अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटरों के तीन संचालक जेल भेजे गए
By भाषा | Published: June 15, 2019 05:30 AM2019-06-15T05:30:17+5:302019-06-15T05:30:17+5:30
अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नंबर और उनका अन्य निजी डेटा हासिल कर उन्हें ऑनलाइन चूना लगाने वाले कॉल सेंटरों के तीन संचालकों को जमानत पर रिहा
अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नंबर और उनका अन्य निजी डेटा हासिल कर उन्हें ऑनलाइन चूना लगाने वाले कॉल सेंटरों के तीन संचालकों को जमानत पर रिहा करने से जिला अदालत ने शुक्रवार को इंकार कर दिया।
मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते ने मामले के आरोपियों में शामिल जावेद मेनन (28), भाविल प्रजापति (29) और शाहरुख मेनन (25) को पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद यहां प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता गुप्ता के सामने पेश किया। तीनों आरोपियों की ओर से जमानत की अर्जियां पेश की गयीं जिन्हें अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्क सुनने के बाद खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्हें न्यायिक हिरासत के तहत 24 जून तक जेल भेजने का आदेश दिया।
अमेरिकी नागरिकों से ऑनलाइन ठगी के बड़े गिरोह का खुलासा करते हुए पुलिस के साइबर दस्ते ने मंगलवार को यहां तीन कॉल सेंटरों का खुलासा किया था। इनसे जुड़े 78 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें जावेद, भाविल और शाहरुख शामिल हैं। पुलिस को गिरोह के पास करीब 10 लाख अमेरिकी नागरिकों के सामाजिक सुरक्षा नम्बर, मोबाइल नम्बर और उनका अन्य निजी डेटा मिला है। जांच अधिकारियों ने बताया कि गिरोह के टेलीकॉलर खुद को कथित तौर पर अमेरिका के सामाजिक सुरक्षा विभाग की सतर्कता इकाई के अफसर बताकर वहां के नागरिकों को झांसा देते थे कि उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर का उपयोग धनशोधन और मादक पदार्थों की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों में किया गया है।
उन्होंने बताया कि टेलीकॉलरों द्वारा अमेरिकी लोगों से कथित तौर पर कहा जाता था कि मामले को "रफा-दफा" करने के लिये उन्हें कुछ रकम चुकानी होगी। वरना उनके सामाजिक सुरक्षा नम्बर को ब्लॉक कर उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी जायेगी। अधिकारियों ने बताया कि ठग गिरोह द्वारा इस शातिर तरीके से अमेरिकी लोगों को डरा-धमकाकर उनसे प्रति "शिकार" के मान से 50 डॉलर से लेकर 5,000 डॉलर तक की राशि प्रीपेड गिफ्ट कार्ड, बिटकॉइन और अन्य ऑनलाइन भुगतान माध्यमों से वसूली जा रही थी। बाद में ठगी की रकम दलालों को "कमीशन" चुकाकर हवाला के जरिये भारत में प्राप्त की जाती थी। भाषा : हर्ष प्रियभांशु प्रियभांशु