Turkey Attacks Syria: सीरिया में कौन से गुट हैं जो युद्ध को दे रहे हैं हवा, जानें विदेशी ताकतों की भूमिका
By आदित्य द्विवेदी | Published: October 11, 2019 08:20 AM2019-10-11T08:20:16+5:302019-10-11T08:20:16+5:30
सीरिया में बगावत की शुरुआत 2011 में अरब स्प्रिंग से प्रभावित हो कर हुई थी। उस वक्त सीरिया में बशर-अल-असद की सरकार थी। उन्होंने बलपूर्वक आंदोलन दबाने की कोशिश की लेकिन चीज़ें उनके हाथ से निकल गई।
सीरिया के युद्ध को 21वीं सदी की सबसे भयानक त्रासदी माना जाता है। 2011 में शुरू हुए सीरियाई गृहयुद्ध में करीब पांच लाख लोगों की मौत हुई। करीब 50 लाख लोगों ने अन्य देशों में शरण ली और करीब 70 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए। इसे बेहद पेंचीदा और उलझा हुआ युद्ध माना जाता है। सीरिया में बगावत की शुरुआत 2011 में अरब स्प्रिंग से प्रभावित हो कर हुई थी। उस वक्त सीरिया में बशर-अल-असद की सरकार थी। उन्होंने बलपूर्वक आंदोलन दबाने की कोशिश की लेकिन चीज़ें उनके हाथ से निकल गई।
सीरियाई युद्ध के तीन मोर्चे
सिविल अनरेस्टः लोकतंत्र की मांग को लेकर आम जनता प्रदर्शन कर रही थी। जिसे बलपूर्वक दबाने का प्रयास किया गया और चिंगारी भड़ गई।
धार्मिक युद्धः सीरिया के तानाशाह बशर-अल-असद शिया समुदाय से हैं जबकि सीरिया की 83 प्रतिशत आबादी सुन्नी है। इस वजह से वहां एथनिक वार अथवा धार्मिक युद्ध के हालात पैदा हुए।
छद्म युद्धः बशर-अल-असद की सरकार को रूस और ईरान ने समर्थन दिया जबकि अमेरिका ने विद्रोही गुटों को समर्थन दिया। एक तरह से रूस और अमेरिका ने यहां छद्म युद्ध शुरू कर दिया।
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सीरियाई युद्ध में शामिल संगठन
1. सरकार
2011 में सीरियाई युद्ध की शुरुआत के समय बशर-अल-असद की सरकार थी। इसे ईरान और रूस का खुला समर्थन प्राप्त था। जबकि चीन ने भी यूएन में असद सरकार का समर्थन किया था।
2. विद्रोही
विद्रोही गुटों में फ्री सीरियन आर्मी और फ्रेंड्स ऑफ सीरिया जैसे संगठन थे। जो असद सरकार से विद्रोह के बाद बने थे। इन गुटों को अमेरिका, ब्रिटेन, सउदी अरब, कतर, जॉर्डन और तुर्की का समर्थन मिला हुआ था।
3. चरमपंथी गुट
चरमपंथी गुटों में जबात-अल-नुसरा शामिल था जो बाद में नाम बदलकर जबात फतेह अल शाम हो गया। इसे गुपुचप तरीके से सउदी अरब और कतर मदद करते थे।
4. ISIS/ISIL/DAESH
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और अल-शाम जो बाद में इस्लामिक स्टेट हो गया। इसका मुखिया अबु बकर अल बगदादी था। इसकी शुरुआत इराक में हुई थी। सीरिया के गृहयुद्ध में इसने अपने पैर जमाए और 2014 में मोसुल पर कब्जा कर लिया। ये संगठन इतना बर्बर था कि अलकायदा ने भी इससे अपना नाम अलग कर लिया।
5. कुर्द
यह सीरिया, इराक और तुर्की के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाला एक एथनिक ग्रुप है। नॉर्थ इराक में कुर्दिस्तान नाम से इनका अपना स्वायत्त देश है। इसने सीरिया सरकार से खुद को अलग कर लिया अपना अलग देश राजोरा बना लिया। इस्लामिक स्टेट से लड़ने में कुर्दों ने बड़ी भूमिका निभाई। इन्हें अमेरिका ने पूरा समर्थन दिया। कुर्दिश मिलिशिया ग्रुप के नाम हैं- पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट (वाईपीजी). कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (तुर्की और इराक)।
सीरिया का युद्ध इतना उलझ क्यों गया?
- सीरिया के युद्ध में बहुत सारे गुट शामिल हो गए जिससे कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई। अगर सिर्फ सरकार और विद्रोहियों के बीच तनाव होता तो इसके परिणाम जल्दी निकल सकते थे।
- सीरियाई युद्ध में शामिल विभिन्न गुटों के समर्थन करने वाले बदलते रहते थे। जैसे- तुर्की और अमेरिका पुराने सहयोगी हैं लेकिन अमेरिका ने कुर्दों का समर्थन किया जिसकी तुर्की खिलाफत करता था।
- सीरियाई युद्ध में अमेरिका और रूस के शामिल होने से यह लड़ाई लंबी खिंच गई। जब भी कोई एक ग्रुप कमजोर पड़ने लगता तो अमेरिका और रूस उसकी मदद कर देते।
सीरियाई युद्ध का भविष्य
सीरिया में पिछले आठ साल से जारी गृहयुद्ध की आग ठंडी पड़ने लगी है। फिलहाल सीरिया के 65 प्रतिशत हिस्से पर असद सरकार का कब्जा है और 30 प्रतिशत हिस्से पर कुर्दिशों की स्वायत्त सरकार है। कुछ ही हिस्सों में आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन बचे हैं। लेकिन इस बीच तुर्की ने उत्तरी सीरिया पर हमला कर दिया है। यह सीरियाई कुर्दों के कब्जे वाला इलाका है। इस हमले की वजह से इस्लामिक स्टेट के दोबारा पनपने की भी संभावनाएं भी जन्म ले चुकी हैं।