संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने हंसा मेहता के योगदान को किया याद, कहा- उनके बिना मानवधिकारों की बात संभव नहीं
By भाषा | Published: December 7, 2018 05:18 PM2018-12-07T17:18:15+5:302018-12-07T17:18:15+5:30
हंसा मेहता भारत की महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और उत्कृष्ट लेखिका थीं। उन्होंने 1947-48 में संरा मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर इस वैश्विक संगठन के लिए काम किया।
संयुक्त राष्ट्र, सात दिसम्बर(भाषा) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारतीय समाज सुधारक एवं शिक्षाविद् हंसा जीवराज मेहता के मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा वाले ऐतिहासिक दस्तावेज निर्माण में ‘महत्वपूर्ण’ योगदान के लिए उनकी सराहना की है।
गुतारेस, गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक प्रदर्शनी से संबंधित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज को आकार देने में महिलाओं ने अग्रणी भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर भारत की हंसा मेहता, जिनके बिना हम लोग केवल पुरुषों के अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पर बात कर रहे होते, न कि मानवाधिकारों पर।’’
इस प्रदर्शनी में मेहता सहित दूसरी प्रेरणादायी महिलाओं के योगदान को दर्शाया गया है।
हंसा मेहता भारत की महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और उत्कृष्ट लेखिका थीं। उन्होंने 1947-48 में संरा मानवाधिकार आयोग में भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर इस वैश्विक संगठन के लिए काम किया।
मानवाधिकारों के ऐतिहासिक ऐलान को लैंगिक रूप से अधिक संवदेनशील बनाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
वह भारत का संविधान बनाने वाली संविधान समिति की सदस्य भी थीं।
गुतारेस ने पाकिस्तान की बेगम शाइस्ता इकरामउल्ला, डोमिनिक गणराज्य की मिनर्वा बेरनाडिनो, ब्राजील की बेर्था लुट्ज और उरूग्वे की इसाबेल डी विदेल के योगदान की भी प्रशंसा की।