शोभना जैन का ब्लॉग: ब्रिटेन से नई समझ के साथ बराबरी की भागीदारी

By शोभना जैन | Published: December 19, 2020 01:03 PM2020-12-19T13:03:51+5:302020-12-19T13:04:18+5:30

ब्रिटेन ने चर्चा के दौरान यह भी कहा कि अगले साल ब्रिटेन का करियर स्ट्राइक ग्रुप हिंद-प्रशांत क्षेत्न का दौरा करेगा. इससे स्पष्ट है कि उनके दौरे ने हिंद-प्रशांत क्षेत्न में एक समान सोच रखने वाले देशों के साथ नजदीकी संबंधों को बनाने पर जोर दिया, जिसमें ब्रिटेन यूके के लिए भारत प्रमुख रणनीतिक साङोदार है.

Shobhana Jain blog Equal partnership with new understanding from Britain | शोभना जैन का ब्लॉग: ब्रिटेन से नई समझ के साथ बराबरी की भागीदारी

शोभना जैन का ब्लॉग: ब्रिटेन से नई समझ के साथ बराबरी की भागीदारी

इन दिनों भारत कोविड से जुड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है और ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद अपनी अर्थव्यवस्था के बदहाल हो जाने की आशंकाओं के मद्देनजर इसे पटरी पर लाकर मजबूत करने के लिए भारत सहित दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापारिक सहयोग की संभावनाओं को तलाश रहा है.

ऐसे समय में ब्रिटेन के प्रधानमंत्नी बोरिस जॉनसन का आगामी गणतंत्न दिवस पर मुख्य अतिथि बतौर भारत आना दोनों देशों के संबंधों में एक नई समझ-बूझ के साथ बराबरी की भागीदारी की एक नई पारी शुरू होने का संकेत माना जा रहा है.

निश्चय ही दोनों के बीच बढ़ती साझीदारी दोनों के हित में है और इसके लिए समय भी अनुकूल है. विदेश मंत्नी डॉ. एस. जयशंकर ने भी ब्रिटिश विदेश मंत्नी डोमिनिक राब की इस सप्ताह की भारत यात्ना के दौरान उनसे हुई अहम मंत्नणाओं में उनके साथ अगले दशक में द्विपक्षीय संबंधों को ‘एक महत्वाकांक्षी रोडमैप’ का रूप दिए जाने पर चर्चा के दौरान जॉनसन की प्रस्तावित भारत यात्ना को ‘भारत-ब्रिटेन संबंधों में एक नए युग का प्रतीक’ बताया.

दरअसल द्विपक्षीय संबंधों के साथ ही आज की दुनिया के बदलते समीकरणों में भी इस दौरे की अहमियत है. ब्रिटिश प्रधानमंत्नी के कार्यालय ने उनके भारत दौरे की घोषणा करते हुए कहा कि 2021 में ब्रिटेन जी-7 और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन- कॉप 26 शिखर बैठक की मेजबानी करने जा रहा है. पीएम जॉनसन ने प्रधानमंत्नी मोदी को जी-7 शिखर में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है.

भारत के अलावा अतिथि देश के तौर पर दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी बुलाया गया है. पीएम जॉनसन का लक्ष्य वैसे देशों से सहयोग बढ़ाना है जो लोकतांत्रिक हैं और उनके हित आपस में जुड़े हुए हैं. साथ ही उनकी चुनौतियां भी एक जैसी हैं.

ऐसे में ब्रिटिश पीएम का भारत दौरा जी-7 समूह को विस्तार देने के तौर पर भी देखा जा रहा है. जी-7 शीर्ष के सात औद्योगिक देशों का समूह है. प्रधानमंत्नी बनने और ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से हटने के बाद बोरिस जॉनसन का यह पहला भारत दौरा होगा. ब्रिटेन ने कहा है कि प्रधानमंत्नी का यह भारत दौरा भारत प्रशांत क्षेत्न में ब्रिटेन की दिलचस्पी को भी दर्शाता है. विदेश मंत्नी राब ने भी चर्चा में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाए जाने के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्न में आपसी सहयोग से काम करने की बात कही थी.

