श्रीलंका के मुसलमान नहीं करेंगे हज, आर्थिक तंगी के कारण रद्द किया इस साल मक्का की इबादत का प्लान
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 1, 2022 06:44 PM2022-06-01T18:44:10+5:302022-06-01T18:52:04+5:30
हज के लिए सऊदी से कोटा मिलने के बाद भी श्रीलंका की राष्ट्रीय हज कमेटी, श्रीलंका हज टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग सहित सभी प्रमुख संस्थाओं ने सर्वसम्मती से फैसला किया है कि इस साल श्रीलंका से कोई भी मुस्लिम हज के लिए मक्का की यात्रा नहीं करेगा।
कोलंबो: बेहद खराब आर्थिक परिस्थितियों के कारण कर्ज में डूबे श्रीलंका के मुसलमान इस साल हज की यात्रा नहीं करेंगे। इस मामले में जानकारी देते हुए अरब न्यूज ने बताया कि सऊदी अरब सरकार की ओर से साल 2022 में कुल 10 लाख हज श्रद्धालुओं को हज यात्रा के लिए परमिशन दी गई थी, जिसमें से श्रीलंका को 1,585 हज तीर्थयात्रियों का कोटा जारी किया गया था।
हालांकि सऊदी की ओर से कोटा मिलने के बाद भी श्रीलंका की राष्ट्रीय हज कमेटी, श्रीलंका हज टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन और मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के विभाग सहित सभी प्रमुख संस्थाओं ने सर्वसम्मती से फैसला किया है कि इस साल श्रीलंका से कोई भी मुस्लिम हज के लिए मक्का की यात्रा नहीं करेगा।
इस संबंध में ऑल-सीलोन हज टूर द्वारा मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक मामलों के विभाग को लिखे पत्र में कहा गया है, "मौजूदा आर्थिक बदहाली के कारण देश की स्थिति बेहद खराब है, इसलिए इस साल के हज के सफर को मुल्तबी कर दिया जाए।"
वहीं हज टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रिजमी रियाल ने कहा कि देश के सभी हज ऑपरेटरों ने देश के सामने गंभीर डॉलर संकट को देखते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। सिंहली बौद्ध बहुल श्रीलंका की कुल 2.2 करोड़ की आबादी में लगभग 10 फीसदी मुसलमान जनसंख्या है।
श्रीलंका के मुस्लिम धार्मिक मामलों के विभाग के तहत आने वाले राष्ट्रीय हज समिति के अध्यक्ष अहकाम उवैस ने कहा, "श्रीलंकाई तीर्थयात्रियों के हज सफर पर अनुमानतः लगभग 10 मिलियन अमरीकी डालर का खर्च आएगा, जिसे मौजूदा समय में किसी भी कीमत पर पूरा नहीं किया जा सकता है।
उवैस ने कहा, "देश जब आर्थिक संकट में फसा हो तो मुसलमान भला कैसे देश की फिक्र किये बिना हज के सफर पर जा सकते हैं, इसलिए इस साल श्रीलंका से कोई मुसलमान हज की यात्रा पर नहीं जाएगा।"
मालूम हो कि साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश इस समय भारी विदेशी मुद्रा की कमी से गुजर रहा है, जिसके कारण देश में खाद्य पदार्थों, ईंधन और जरूरी दवाईयों पर भारी संकट आ गया है।
भारत आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका की भरपूर सहायता कर रहा है लेकिन उसके बाद भी श्रीलंका की आर्थिक बदहाली जस की तस बनी हुई है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)