तालिबान ने DGCA को लिखा पत्र, काबुल से उड़ान सेवा शुरू करने की मांग, भारत ने 15 अगस्त को प्रतिबंध लगा दिया था
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 29, 2021 01:35 PM2021-09-29T13:35:39+5:302021-09-29T15:38:58+5:30
अमेरिका द्वारा एक मई को अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू करने के बाद तालिबान ने देश के कई हिस्सों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था और 15 अगस्त को उसने काबुल को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था।
काबुलः तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान (काबुल) और भारत के बीच उड़ान सेवा शुरू करने की इच्छा जताई है। तालिबान ने वाणिज्यिक उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) को पत्र लिखा है।
भारत ने 15 अगस्त के बाद काबुल के लिए सभी वाणिज्यिक उड़ान संचालन बंद कर दिया था। यह पत्र 7 सितंबर को अफगानिस्तान नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के कार्यवाहक मंत्री हमीदुल्लाह अखुनजादा ने लिखा है। भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है।
Taliban's Islamic Emirate of Afghanistan writes to DGCA (Directorate General of Civil Aviation) to resume commercial flights to Afghanistan (Kabul). Letter under review by Ministry of Civil Aviation (MoCA).
— ANI (@ANI) September 29, 2021
India had stopped all commercial flight operations to Kabul post 15 Aug. pic.twitter.com/8LO96j6EkK
भारत और अफगानिस्तान के बीच अंतिम वाणिज्यिक उड़ान काबुल-दिल्ली मार्ग पर एयर इंडिया द्वारा 15 अगस्त को संचालित की गई थी। 16 अगस्त को सीएए द्वारा अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र को "अनियंत्रित" घोषित किया गया था। 7 सितंबर, 2021 को एक पत्र में सीएए के कार्यवाहक मंत्री अल्हज हमीदुल्ला अखुनजादा ने डीजीसीए से अनुरोध किया कि वह भारत और अफगानिस्तान के बीच एरियाना अफगान एयरलाइन की वाणिज्यिक उड़ानों की अनुमति दे।
अमेरिका में तालिबान पर, उसका समर्थन करने वाली विदेशी सरकारों पर प्रतिबंध के लिए विधेयक पेश
अमेरिका के 22 रिपब्लिकन सीनेटर के एक समूह ने मंगलवार को अफगानिस्तान में तालिबान पर और उसका समर्थन करने वाली सभी विदेशी सरकारों पर प्रतिबंध लगाने के प्रावधान वाला एक विधेयक पेश किया। 'अफगानिस्तान काउंटर टेररिज्म, ओवरसाइट एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट' को सीनेटर जिम रिश ने पेश किया।
विधेयक 2001-2020 के बीच तालिबान को समर्थन देने में पाकिस्तान की भूमिका, जिसके कारण अफगानिस्तान की सरकार गिरी... साथ ही पंजशीर घाटी तथा अफगान प्रतिरोध के खिलाफ तालिबान के हमले में पाकिस्तान के समर्थन के बारे में विदेश मंत्री से एक रिपोर्ट की मांग करता है।
जिम रिश ने सीनेट के पटल पर विधेयक पेश करने के बाद कहा, ‘‘ हम अफगानिस्तान से अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन की बेतरतीब वापसी के गंभीर प्रभावों पर गौर करना जारी रखेंगे। ना जाने कितने ही अमेरिका नागरिकों और अफगान सहयोगियों को अफगानिस्तान में तालिबान के खतरे के बीच छोड़ दिया गया। हम अमेरिका के खिलाफ एक नए आतंकवादी खतरे का सामना कर रहे हैं, वहीं अफगान लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों का हनन करते हुए तालिबान गलत तरीके से संयुक्त राष्ट्र से मान्यता चाहता है।’’
विधेयक में, आतंकवाद का मुकाबला करने, तालिबान द्वारा कब्जा किए गए अमेरिकी उपकरणों के निपटान , अफगानिस्तान में तालिबान तथा आतंकवाद फैलाने के लिए मौजूद अन्य गुटों पर प्रतिबंध और मादक पदार्थों की तस्करी तथा मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए रणनीतियों की आवश्यकता की भी मांग की गई है। इसमें तालिबान पर और संगठन का समर्थन करने वाली सभी विदेशी सरकारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है।
इस बीच, अमेरिका के एक शीर्ष सैन्य जनरल ने कहा कि अफगानिस्तान पर अब शासन कर रहा तालिबान 2020 के दोहा समझौते का सम्मान करने में विफल रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संगठन अभी तक अल-कायदा से अलग नहीं हुआ है। ‘यूएस ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ’ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा, ‘‘ दोहा समझौते के तहत, अमेरिका को तालिबान की कुछ शर्तों को पूरा करने पर अपनी सेना को वापस बुलाना शुरू करना था, जिससे तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार के बीच एक राजनीतिक समझौता हो पाए।’’