ब्रिटेन ने चर्चा के दौरान यह भी कहा कि अगले साल ब्रिटेन का करियर स्ट्राइक ग्रुप हिंद-प्रशांत क्षेत्न का दौरा करेगा. इससे स्पष्ट है कि उनके दौरे ने हिंद-प्रशांत क्षेत्न में एक समान सोच रखने वाले देशों के साथ नजदीकी संबंधों को बनाने पर जोर दिया, जिसमें ब्रिटेन यूके के लिए भारत प्रमुख रणनीतिक साङोदार है.

दरअसल यह माना जाता है कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रगाढ़ संबंध होने के बावजूद, संबंध उतने प्रगाढ़ नहीं हो पाए जितनी गुंजाइश रही है, या यूं कहें जैसा कि अमेरिका और फ्रांस जैसे विकसित पश्चिमी देशों के साथ रहे हैं. हालांकि दोनों देशों की जनता के बीच काफी निकट संपर्क हैं. लेकिन जब तब कुछ मुद्दे असहमति के भी आते रहे. जैसे कश्मीर को लेकर ब्रिटेन की जब तब की टिप्पणियां, जिसे एक हद तक वहां बसे पाकिस्तानी मूल के लोग हवा देते रहे. अफगानिस्तान का मसला, अंतरराष्ट्रीय छात्नों के लिए पोस्ट स्टडी वर्क परमिट हटा दिए जाने, जिससे 2017 तक पांच वर्षो तक भारतीय छात्न काफी प्रभावित हुए, हालांकि वह परमिट बहाल कर दिया गया है.

और हाल ही में जॉनसन की ब्रिटिश संसद में एक सवाल के जवाब में की गई वह टिप्पणी शुरुआती तौर पर खासा अजीबोगरीब सी लगी जबकि उन्होंने ब्रिटिश संसद में एक सिख सांसद द्वारा किसान आंदोलन के बारे में पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए उसे भारत और पाकिस्तान से जोड़ दिया. हालांकि बाद में प्रधानमंत्नी कार्यालय ने एक बयान जारी करके कहा कि पीएम सवाल सही तरह से सुन नहीं पाए थे. 

बहरहाल अब जबकि ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से हटने की तैयारी कर चुका है, चीन से भी उसकी नजदीकियां कम होती जा रही हैं. चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ ब्रिटेन की भी भारत प्रशांत क्षेत्न में दिलचस्पी बढ़ रही है. ब्रिटेन में भी चीन विरोधी भावनाएं हैं. चीन ने हांगकांग में जिस तरह से निरंकुश शासन व्यवस्था स्थापित की उसे लेकर ब्रिटेन और चीन के संबंध तल्ख ही कहे जा सकते हैं.

बदलती दुनिया में सभी देशों की तरह ब्रिटेन भी अपनी आर्थिक और विदेश नीति को समय के अनुरूप ढाल रहा है. आतंकवाद और भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर वह भारत के सरोकार समझ रहा है. इन तमाम स्थितियों में भारत उसका और अधिक स्वाभाविक साझीदार बन सकता है और बन भी रहा है. ब्रिटिश विदेश मंत्नी ने भी भारत यात्ना के दौरान कहा कि भारत और ब्रिटेन में एक बहुमूल्य और अपरिहार्य साङोदारी है, और आने वाले वर्षो में हम इसे सुदृढ़ बनाने की ओर सोच रहे हैं. ऐसे में ब्रिटिश पीएम जॉनसन की आगामी भारत यात्ना दोनों देशों के बीच अधिक समझ-बूझ वाली बराबरी की आपसी साझीदारी की एक नई शुरुआत कर सकती है.

Web Title: Shobhana Jain blog Equal partnership with new understanding from Britain

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