक्षिण कोरिया में 5G तकनीक 3.42-3.7 GHz बैंड पर काम कर रहा है।
वहीं, अमेरिका में 3.7-3.98 GHz रेंज के मिड बैंड फ्रीक्वेंसी के इस्तेमाल को भी मंजूरी मिली है। इसे ही लेकर चिंता है। एयरलाइंस कंपनियों का है कि ये विमानों द्वारा इस्तेमाल होने वाले 4.2-4.4 गीगाहर्ट्ज रेंज के बेहद करीब है जिसका विमान के एल्टिमीटर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उलझन बढ़ सकती है और दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी।
वहीं, विवाद के बीच अमेरिका की दूरसंचार कंपनियों एटीएंडटी और वेरिजोन कम्युनिकेशंस ने कहा है कि हवाई अड्डों के पास नई वायरलेस सेवा शुरू करने के काम को टाला जायेगा।