तालिबान की क्रूर तानाशाही का नया फरमान, बोला- महिलाओं को दफ्तरों में काम करने की नहीं होगी इजाजत, घरों की दहलीज में रहें कैद

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 1, 2022 03:29 PM2022-04-01T15:29:07+5:302022-04-01T15:34:40+5:30

तालिबान प्रशासन के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने खुद एक आदेश जारी करते हए कहा है कि महिलाओं को घरों में कैद रहना होगा और उन्हें किसी भी कार्यालय में काम करने की इजाजत नहीं होगी। यह फरमान इस बात को साबित करता है कि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से वहां शासन करने वाली कट्टर इस्लामिक संगठन तालिबान की तानाशाही में कोई कमी नहीं आ रही है।

Taliban dictatorship: Women will not be allowed to work in offices, remain imprisoned at home | तालिबान की क्रूर तानाशाही का नया फरमान, बोला- महिलाओं को दफ्तरों में काम करने की नहीं होगी इजाजत, घरों की दहलीज में रहें कैद

फाइल फोटो

Highlightsमहिलाओं को घरों से बाहर किसी भी सार्वजनिक या निजी दफ्तर में काम करने की इजाजत नहीं होगीतालिबन ने महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर भी सख्त पाबंदी लगा दी हैतालिबान ने दूसरी बार अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, इससे पहले 1996 से 2001 तक वो सत्ता में रहा था

काबुल: अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से वहां शासन कर रही कट्टर इस्लामिक संगठन तालिबान की तानाशाही में कोई कमी नहीं आ रही है।

शरिया के हिसाब से देश को चलाने वाले तालिबानी प्रशासन ने एक बार फिर महिला अधिकारों पर कुठाराघात करते हुए स्पष्ट लहजे में कह दिया है कि महिलाओं को घरों से बाहर किसी भी सार्वजनिक या निजी दफ्तर में काम करने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही तालिबानी प्रशासन ने यह आदेश भी जारी किया है कि महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर भी सख्त पाबंदी लगी रहेगी। 

इस अमानवीय और कट्टर आदेश को जारी करते हुए तालिबान प्रशासन के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने कहा है कि अफगान महिलाओं के लिए तालिबान ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार महिलाएं किसी भी तरह के कार्यालयों में काम नहीं कर सकती हैं और न ही घरों से बाहर जा सकती हैं।

महिलाओं के प्रति क्रूर रवैया रखने वाले इस्लामिक संगठन तालिबान हमेशा से कहता रहा है कि अफगानिस्तान में महिलाएं और लड़कियां घर में ही महफूज रह सकती हैं। उन्हें बाहर नहीं निकलना चाहिए।

अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद से पूरा विश्व सबसे ज्यादा फिक्रमंद यहां की महिलाओं और लड़कियों को लेकर है। अब जबकि तालिबान प्रशासन के बड़े अधिकारी ने जब खुद महिलाओं को घरों में कैद रहने का फरमान जारी कर दिया है तो इस बात को बखूबी समझा जा समझा है कि महिला अधिकारों का बलपूर्वक दमन करने वाला तालिबान प्रशासन किस कदर देश को चलाने की कोशिश कर रहा है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पूर्व में बाकायदा बयान जारी करते हुए कहा था, "महिलाओं और लड़कियों को कामकाज या रोजगार के लिए घरों से नहीं निकलना चाहिए। मैं मानता हूं कि घर के बाहर वे महफूज नहीं हैं क्योंकि तालिबानियों को महिलाओं की इज्जत करने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है।"

मालूम हो कि इस बात से इतर तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद विश्व समुदाय को इस बात का भरोसा दिया था कि वे पिछली शासन की तुलना में इस बार महिलाओं के प्रति ज्यादा उदारवादी रवैया अपनाएंगे।

तालिबान ने कहा था कि महिलाओं को कथिततौर पर कामकाज और शिक्षा के लिए छूट दी जाएगी। हालांकि, बीते मार्च महीने में उस समय यह तालिबानी दावे झूठे साबित हुए जब तालिबान ने सख्त नीति को अपनाते हुए लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी थी।

वैसे तालिबान इस बात का भी दावा करता है कि वो तालिबानी लड़ाकों को महिलाओं के साथ भद्र व्यवहार की ट्रेनिंग देंगे ताकि उनके साथ शिष्टता से पेश आया जाए। तालिबान का कहना है कि अफगान महिलाएं तालिबानी लड़ाकों से डरें नहीं। अफगानिस्तान में हालात सामान्य होने पर वो खुद उन्हें काम करने की मंजूरी देंगे।

तालिबान राज में महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाले कठोर और अमानवीय व्यवहार को देखते हुए वैश्विक संगठन लगातार सख्ती कर रहे हैं लेकिन उसका तालिबान पर कोई असर नहीं हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि अफगानिस्तान में ह्यूमन राइट्स को लेकर जो रिपोर्ट्स मिल रही हैं, वो परेशान करने वाली हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान साल 1996 से 2001 तक सत्ता में रहा था। उस दौरान भी वहां महिलाओं की स्थिति बेहद नारकीय हो गई थी। शरिया कानून के तहत सजा पाने वाली महिलाओं को बीच सड़क पर कोड़ों से पीटा जाता था और संगसारी परंपरा के तहत महिलाओं को पत्थरों से मारकर हत्या कर दी जाती थी।

Web Title: Taliban dictatorship: Women will not be allowed to work in offices, remain imprisoned at home

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