श्रीलंका ने वैश्विक आर्थिक सहायता पाने के लिए खुद को 'कम आय वाला देश' घोषित किया

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 11, 2022 04:37 PM2022-10-11T16:37:01+5:302022-10-11T16:42:39+5:30

श्रीलंका सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मिल रही वित्त सहायता और आर्थिक रियायत पाने के लिए खुद को कम आय वाला देश घोषित कर लिया है।

Sri Lanka declares itself a 'low-income country' to receive global economic aid | श्रीलंका ने वैश्विक आर्थिक सहायता पाने के लिए खुद को 'कम आय वाला देश' घोषित किया

फाइल फोटो

Highlightsश्रीलंका सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सहायता पाने के लिए खुद को कम आय वाला राष्ट्र घोषित किया है श्रीलंका सरकार ने यह कदम अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मिली सलाह के बाद उठाया है श्रीलंका को उम्मीद है कि इस फैसले के बाद विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष खुलकर सहायता करेंगे

कोलंबो: आर्थिक दुर्दशा से उबरने के लिए श्रीलंका कैबिनेट प्रवक्ता ने मंगलवार को प्रस्ताव पास किया है, जिसमें उसने खुद को कम आय वाला राष्ट्र घोषित किया। श्रीलंका सरकार ने यह कदम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मिल रही वित्त सहायता में और अधिक आर्थिक रियायत पाने के लिए की है।

श्रीलंका सरकार का कहना है कि बीते 1 साल में देश की अर्थव्यवस्था को काफी गहरी चोट पहुंचा है और जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद सुकड़ कर सालाना 8.4 प्रतिशत की दर पर जा पहुंचा है, जो कि उस तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है। विश्व बैंक के अनुसार 2021 में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 3,815 डॉलर वाले देशों को निम्न-मध्य अर्थव्यवस्था श्रेणी में रखे जाने का नियम है।

श्रीलंका कैबिनेट द्वारा पास किये गये प्रस्ताव पर प्रवक्ता बंडुला गुणवर्धने ने कहा कि कैबिनेट ने विश्व बैंक की सूची में श्रीलंका को "कम आय" में डाउनग्रेड करने का फैसला किया है। इसके साथ ही गुणवर्धने ने कहा, "श्रीलंका जिस गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने हमें बताया कि अगर श्रीलंका को कम आय वाले देश की श्रेणी में रखा जाएगा तो वैश्विक आर्थिक मदद मिलने में आसानी होगी।"

मालूम हो कि भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका साल 1948 में स्वतंत्र हुआ। उसके बाद से यह श्रीलंका की सबसे खराब स्थिति है। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण श्रीलंका का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो गया। वहीं विदेशों मुद्रा की कमी, तेल की बढ़ती कीमतों, लोकलुभावन सरकारी वादों और पिछले साल कृषि को तबाह करने वाले रासायनिक उर्वरकों के आयात पर प्रतिबंध के नियम के कारण श्रीलंका की स्थिति इतनी दयनीय हालत में पहुंच गई कि लोगों को दूध और राशन के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।

अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है, जो मरीज इलाज के लिए भर्ती हैं, उन्हें दवाइयां नहीं मिल पा रही है। जीवन रक्षक दवाइयों की कमी के कारण मरीजों के जरूरी ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहा है।

आर्थिक तबाही के कारण देश के सामने भीषण खाद्यान का संकट खड़ा हो गया है। श्रीलंकाई रुपये में गिरावट और मुद्रास्फीति के कारण महंगाई आसमान छू रही है। श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ने पिछले सप्ताह नीतिगत दरों को स्थिर रखने का ऐलान किया था। इसके अलावा साल 2022 का सकल घरेलू उत्पाद 8.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन अब भी श्रीलंका की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं है और लोगों को रोजमर्रा की चीजों को पाने के लिए सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।

श्रीलंका ने वैश्विक मदद पाने के लिए खुद को कम आय वाला देश घोषित तो कर दिया है लेकिन इस मामले में अभी तक विश्व बैंक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन श्रीलंकाई आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि विश्व बैंक श्रीलंका के इस कदम का स्वागत करेगा और आर्थिक मदद के लिए सकारात्मक तरीके से आगे आयेगा।

Web Title: Sri Lanka declares itself a 'low-income country' to receive global economic aid

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